
हिम्मत जितरी होय, काम उतोही कीजियै।
जितरी चादर होय, पांव पसारो पनयसी।।
मनुष्य को जितनी हिम्मत हो, उतना ही काम करना चाहिए। जितनी लंबी चादर हो, उतने ही पांव पसारने चाहिए। जो सामथ्र्य के बाहर जाकर काम करते हैं, उन्हें असफलता ही मिलती हैं।
एक जाट एक सेठ के यहां नौकर लगा। एक दिन सेठ के दूसरे नौकर ने जाट से कहा कि आज व्रत का दिन है। अत: तुम यदि व्रत रखो तो व्रत रखने वालों की सूची में अपना नाम लिखवा दो। जाट ने उससे पूछा कि व्रत में क्या होता है? दरअसल जाट ने न तो कभी व्रत के बारे में सुना था और न ही उसने किया था। दूसरे नौकर ने उसे बताया कि व्रत रखने वाला दिन में सिर्फ एक बार भोजन करता हूं। जाट तो दोनों वक्त धप कर खाने वाला था। वह भूखा नही रह सकता था। इसलिए उसने कहा कि मुझे ऐसा व्रत नहीं करना है, जिसमें भूखा रहना पड़े। जाट ने व्रत करने वालों की सूची में अपना नाम नहीं लिखवाया। जब पूजा-पाठ और कथा हो जाने के बाद व्रत रखने वाले भोजन करने लगे तो जाट देखता ही रह गया। सारे व्रत करने वालों को विविध प्रकार के मिष्ठानों और व्यंजनों के साथ फल परोसे जा रहे थे। जाट के मुंह में वह सब देखकर पानी भर आया। वह मन ही मन पछताने लगा कि मौका चूक गया।
यदि मैं भी व्रत करता तो ये सब खाने को मिलते। तब जाट ने निश्चय किया कि अगली बार मैं भी व्रत करूंगा और व्रत करने वालों की सूची में अपना नाम सबसे पहले से ही तैयार बैठा था। उसने तुरंत अपना नाम व्रत रखने वालों की सूची में लिखवा दिया। मध्याहन तक तो जाट किसी प्रकार किये बैठा रहा, लेकिन जब भोजन की कोई तैयारी नही दिखाई दी तो वह निराश होने लगा। कभी भूखा के आगे तारे दिखाई देने लगे। भूख के मारे उसका बहुत बुरा हाल हो गया। शाम के समय मोहल्ले में कोई लड़ाई झगड़ा हो गया था। उसका शोरगुल सेठ को हवेली के अंदर बैठे सुनाई दे रहा था। आखिर सेठ से रहा नहीं गया। उसने सोचा कि पता तो करवाया जाए कि मामला क्या है? वह नौकर को ढूंढते हुए वहां पहुंचा जहां जाट पड़ा हुआ था। सेठ ने जाट से कहा कि चौधरी, जरा जाकर देखो तो बाहर क्या हो हल्ला हो रहा है? थमने का नाम ही नही ले रहा है। जाट के प्राण तो भूख के मारे निकले जा रहे थे। उससे तो उठकर खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था। सो उसने ठंडी सांस भरते हुए सेठ से कहा कि और क्या हुआ होगा, कोई व्रतिया यानी व्रत करने वाला मर गया होगा। जाट का जवाब सुनकर सेठ को हंसी आ गई। वह सारी बात समझ गया। उसने दूसरे नौकर को बुलाकर कहा कि चौधरी को भोजन करवाओ, अन्यथा यह सचमुच मर जाएगा।