एक ऐसी जगह जहां प्रेमी जोड़ों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान

देशभर मेें आए दिन प्रेमी जोड़ों की हत्या की खबरें सुनने को मिलती रहती है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में किसी दूसरे धर्म में या परिवार की बिना रजमंदी के शादी करना अच्छा नहीं माना जाता और इसी प्रथा की भेंट हर साल तमाम प्रेमी जोड़ों की हत्या कर दी जाती है। अपने परिजनों से जान की डर के वजह से तमाम प्रेमी जोड़े घर छोड़कर भाग जाते हैं बावजूद इसके उन्हें पकड़ कर तरह तरह की यातनाएं दी जाती हैं। आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जो घर से भागे प्रेमी जोड़ों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है।

जहां न उन्हें समाज का कोई डर रहता और ना ही किसी के पकड़े जाने का। यही नहीं यहां के लोग किसी मेहमान की तरह ही उनकी आव भगत भी करते हैं. हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के कुल्ली में बसे शंगचूल महादेव मंदिर की। जो प्रेमी जोड़ों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के शांघ? गांव में यह परंपरा है। इस गांव में शंगचूल महादेव की सीमा तक अगर कोई प्रेमी जोड़ा पहुंच जाता है तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। इस गांव में भागकर आए प्रेमी जोड़े को रहने खाने की उचित व्यवस्था की जाती है।

साथ ही उनकी जमकर मेहमान नवाजी होती है। गांव के लोग देवता के आदेशों के तहत इन लोगों की रक्षा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास में इस इलाके में पहुंचे तो लोगों ने उन्हें यहां शरण दी। लेकिन उनका पीछा करते हुए कौरव भी यहां पहुंच गए। जिसके बाद शंगचूल महादेव ने उन्हें गांव में घुसने से रोक दिया। महादेव ने कहा यहां जो मेरी शरण में आएगा उसकी रक्षा मैं करूंगा।

उसके बाद आज सदियां बीत जाने के बाद भी यहां यही परंपरा चली आ रही है और इस गांव के लोग इसी परंपरा के मुताबिक भागे हुए प्रेमी जोड़ों की हिफाजत करते हैं। यही नहीं इस गांव में पुलिस को भी इंट्री नहीं मिलती और ना ही कोई मांस, शराब, चमड़े के सामान को इस गांव में ला सकता है।

यह भी पढ़ें-एक गांव ऐसा भी, जहां खंभों पर तारो का नहीं पानी के पाइपों का जाल

बताया जाता है कि पांडवों का पीछा करते हुए जब कौरव इस गांव में पहुंच गए तो महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए। इसके बाद से यहां परंपरा शुरू हो गई और यहां आने वाले भक्तों को पूरी सुरक्षा मिलने लगी। कहते हैं कि जब तक मामले का निपटारा न हो जाए ब्राह्मण समुदाय के लोग यहां आने वालों की पूरी आव भगत करते हैं।

उनके रहने से खाने तक की पूरी जिम्मेवारी यहां के लोग ही उठाते हैं। इस गांव मेें कोई व्यक्ति हथियार लेकर प्रवेश नहीं कर सकता। यही नहीं किसी से ऊंची आवाज में बात करना भी इस गांव में निषेध है। यहां देवता का ही फैसला मान्य होता है।