
- अकल सरीरां मांय, तिलां तेल ध्रित दूध में।
- पण है पड़दै मांय, चौड़े काढो चतरसी।।
जिस प्रार तिलों में तेल ओर दूध में घी होता है, उसी प्रकार शरीर में अक्ल हुआ करती है। लेकिन वह पर्दे में होती है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह उस सबके सामने बाहर निकाले।
एक गांव के पंच बहुत ही प्रसिद्ध थे। उनकी पंचायती के चर्चे चारों ओर थे। राजा के पास भी अक्सर उनकी पंचायती की चर्चे पहुंचते रहते थे। एक दिन राजा ने सोचा कि ये पंच इतने बुद्धिमान और चतुर हैं तो क्यों न इनकी परीक्षा की जाए। राजा ने एक बूढा हाथी उन पंचों के गांव भेजा और साथ ही संदेश भेजा कि यह राजकीय हाथी है, इसलिए इसके खाने पीने का पूरा खयाल रखना। इसे आपके गांव इसलिए भेजा है, ताकि वहां के हवा पानी के कारण यह आराम से रह सके। इस हाथी ने आज तक राज्य की बहुत सेवा की है, हम नहीं चाहते कि बुढापे में यह कष्ट उठाए। ओर यदि किसी दिन यह मर जाए, तो हमेंखबर जरूर कर देना। लेकिन यह मत कहलाना कि हाथी मर गया है। अब राजा का आदेश था, अत: उसका पालन पंचों को तो करना ही था। पंचों ने उस हाथी को बड़े आराम से रखा। पंचोंने स हाथी को बड़े आराम से रखा। उसकी सुख सुविधाओं का पूरा खयाल रखा। वे यह भी प्रयास करते रहे कि यह बीमार न पड़े।
लेकिन वह बूढा हाथी आखिर कब तक जीता? एक दिन वह हाथी आखिर मर ही गया। अब पंच बड़े असमंजस में पड़ गए, क्योंकि इसकी खबर राजा को भिजवानी थी। लेकिन राजा ने यह साफ कहा था कि यह मत कहलाना कि हाथी मर गया। अब राजा को खबर दी जाए तो कैसी दी जाए? उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। सब के सब उदास हो गए। एक पंच के चौदह वर्ष का एक बेटा था। उसने जब अपने पिता को उदास देखा तो पूछा कि क्या बात है? आप तो यह खबर भिजवा दीजिए कि आपका हाथी चारा पानी कुछ भी नही लेता है और उसकी सांस भी बंद है। यह सुनते ही उसके पिता की उदासी दूर हो गई और फिर पंचों ने यही किया। जब राजा के पास पंचों की खबर पहुंची, तो राजा ने फिर पूछवाया कि क्या हाथी मर गया? तब उन पंचों ने उस बालक से पूछा कि अब क्या उत्तर दिया जाए? तब बालक ने कहा कि आप तो राजाजी को यह लिख दीजिए कि जो बात थी वह हमने आपको लिख दी। हाथी मर गया है या नहीं, हम क्या जानें? जब राजा के पास यह उत्तर पहुंचा तो वह बड़ा ही प्रसन्न हुआ। वह मान गया कि इन पंचों की प्रसिद्धि कोई ऐसे ही नही है। ये पंच वाकई बहुत योग्यता रखते हैं। इस प्रकार बालक की चतुराई के कारण उन पंचों का संकट दूर हुआ।