8946. चिंता को के काम

राखै जिण विधि राम, ता विधि ही रहणो भलो।
चिंता को के काम, रहो मौज में रमणियां।।


जिस तरह भगवान हमें रखना चाहते हैं, उसी तरह रहने में ही हमारा भला है, क्योंकि उसको सबकी चिंता है। इसलिए हमें चिंता नहीं करनी चाहिए और उस पर छोड़कर सभी को मौज से रहना चाहिए।
किसी राजा का मंत्री भगवान में पूरी भक्ति रखता था। वह हर समय यही कहता था कि भगवान जो कुछ भी करते हैं, सो ठीक ही करते हैं। एक बार किसी हथियार की धार देखते समय राजा की अंगुली कट गई। मंत्री ने राजा को धीरज देते हुए कहा कि भगवान ने यह सब भले के लिए ही किया है। इससे राजा को क्रोध आ गया और उसने तत्काल मंत्री को कैद में डलवा दिया। अगले दिन राजा शिकार खेलने के लिए जंगल में गया। वहां वह मार्ग भूलकर भटक गया। फल यह हुआ कि राजा को जंगल में ही रहना पड़ गया। रात पड़ गई और राजा परेशान हो गया। कुछ समय बाद इधर से जंगली लोग आ निकले। उन्होंने एक सुंदर पुरूष को देखा तो उसे देवी को भेंट चढाने के लिए पकड़ लिया। इस प्रकार राजा जंगली लोगों की पकड़ में आ गया। राजा को जंगली लोग अगले दिन देवी के सामने ले गए और उसका बलिदान करने की तैयारी करने लगे। तभी एक बूढे जंगली की नजर राजा की कटी हुई उंगली पर पड़ी। वह बोल उठा कि अरे, यह पुरूष तो बलि के योग्य नहीं है, क्योंकि इसकी देह पहले से ही खंडित है। यदि इसकी बलि दी जाएगी तो देवी अप्रसन्न हो जाएगी। ऐसी स्थिति में राजा को छोड़ दिया गया। अब राजा घूमता फिरता जैसे तैसे उस जंगल से निकला और अपनी राजधान में आया। महल में पहुंचकर राजा सोचने लगा कि मंत्री ने जो कुछ कहा था, वह सत्य सिद्ध हुआ।

यह मेरी अंगुली कटी हुई न होती तो मेरी मौत निश्चित थी। ऐसा सोचकर राजा ने मंत्री को कैद से निकलवाया और उसको सम्मानित किया। फिर राजा ने जंगल की घटना उसे सुनाते हुए कहा कि तुम्हारा कथन एकदम सच है। भगवान ने मेरी अंगुली भले ही लिए ही काटी थी। फिर राजा ने मंत्री से पूछा कि लेकिन, मेरे एक बात समझ में नहीं आ रही है और वह यह कि तुम्हारा कैद में डाला जाना किस प्रकार भले के लिए हुआ? तब मंत्री ने नम्रता से उतर दिया कि महाराज, मुझे कैद में भी भगवान ने भले के लिए ही डाला था। यदि मैं कैद मैं भी चलता और जंगल में आपके साथ रहता। तब जंगलियों द्वारा हम दोनों पकड़े जाते। आपकी अंगुली तो कटी हुई थी, इसलिए आपको छोड़ दिया गया। लेकिन मेरी देह तो अखंडित थी, इसलिए आपके स्थान पर मेरी बलि दे दी जाती। इस प्रकार भगवान ने मुझे कैद में डालकर मारे जाने से बचा लिया। राजा को पूरी बात समझ में आ गई। वह भगवान पर अटूट विश्वास रखने वाले अपने मंत्री से बड़ा प्रभावित हुआ और उसने भी भगवान में वैसी ही आस्था रखनी शुरू कर दी। उसका मंत्री के प्रति सम्मान बहुत बढ़ गया।