
जण-जण रो मुख जोय, जाचक भटकै जगत में।
सब रो दाता सोय, उण सूं ही पूरो पडै़।।
मांगने वाला जन जन का मुंह देखता हुआ दुनिया में भटकता है, ताकि उसे कुछ प्राप्त हो सके। लेकिन मनुष्य का पूरा तो उससे पड़ता है, जो संसार में सबको देने वाला है। एक बादशाह शिकार करने का निकला। बादशाह के साथ और भी कई कई लोग थे। लेकिन बादशाह एक शिकार का पीछा करता हुआ भटक गया और उसके साथ के लोग कहीं पीछे रह गए।
भटकता हुआ बादशाह जंगल से निकलने की कोशिश करने लगा और आखिर वह एक गांव में जा पहुंचा। उस समय वह वेष बदला हुआ था और शिकारी के वेष में था। अत: न तो किसी ने उसकी आवभगत की। बादशाह बहुत थका हुआ था और उसे बड़ी भूख भी लग आई थी। संयोग से एक जाट ने उसे देख लिया। जाट बड़ा भला था। जाट ने उसे देखकर समझ लिया कि कोई बटोही है और थका-हरा व भूखा-प्यासा है। उसने बादशाह को अतिथि समझा और उसे अपने घर ले गया। उसने उसे खिलाया-पिलाया। रात होने जा रही थी, इसलिए जाट ने उसके सोने भी प्रबंध कर दिया।
अगले दिन सवेरे बादशाह जब जाने को तैयार हुआ तो जाट ने कहा कि भूखे कैसे जाओगे, भोजन करके जाना। पेट भरा होगा तो आराम से सफर कर सकोगे। बादशाह जाट की इस मेहमानवाजी से बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने मन ही मन सोचा कि इस जाट ने बिना किसी जान-पहचान के मेरी इतनी खातिरदारी की है, यह वाकई बड़ा नेक इंसान है। रवाना होते समय बादशाह ने जाट को अपना परिचय दिया और कहा कि जब तुम्हें किसी बात का कष्ट हो तो तुम मेरे पास जरूर आना, मैं तुम्हारा कष्ट दूर कर दूंगा। एक साल अकाल पड़ा। ऐसा अकाल पड़ा कि न मनुष्य के खाने के लिए अन्न पैदा हुआ और न ही पशुओं के लिए चारा। लोग बेहाल हो गए। जाट ने सोचा कि क्यों न बादशाह के पास चलूं? जाट बादशाह के पास पहुंचा और उसने अपना परिचय दिया।
बादशाह ने पहचान कर उसका सत्कार किया। लेकिन इतने में नमाज का वक्त हो गया तो बादशाह नमाज पढने चला गया। जाट ने किसी से पूछा कि बादशाह क्या कर रहा है, तो उतर मिला कि बादशाह सलामत खुदा से दुआ मांग रहे हैं। जब जाट को पूरी बात मालूम हुई तो उसने सोचा कि बादशाह तो स्वयं मांगता है। फिर यह जिससे मांगता है, मैं भी उसी से क्यों न मांगूं। जाट उसी वक्त वहां से चल दिया और ईश्वर की प्रार्थना में लग गया। ईश्वर की कृपा से वह शीघ्र ही बहुत मालदार हो गया। इसके बाद एक बार बादशाह का संयोग से जाट से मिलना हुआ। बादशाह ने जाट से पूछा कि तुम उस दिन चले क्यों गए? जाट ने कहा कि मैंने जब आपको भी किसी से मांगते देखा, तो सोचा कि मैं भी क्यों न उसी से मांगूं और उसी से मांगा भी। उसी की कृपा से आज सब तरह से ठाठ हैं।