ट्रंप का एक और निर्णय, शिक्षा विभाग को बंद करने का आदेश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

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वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को शिक्षा विभाग बंद करने से जुड़े आदेश (एग्जीक्यूटिव ऑर्डर) पर दस्तखत कर दिया। ट्रम्प ने दस्तखत करने के बाद कहा कि अमेरिका लंबे समय से छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका किसी भी देश की तुलना में शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करता है, लेकिन सफलता की बात आती है तो देश लिस्ट में सबसे निचले स्थान पर है। शिक्षा विभाग सुधार में फेल रहा। अब यह हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। हालांकि, आदेश में कहा गया कि दिव्यांग बच्चों के लिए ग्रांट और फंडिंग जैसे जरूरी प्रोग्राम जारी रहेंगे। ये प्रोग्राम अन्य एजेंसियों को सौंपे जाएंगे। ट्रम्प ने भाषण के दौरान अमेरिकी शिक्षकों की तारीफ की और कहा कि उनका ध्यान रखा जाएगा। ट्रंप का एक और निर्णय, शिक्षा विभाग को बंद करने का आदेश

ट्रम्प ने जब एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर साइन किया तब वहां पर शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन भी मौजूद थीं। ट्रम्प ने कहा कि वे उनके लिए ‘कुछ और काम ढूंढ़ेंगे’। लिंडा मैकमोहन अपने पति विंस मैकमोहन के साथ रेसलिंग कंपनी डब्ल्यू भी चलाती हैं। ट्रम्प ने जब एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर साइन किया तब वहां पर शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन भी मौजूद थीं। ट्रम्प ने कहा कि वे उनके लिए ‘कुछ और काम ढूंढ़ेंगे’। लिंडा मैकमोहन अपने पति विंस मैकमोहन के साथ रेसलिंग कंपनी डब्ल्यू भी चलाती हैं।

शिक्षा विभाग का बजट 20 लाख करोड़ रुपये

ट्रम्प ने कहा कि शिक्षा विभाग कोई बैंक नहीं है। ऐसे काम कोई और जिम्मेदार संस्था करेगी। अब से इस पर शिक्षा विभाग का अधिकार नहीं होगा, बल्कि राज्यों और स्थानीय समुदायों को इसकी जिम्मेदारी मिलेगी। साल 2024 में शिक्षा विभाग का बजट 238 बिलियन डॉलर (20.05 लाख करोड़ रुपये) का था। यह देश के कुल बजट का करीब 2त्न है। विभाग के पास लगभग 4,400 कर्मचारी हैं। यह बाकी सारे विभागों की तुलना में सबसे कम है।

फैसले को शिक्षा विभाग ने ऐतिहासिक बताया

ट्रम्प के आदेश पर साइन करने के बाद शिक्षा विभाग ने एक बयान जारी किया और इसे ऐतिहासिक बताया। विभाग ने कहा- हम कानून का पालन करेंगे। संसद और राज्यों के साथ मिलकर नौकरशाही को खत्म करेंगे। इस फैसले से अमेरिकी छात्रों की आने वाली पीढिय़ां मुक्त होंगी और वे बेहतर शिक्षा हासिल कर पाएंगे। वहीं, अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन के अध्यक्ष टेड मिशेल ने ट्रम्प के इस कदम की निंदा की है। उन्होंने इसे एक राजनीतिक नाटक करार दिया और कहा कि इस फैसले से फंडिंग में कमी आएगी जिससे विभाग में कर्मचारियों की संख्या में कटौती होगी। इससे देश में हायर एजुकेशन को नुकसान पहुंचेगा।

शिक्षा विभाग क्यों बंद करना चाहते हैं ट्रम्प

ट्रम्प का आरोप है कि अमेरिकी स्कूल बच्चों को रेडिकल और एंटी अमेरिकन बना रहे हैं। ट्रम्प स्कूल से जेंडर डिस्फोरिया को खत्म करना चाहते हैं। जेंडर डिस्फोरिया को इस उदाहरण से समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति जो जन्म के समय महिला के रूप में पहचाना गया (जैविक लिंग), लेकिन खुद को पुरुष के रूप में महसूस करता है (लिंग पहचान)। ऐसे में वह खुद के पुरुष होने का दावा कर सकता है। ट्रम्प इसे ‘ट्रांसजेंडर पागलपन’ कहते हैं।

शिक्षा विभाग को बंद करना क्यों है मुश्किल?

एक्सपट्र्स का मानना है कि ट्रम्प के आदेश के बाद शिक्षा विभाग को बंद करना मुश्किल है। दरअसल, इसे बंद करने लिए अमेरिकी सीनेट (संसद का ऊपरी सदन) में 60 वोटों की जरूरत होगी, लेकिन यहां ट्रम्प की रिपब्लिकन के पास सिर्फ 53 सीटें हैं। ट्रम्प को 7 डेमोक्रेटिक सांसदों का वोट चाहिए जो कि राजनीतिक तौर पर असंभव काम है। पिछले साल भी शिक्षा विभाग को समाप्त करने की कोशिश हुई थी। इसे एक अन्य विधेयक में संशोधन के रूप में जोड़ा गया था, लेकिन यह पारित नहीं हो सका क्योंकि सदन में सभी डेमोक्रेट्स के साथ 60 रिपब्लिकनों ने भी इसके विरोध में वोटिंग की थी।

45 साल में 259 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च

शिक्षा विभाग को 1979 में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) ने कैबिनेट स्तर की एजेंसी के तौर पर स्थापित किया था। इस डिपार्टमेंट के पास 268 अरब डॉलर डॉलर के फंडिंग प्रोग्राम की जिम्मेदारी है। यह स्टुडेंट्स के लिए लोन और स्पेशल एजुकेशन जैसे प्रोग्राम की देखरेख करती है। इसके साथ ही कम आय वाले स्कूलों को लोन भी देती है।

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