
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में चीन को कड़ी आलोचनाओं को झेलना पड़ा है। दरअसल, मंलगवार को 40 के करीब देशों ने शिनजियांग और तिब्बत में अल्पसंख्यक समूहों पर अत्याचार को लेकर चीन की आलोचना की। इसके अलावा हांगकांग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मानवाधिकारों पर पडऩे वाले बुरे असर पर चिंता व्यक्त की।
अमेरिका, कई यूरोपीय देशों, जापान और अन्य देशों ने चीन से कहा कि वह संयुक्त राष्ट मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेचलेट और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शिनजियांग में जाने की निर्बाध रूप से अनुमति दे। साथ ही उइगुर मुस्लिमों और अस्पसंख्यक समुदाय के अन्य लोगों को कैद में बंद करना रोके।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के मानवाधिकार समिति की एक बैठक में 39 देशों ने संयुक्त रूप से जारी किए गए बयान में कहा कि चीन द्वारा हांगकांग की स्वायत्तता, आजादी और अधिकारों को बहाल किया जाए। साथ ही वहां की न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाए।
इन देशों के संयुक्त बयान को जर्मनी के राजदूत क्रिसटोफ हेयूसगेन द्वारा पढ़ा गया। इस बयान के पढ़े जाने के तुरंत बाद पाकिस्तान ने चीन के कर्ज में फंसे 55 देशों की तरफ से बीजिंग का बचाव किया और हांगकांग में दखलअंदाजी का विरोध किया।

इसने कहा कि यह क्षेत्र चीन का हिस्सा है और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हांगकांग में चीन के एक देश, दो सिस्टम को सुनिश्चत करने का काम कर रहा है। इसके बाद क्यूबा ने 45 देशों के तरफ से बयान पढ़ते हुए चीन द्वारा शिनजियांग में आतंक और कट्टरता के खिलाफ उठाए गए कदमों का समर्थन किया।
इसमें कहा गया है कि चीन द्वारा आतंकवाद और चरमपंथ के खतरों के जवाब में किए गए उपायों को प्रांत के सभी जातीय समूहों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए कानून के दायरे में रखा गया है। गौरतलब है कि चीन इसी नाम पर देश में उइगुर मुस्लिमों का उत्पीडऩ कर रहा है।
एक दूसरे के विरोधी बयान चीन और पश्चिमी देशों के बीच मानवाधिकार को लेकर तनाव को रेखांकित करते हैं। इन मुद्दों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है, इसके अलावा कोविड-19 महामारी, व्यापार और दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की कार्रवाई को लेकर टकराव चरम पर है।
मुख्य रूप से पश्चिमी देशों के बयान में कहा गया कि इस पर हस्ताक्षर करने वाले 39 देश जून में 50 स्वतंत्र यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों की ओर से लिखे गए असाधारण पत्र की चिंता को साझा करते हैं, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से चीन की निगरानी करने के लिए सभी उचित उपाय करने और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि चीन की सरकार मानवाधिकारों का सम्मान करे।
उन्होंने तिब्बत और शिनजियांग में बीजिंग द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे व्यवहार, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल के आरोप, कोरोना वायरस प्रकोप के बारे में बोलने वाले लोगों के खिलाफ प्रतिशोध की रिपोर्ट और हांगकांग के तत्कालीन प्रस्तावित नए कानून सहित चिंताओं को उठाया।
39 देशों ने मंगलवार को शिनजियांग में बड़ी संख्या में मौजूद पॉलिटकल री-एजुकेशन कैंपों पर चिंता जताई, जिसको लेकर विश्वसनीय रिपोर्ट है कि इनमें 10 लाख से अधिक मुसलमानों को कैद करके रखा गया है। यहां मानवाधिकारों को बुरी तरह कुचला जा रहा है। बयान में कहा गया, वहां धार्मिक आजादी पर कड़े प्रतिबंध हैं, आने जाने की आजादी नहीं है, संगठन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। विशेष निगरानी से उइगुर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। जबरन मजदूरी और नसबंदी की रिपोर्ट है।