
कोरोना प्रतिबंधों के कारण तीन साल तक पश्चिमी कार कंपनियों के अधिकारी चीन के कार उद्योग में हुई प्रगति पर नजर नहीं रख पाए। इसलिए इस बार जब वे शंघाई मोटोर शो में आए, तो भौंचक रह गए। उन अधिकारियों ने अपनी आंखों से देखा कि इस अवधि में चीन के कार उद्योग ने कितनी तेजी से उन्नति की है।
ब्रिटिश अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक खासकर चीनी कंपनियों के कई तरह के इलेक्ट्रिक कार मॉडलों और बैटरी टक्नोलॉजी ने पश्चिमी अधिकारियों को चकित कर दिया। इससे उन्हें यह अहसास हुआ कि अब आगे उनके सामने प्रतिस्पर्धा की कैसी चुनौती है।

जर्मनी के कार उद्योग कंसल्टैंट फैबियन ब्रांड्ट ने फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में कहा कि हमारे सामने सच से सामना करने का वक्त उपस्थित हुआ है। ब्रांड्ट 2019 के बाद पहली बार चीन आए। उन्होंने देखा कि इस बीच की अवधि में चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनियों ने किस तरह स्थानीय बाजार में अपना दबदबा कायम कर लिया है। इसके बाद अब ये कंपनियां अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों को उनके घरेलू बाजार में टक्कर देने के लिए तैयार दिख रही हैं।
चीन दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा बाजार पहले ही बन चुका है। इलेक्ट्रिक कारों के निर्यात के मामले में 2022 में वह जर्मनी से आगे निकल गया। अब अनुमान है कि 2023 में वह जापान को भी पीछे छोड़ कर इस मामले में दुनिया में नंबर एक हो जाएगा। ओलिवर वायमैन नाम की कंसल्टैंसी के प्रमुख ब्रांड्ट ने बताया कि चीन ने कार के इन्फोटैनमेंट फीचर्स में बड़ी उन्नति की है। इन कारों में प्रायोगिक आधार पर कैमरे और सेंसर लगाए गए हैं, जिनसे कारें स्वचालित ड्राइविंग में सक्षम हो जाती हैँ। उन्होंने कहा कि इस रूप में अब चीनी कंपनियां कई स्थापित वैश्विक कंपनियों का बजट बिगाडऩे को तैयार दिख रही हैं।
हाइब्रिड वाहनों की बिक्री तेजी से बढ़ी
चीन में पूरी तरह बैटरी से चलने वाली कारों और प्लग इन हाइब्रिड वाहनों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। 2019 में वहां ऐसी 12 लाख कारें बिकी थीं, जबकि पिछले साल यह संख्या 70 लाख तक पहुंच गई। अब चीनी कंपनियों ने इलेक्टिरक वाहन सप्लाई चेन पर अपना दबदबा कायम कर लिया है। ऐसी कारों में इस्तेमाल होने वाली सबसे महंगी सामग्रियों के 80 फीसदी बाजार पर अब चीन का कब्जा है।
फॉक्सवैगन, जापान से टोयोटा और अमेरिका के फॉर्ड एवं जीएम जैसी कंपनियों को टक्कर दे रही
फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक 2019 में चीनी कंपनियां एक्सपेंग और नियो अभी एक स्टार्टअप ही थीं। लेकिन पांच साल के अंदर अब वे जर्मनी की फॉक्सवैगन, जापान से टोयोटा और अमेरिका के फॉर्ड एवं जीएम जैसी कंपनियों को टक्कर दे रही हैँ। आज दुनिया में इलेक्ट्रिक कार के सबसे ज्यादा बिकने वाले दस में आठ मॉडल चीनी कंपनी बीवाईडी के हैं। इस कंपनी में वॉरेन बुफेट का भी निवेश है।
चीन की बढ़ी भूमिका को देखते हुए शंघाई कार शो के दौरान जर्मन कंपनी फॉक्सवैगन ने चीन के हाफेई में एक बिलियन यूरो के निवेश से एक नया आविष्कार सेंटर खोलने का एलान किया। विश्लेषकों ने कहा है कि इस तरह हाई टेक में चीन को अलग-थलग करने की पश्चिम में चल रही मुहिम को खुद पश्चिमी कंपनियां नाकाम कर रही हैं। इसकी साफ वजह चीन से जुड़ा मुनाफा है।
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