
आम तौर पर, प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करने के लिए हाई सोडियम, चीनी और फैस वाले फूड आइटम्स से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी और डायबिटीज को नियंत्रित करना भी इसमें फायदेमंद होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसे लक्षण भी आ सकते हैं, जो प्रीक्लेम्पसिया के लक्षणों को पहचानना कठिन बना सकते हैं। मई महीने को प्रीक्लेम्पसिया जागरूकता के रूप में देखा जाता है।
वहीं 22 मई को विश्व प्रीक्लेम्पसिया दिवस मनाया जाता है। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसका खतरा प्रेग्नेंट महिलाओं में होता है। इसके अलावा अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक ऐसी स्थिति है, जो हाई ब्लड प्रेशर और किडनी डैमेज का कारण बन सकती है।
डाइट और प्रीक्लेम्पसिया के रिस्क फैक्टर
प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ाने के लिए पूरी तरह से डाइट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अनहेल्दी डाइट के अलावा इसके खतरे को बढ़ाने के लिए कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। मोटापे को कुछ हद तक प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम के रूप में देखा जाता है। हालांकि, इसके अलावा भी कई स्थितियां हैं, प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को अधिक बना सकती हैं।
डायबिटीज

- किडनी डिजीज
- क्रॉनिक हाई ब्लड प्रेशर
हालांकि, ये स्थितियां प्रीक्लेम्पसिया के खतरे के बढऩे की गारंटी नहीं देता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी से पहले हाई ब्लड प्रेशर या फिर अनियंत्रित डायबिटीज के मरीजों के लिए ये जोखिम को काफी बढ़ा सकता है।
एक अध्ययन में प्रीक्लेम्पसिया और गर्भवती महिलाओं के डाइट पर डेटा की जांच की गई और पाया गया कि कुछ विटामिन और पोषक तत्व इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा सही डाइट के जरिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और सूजन को कम करने में भी मदद मिल सकती। उन्होंने यह भी नोट किया कि देर से गर्भ धारण करने में प्रोबायोटिक के सेवन के सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकते हैं,लेकिन साथ में यह भी स्वीकार किया कि ये अभी और शोध का विषय है।
इसके अलावा रिसर्चर्स ने पाया कि कैल्शियम भी एक अन्य पोषक तत्व है, जो प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम से बचा सकता है। जबकि विटामिन डी के प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करने से जुड़े होने को लेकर स्थिति साफ नहीं हैं, फिर भी गर्भावस्था के दौरान देल्दी डाइट के हिस्से के रूप में विटामिन डी को लेने की सलाह दी जाती है।
वहीं कुछ फूड्स प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जिससे बीपी, कोलेस्ट्रॉल, सूजन और डायबिटीज पर उनका प्रभाव पड़ सकता है। अधिक नमक, चीनी और फैट से भरपूर डाइट प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम से जुड़े हुए हैं, जो रेड और प्रोसेस्ड मीट, तले हुए आलू, व्हाइट ब्रेड और अचार से फूड्स के अधिक सेवन से हो सकते हैं।
प्रीक्लेम्पसिया से रोकथाम में कौन से फूड्स फायदेमंद हैं?

शोधकर्ताओं ने मेडिटेरेनियन डाइट को प्रेग्नेंट महिलाओं या जो प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं उनके लिए फायदेमंद पाया है। मेडिटेरेनियन डाइट में फलों, सब्जियों, फलियों और हेल्दी फैट वाले फूड्स शामिल हैं, जो अनहेल्दी फैट, नमक और चीनी में कम हों।
आम तौर पर, प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करने के लिए हाई सोडियम, चीनी और फैस वाले फूड आइटम्स से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी और डायबिटीज को नियंत्रित करना भी इसमें फायदेमंद होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसे लक्षण भी आ सकते हैं, जो प्रीक्लेम्पसिया के लक्षणों को पहचानना कठिन बना सकते हैं।
ऐसे में महिलाओं को यह याद दिलाना जरूरी है कि ये सभी डाइट जोखिम को कम कर सकते हैं, लेकिन संभावना को पूरी तरह से खत्म नहीं करते। वहीं कुछ मामलों में पहले से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया का खतरा होगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं देता।
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