क्षमा रूपी धर्म की करें आराधना : आचार्य महाश्रमण

पूज्यचरणों में ‘ए डॉयलाग विद आचार्यश्री महाश्रमण’ संगोष्ठी का हुआ आयोजन

जयपुर। अरबन विलेज में प्रवास के दूसरे दिन रविवार को भी अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में श्रद्धालुओं के पहुंचने और दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने का क्रम पूरे दिन जारी रहा। इस आवासीय परिसर में आयोजित प्रात:कालीन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने वर्चुअल रूप से पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि धर्म के अनेक प्रकार बताए गए हैं। उनमें से एक है-क्षमा। क्षमा को धर्म बताया गया है। संस्कृत के एक दोहे में क्षमा को खड्ग बताया गया है। यह क्षमा रूपी खड्ग जिस आदमी के हाथ में हो भला उसका दुर्जन क्या बिगाड़ पाएगा। दुनिया में वैर भाव के कारण लोहे से बने शस्त्रों से युद्ध होता है। इसमें द्रव्य शस्त्रों के माध्यम से एक-दूसरे पर विजय पाने का प्रयास भी किया जाता है। जहां परिग्रह है, वहां हिंसा होती है। परिग्रह और हिंसा का मानों कोई गहरा सम्बन्ध है। हिंसा कार्य है और परिग्रह उसका कारण। आदमी को अपने जीवन में द्रव्य शस्त्रों के द्वारा नहीं, मैत्री और मार्दव रूपी शस्त्र से दूसरे को जीतने का प्रयास करना चाहिए। किसी के मन को मार्दव रूपी शस्त्र से जीता जा सकता है। खुद की अहिंसा से सामने वाले को झुकाया जा सकता है। जीवन में क्षमा का बहुत महत्त्व है। जीवन में असफलता का एक कारण गुस्सा भी हो सकता है। इसलिए आदमी को क्षमा को धारण करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी में क्षमा की भावना का विकास हो और वाणी मिष्ट हो तो किसी के भी मन को जीता जा सकता है। क्षमा की साधना कर आदमी मुक्ति की दिशा में भी आगे बढ़ सकता है।

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त जयपुर महिला मण्डल और डागा परिवार की महिलाओं द्वारा गीत का संगान किया गया। डागा परिवार की महिलाओं ने संकल्प रूपी भेंट अर्पित किया तो आचार्यश्री ने सभी को त्याग कराया। तेरापंथी सभा-जयपुर के अध्यक्ष नरेश मेहता, मंत्री पन्नालाल पुगलिया, शशि लोढ़ा, जतन पारख, दौलत डागा, सरिता डागा व उमेश भण्डारी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। संजय भानावत ने गीत का संगान कर पूज्यचरणों में अपनी पुस्तक को लोकार्पित किया तो आचार्यश्री ने उन्हें पावन पाथेय प्रदान किया। दलपत लोढ़ा ने गीत का संगान किया। श्री रतन जैन ने काव्यपाठ के द्वारा अपनी हृदयाभिव्यक्ति दी।

मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम के उपरान्त दोपहर डेढ़ बजे अरबन विलेज परिवार द्वारा ‘ए डॉयलाग विद आचार्यश्री महाश्रमण’ नामक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री के मुख्यसचिव कुलदीप रांका, पुलिस महानिदेशक-राजस्थान मोहनलाल लाठर, पूर्व लोकायुक्त सज्जनसिंह कोठारी, महावीर विकलांग समिति (जयपुर फुट) के अध्यक्ष डी.आर. मेहता, पूर्व महानिदेशक मनोज भट्ट, नवदीप सिंह, कपिल गर्ग, पूर्व शिक्षा सचिव श्री राजेन्द्र भानावत, आईएएस सेटेलमेंट विभाग के महेन्द्र पारख, पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेट्री आर.पी. जैन, पुलिस महानिरीक्षक जयनारायण, शरद कविराज, टूरिज्म विभाग के डायरेक्टर निशांत जैन, ट्रान्सपोर्ट विभाग के कमिश्नर रवि जैन, हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोवर्धन सिंह, अखिल भरतीय माहेश्वरी महिला मण्डल की अध्यक्ष कल्पना ईनानी सहित अनेकानेक उच्च प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति, शिक्षाविद्, जज, अधिवक्ता आदि की विशिष्ट उपस्थिति थी। आचार्यश्री ने सभी को जन्म-मृत्यु और जीवन जीने की विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि गृहस्थ जीवन में पूर्णतया अहिंसक और परिग्रह का त्याग न हो तो भी आदमी चार बातों का ध्यान दे ले तो भी मोक्ष की दिशा में गति कर सकता है। इनमें सबसे पहला है-ईमानदारी। आदमी के व्यवहार में ईमानदारी रहे। आदमी चाहे किसी पद पर रहे, घर में रहे, व्यवसाय में रहे, प्रतिष्ठान में रहे, परिवार में रहे ईमानदारी बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। ईमानदारी का मार्ग कठिन हो सकता है, किन्तु उसकी मंजिल अच्छी हो सकती है। दूसरी बात है आदमी को अहिंसात्मक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। बिना मतलब किसी दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहिए। तीसरी बात है कि आदमी को अपने जीवन में संयम रखने का प्रयास करना चाहिए। चौथी बात है कि आदमी को ध्यान-साधना के माध्यम में समय का नियोजन कर मोक्ष की दिशा में गति की जा सकती है।

मंगल प्रवचन के उपरान्त वरिष्ठजनों ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी जिज्ञासा प्रस्तुत की तो आचार्यश्री ने सभी की जिज्ञासाओं का समाधान भी प्रदान किया। आचार्यश्री के प्रवचन श्रवण, दर्शन व मंगल मार्गदर्शन प्राप्त कर सभी अभिभूत नजर आ रहे थे। इसके पूर्व मुनि कुमारश्रमणजी ने आचार्यश्री, अहिंसा यात्रा आदि के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन पूर्व डीजीपी राजीव दासौत ने किया। उमेश भण्डारी ने आभार ज्ञापित किया। कुछ समय पश्चात् आचार्यश्री अरबन विलेज में दो दिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर अपने ज्योतिचरण सान्ध्यकालीन विहार के लिए गतिमान किए तो विलेज परिसर से जुड़े श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री लगभग चार किलोमीटर का विहार कर चिरोटा स्थित दिलीप इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रांगण में पधारे। संबंधित लोगों व कार्यकर्ताओं ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया। यहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ।