वसुंधरा को सीएम का चेहरा घोषित कराने को लेकर दबाव बनाने में जुटे समर्थक

जयपुर
राजस्थान भाजपा में विधानसभा चुनाव से पौने तीन साल पहले ही घमासान मचा हुआ है। इस समय राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थक वाट्सएप से लेकर ट्वीटर तक पर सक्रिय हैं। यही नहीं, अंसतुष्ट खेमा बैठक पर बैठक कर रहा है, जो कि कभी जयपुर तो कभी कोटा में होती हैं। वहीं, विधायक तक बैठक का हिस्सा बन रहे हैं। इस दौरान वसुंधरा राजे को फिर से लाने की मांग इस खेमे की ओर से की जा रही है। जबकि छबड़ा से पांच बार के विधायक प्रताप सिंह सिंघवी जयपुर में वसुंधरा राजे गुट की कमान संभाले हुए हैं। वह आये दिन राजे के पक्ष में न केवल बयान देते हैं बल्कि पार्टी को उनकी जरूरत का अहसास भी कराते हैं। इस बीच एक बड़ी रैली की तैयारियों भी शुरू हो गई हैं।

वसुंधरा राजे दो बार सीएम रह चुकी हैं। वह पांच बार की सांसद होने के अलावा केंद्र में भी मंत्री रह चुकी हैं। जबकि राजस्थान में एक जमाने में तो उनके समर्थक वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा के नारे तक लगाते थे, लेकिन अब हालात बदले बदले नजर आते हैं। आलाकमान और राजे के बीच सम्बन्धों को लेकर तरह तरह की बातें की जाती हैं। सीएम के चेहरे को लेकर अभी से विवाद की स्थिति है और यही बात राजे समर्थकों की बेचैनी बढ़ा रही है। सच कहा जाए तो वह राजे के लिए अभी से फ्री हैंड चाहते हैं और उन्हें सीएम का चेहरा घोषित कराने की मांग भी समर्थकों की ओर से जोर शोर से की जा रही है। इसके अलावा पूर्व सीएम के समर्थकों को चिंता है कि अब और ज्यादा देरी की गई तो उनकी नेता की वापसी मुश्किल होती जायेगी, इसलिए उनके लिए यह वक्त करो या मरो का है और वो हर कीमत पर अपनी नेता के सिर पर एक मर्तबा और मुख्यमंत्री का ताज देखना चाहते हैं। इस वजह से राजे समर्थक पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं और इससे प्रदेश नेतृत्व की चिंताएं बढऩा लाजमी हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने जब से कमान संभाली है, तब से राजे उन्हें नजरअंदाज करती हैं। यही नहीं, उनकी बैठकों से उनकी दूरी लगातार बनी हुई है। वर्तमान में जारी घटनाक्रम पर प्रदेश नेतृत्व से लेकर पार्टी आलाकमान की पैनी नजर है। सतीश पूनिया पूर्व सीएम राजे समर्थकों के बयानों को व्यक्तिगत करार दे रहे हैं। विवाद को बातचीत के जरिये थामने के लिए पूनिया पार्टी आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। बहरहाल, वसुंधरा राजे समर्थकों की बैठकों से प्रदेश नेतृत्व खासा नाराज है। कुनबे की कलह को शांत करने के प्रयास हो रहे हैं।

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संगठन महामंत्री पार्टी में मची इस कलह को खत्म करने के लिए राजे समर्थकों को फोन तक कर रहे हैं, तो कहीं पार्टी द्वारा अनुशासन का डर दिखाया जा रहा है या फिर कहीं समझाइश की जा रही है। इस बीच राष्ट्रीय कार्यसमिति की 21 फरवरी को दिल्ली में होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हैं। बैठक में राजे और सतीश पूनिया साथ साथ होंगे। क्या राजस्थान की लड़ाई दिल्ली दरबार की दखल से शांत होगी या फिर प्रदेश की भाजपा का सियासी तूफान और भड़केगा, यह आने वाला सयम ही बताएगा।