‘तमाशा’ ने एक बार फिर बिखेरे अपने रंग, ‘दादी’ विवाद से लेकर दिल्ली इलेक्शन पर किया कटाक्ष

'तमाशा'
'तमाशा'

जयपुर. राजधानी जयपुर के परकोटा क्षेत्र में 7 पीढ़ियों की परंपरा का एक बार फिर निर्वहन किया गया. राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही विरासत यहां तमाशा के रूप में साकार हुई. हर साल होली पर तमाशा का मंचन किया जाता है. कलाकारों ने अपने ही लहजे में एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्य किया और रांझा-हीर की कहानी को शास्त्रीय संगीत के तड़के के साथ पेश किया. राजस्थान विधानसभा में उठे ‘दादी’ विवाद से लेकर दिल्ली इलेक्शन और महाकुंभ तमाशा का केंद्र रहा. परंपरागत आख्यान में आधुनिक संदर्भ को जोड़ते हुए प्रसिद्ध संस्था वीणापाणि कला मंदिर की ओर से गुरुवार को लोकनाट्य तमाशा रांझा हीर का मंचन ब्रह्मपुरी के छोटा अखाड़ा में आयोजित किया गया. जयपुर की विरासत के साथ करीब ढाई सौ साल से ज्यादा समय से तमाशा चल रहा है.

जयपुर की परंपरागत लोकनाट्य तमाशा का गुरुवार को मंचन हुआ. तमाशा का मंचन राजा महाराजाओं के समय से ही जयपुर के ब्रह्मपुरी इलाके में किया जाता रहा है. कलाकार भट्ट परिवार के साथ ही दर्शकों की भी 7 पीढ़ियां तमाशा कार्यक्रम से जुड़ी हुई है. इस कार्यक्रम के जरिए जयपुर की सभ्यता और संस्कृति जीवंत किए हुए हैं. तमाशा कार्यक्रम में काफी संख्या में दर्शकों ने लुत्फ उठाया. वर्षों से होली के अवसर पर जनमानस का मनोरंजन कर रहे भट्ट परिवार की आन बान शान और जयपुर की पहचान बन चुके तमाशे का निर्देशन प्रसिद्ध तमाशा गुरु वासुदेव भट्ट ने किया. होली के दिन तमाशा कार्यक्रम में प्रदेश की राजनीति पर कटाक्ष भी देखने को मिले. होली के गीतों के साथ कई रंगारंग प्रस्तुतियां देखने को मिली.

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