
पिछले करीब डेढ़ साल से चल रहे युक्रेन युद्ध ने किसानों को बड़ी संकट में डाल दिया है। जहां कभी अनाज और सूरज मुखी के खेत लहलाते थे वहां की भूमि बंजर पड़ी है। खेत खलियानों की जगह जगह बड़े बड़े गड्ढे पड़ गए हैं। इससे यूके्रन में अनाज को संकट खड़ा होने लगा है।

बताया जा रहा है कि ऐसे ही हालात चलते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब यूके्रन के लिए यह संकट नहीं बल्कि एक महामारी बन जाएगी। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों, यूक्रेनी सरकार के अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुसार, अनाज के उत्पादन में 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत की कमी हो रही है। वहीं, खराब गुणवत्ता वाली फसलों और संभावित रूप से हजारों दिवालिया होने की उम्मीद जताई है। अधिकारियों के अनुसार, समुद्र के द्वारा अनाज की शिपिंग में भी अड़चनें आ रही हैं।
खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा
यूकेन में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के प्रमुख पियरे वाउथियर ने कहा कि अनाज की फसलों में ‘भारी कमी’ संभावित रूप से वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है। रूस के आक्रमण के एक वर्ष से अधिक समय के बाद, यूक्रेनी कृषि उद्योग को ‘दुनिया की ब्रेडबास्केट’ करार दिया गया है। एफएओ का कहना है कि 90 प्रतिशत कृषि व्यवसायों ने राजस्व को खो दिया है।
घाटे में बेचना पड़ रहा अनाज

दक्षिणी खेरसॉन प्रांत में, आसमान से मिसाइलों और जमीन पर बारूदी सुरंगों के खतरे के बीच, किसानों ने अपनी आजीविका खो दी है। यह क्षेत्र यूक्रेन में सबसे अधिक गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। खेतों से अधिक बुनियादी ढांचे और नागरिक घरों को प्राथमिकता देने के साथ, माइनिंग सेवाएं बहुत अधिक हैं। यूक्रेन के काला सागर बंदरगाहों की रूस की नाकाबंदी ने देश को कई लाभों से वंचित कर दिया है। ईंधन, खाद और गुणवत्तापूर्ण बीजों की ऊंची लागत ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अधिकांश को अपना अनाज घाटे में बेचना पड़ रहा है।
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