
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे यहां कहा गया है कि युक्त आहार विहारस्य, युक्त चेष्टस्य कर्मसु, युक्त स्वप्नाव-बोधस्य, योगो भवति दु:खहा. अर्थात्, सही खानपान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम को सही ढंग से करना ही योग है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे यहां निष्काम कर्म को बिना किसी स्वार्थ के, सभी का उपकार करने की भावना को भी कर्मयोग कहा गया है. कर्मयोग की ये भावना भारत के रग-रग में बसी हुई है। एक सजग नागरिक के रूप में हम परिवार और समाज के रूप में एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे यहां सभी का उपकार करने की भावना को भी कर्मयोग कहा गया है
योग और प्राणायाम के महत्व को समझाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविद-19 वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र पर हमला करता है। हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत करने में जिससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है वो है प्राणायाम, आप प्राणायाम को अपने रोजाना के अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ ही दूसरी प्राणायाम तकनीक को भी सीखिए।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग का अर्थ ही है समत्वम् योग उच्यते है। अर्थात, अनुकूलताप्रतिकूलता, सफलताविफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है। उन्होंने कहा कि जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान और दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो मैं योगेश्वर कृष्ण के कर्मयोग का भी आपको पुन: स्मरण कराना चाहता हूं. गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याखा करते हुए कहा है‘ योग: कर्मसुकौशलम अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है।