
11 अप्रैल को वल्र्ड पार्किंसंस डे है। पर्किंसंस डिजीज नर्वस सिस्टम में धीरे-धीरे बढऩे वाला एक डिसऑर्डर है, जिससे पूरे शरीर की गतिविधि प्रभावित होती है। इसके लक्षणों में कंपकंपी, धीमी गतिविधि, सख्त मांसपेशियां, शरीर की असाधारण मुद्रा और संतुलन, स्वाभाविक गतिविधियों पर विराम, बोली में बदलाव, लिखावट में बदलाव आदि शामिल हैं। सभी रोगियों में इसके लक्षण अलग-अलग नजर आते हैं। अक्सर इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को पता नहीं होता कि उन्हें अपनी डाइट में क्या शामिल करना चाहिए। इस बीमारी में कुछ भी खाने से इसके लक्षणों में इजाफा हो सकता है। चूंकि, यह नर्वस सिस्टम से संबंधित एक डिसऑर्डर है, ऐसे में पार्किंसंस के रोगियों को अपनी डाइट में उन चीजों को अधिक शामिल करना चाहिए जो मस्तिष्क की सेहत को बूस्ट रखें। इसके लिए आप किसी डाइटिशियन से सलाह ले सकते हैं।
पार्किंसंस डिजीज के मरीज को कैसी डाइट लेनी चाहिए?

डॉ. सात्विक आर शेट्टी के मुताबिक पार्किंसंस डिजीज एक गंभीर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का मूवमेंट प्रभावित होता है और यह बीमारी दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है। यह तब होता है जब दिमाग में डोपामाइन बनाने वाले न्यूरॉन्स खराब होने लगते हैं। इस बीमारी को मैनेज करने सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक पोषण है और डाइटीशियन की सलाह से इसमें काफी मदद मिल सकती है।
पार्किंसंस डिजीज के मरीजों के लिए डाइट टिप्स
पार्किंसंस के मरीज एक बैलेंस्ड डाइट फॉलो करने की सलाह दी जाती है, जिसमें पोषक तत्व वाले फूड्स ज्यादा हों और पैश्चराइज्ड फूड आइटम्स कम हो। इसमें चीनी, नमक, सोडियम, फैट, सैचुरेटेड फैटे और कोलेस्ट्रॉल के सेवन को सीमित करते हुए सभी फूड ग्रुप्स के फूड आइटम को शामिल करें। एंटीऑक्सिडेंट युक्त फल और सब्जियां खाएं। ताजी सब्जियों और फल के अलावा मेवे और बीज, जैतून का तेल, नारियल का तेल, बिना तली हुई मछली और फ्रेश हब्र्स को भी शामिल करें क्योंकि ये फूड आइटम्स पार्किंसंस डिजीज की ग्रोथ रेट से जुड़े हैं।
पैक्ड फल और सब्जियों, डाइट और नॉन-डाइट सोडा, फ्राइड फूड्स, आइसक्रीम, दही, और पनीर को खाने से बचें या कम करें क्योंकि ये फूड्स पार्किंसंस डिजीज को बढ़ाने का कारण बन सकते हैं। हालांकि, कैलोरी कम करने से कुपोषण को बढ़ावा मिल सकता है। इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि मरीज कुपोषण के जोखिम को कम करने के लिए प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोत के रूप में बीन्स, नट्स, बीज और कैल्शियम से भरपूर खाने को शामिल करे जैसे बादाम, हरी पत्तेदार सब्जियां और टोफू लें।
दिनभर खूब सारा पानी और दूसरी लिक्विड चीजें पीते रहें क्योंकि पार्किंसंस रोग की दवाएं डिहाइड्रेट कर सकती हैं, जिससे आप अधिक थका हुआ महसूस करेंगे। धीरे-धीरे डिहाइड्रेशन आपके कंफ्यूजन को बढ़ा सकता है संतुलन की कमी आ सकती है और कमजोरी और किडनी की परेशानी भी हो सकती है।
पार्किंसंस कब्ज पैदा कर सकता है, जो असुविधाजनक और दर्दनाक भी हो सकता है। ताजे फल और सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां और रोटी जैसे फाइबर से भरपूर डाइट लेने से नियमित मल त्याग में आसानी होती है, जिससे डाइजेशन में सुधार करने में मदद मिलती है। खूब सारे लिक्विड चीजें पीने और व्यायाम करने से भी कब्ज से बचने में मदद मिल सकती है। कोएंजाइम क्त10 और मछली के तेल जैसे पोषक तत्वों की खुराक से पार्किंसंस डिजीज की गति को धीमा करने में मदद मिल सकती है।
इस बात का जरूर ध्यान रखें कि दवाएं डाइट के साथ मिलकर कैसे रिएक्ट कर रही हैं। कार्बिडोपा-लेवोडोपा स्मॉल इंटेस्टाइन में अवशोषित होते हैं। अगर हाई प्रोटीन वाले डाइट के तुरंत बाद दवाएं ली जाती हैं, तो इसमें परेशानी आ सकती है क्योंकि इसमें दोनों की प्रक्रिया एक है। इसलिए डॉक्टर के द्वारा बताए गए समय पर ही दवाएं लेने की सलाह दी जाती है।
क्या पार्किंसंस को डाइट के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है?

एक हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। इसके अलावा एक हेल्दी डाइट दवा की प्रभावशीलता को भी बढ़ा देती है। इससे पार्किंसंस डिजीज से जुड़े कुछ लक्षणों को संभावित रूप से कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इसे मैनेज करने के लिए कोई एक विशेष डाइट प्लान नहीं है क्योंकि यह पेशेंट की उम्र, लिंग और कंडीशन जैसे हाई बीपी, डायबिटीज, फूड एलर्जी समेत अन्य कारण पर निर्भर करता है। साथ ही, पार्किंसंस डिजीज के लिए दवाओं के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिनके लिए डाइट में बदलाव करना पड़ सकता है।
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