आचार्य महाश्रमण ने जोगणियां माताजी में साढ़े चार दशक पूर्व हुए अहिंसात्मक आंदोलन को सराहा

बीकानेर। देश में अहिंसा की अलख जगाने अहिंसा यात्रा पर निकले आचार्य महाश्रमण का शुक्रवार को बेगूं से जोगणियां माता में पदार्पण हुआ। करीब 46 साल पहले जोगणियां माता में पशु बलि बंद कर अहिंसात्मक आंदोलन की जानकारी पर आचार्य श्री ने आंदोलन को सराहा। पशु बलि निषेध आंदोलन में प्रमुख रहे शक्ति पीठ संस्था के अध्यक्ष भंवरलाल जोशी को आशीर्वाद देते मांगलिक सुनाया।

श्वेताम्बर जैन तेरापंथ धर्मसंघ आचार्य महाश्रमण ने अपने एक दिवसीय बेगूं प्रवास के बाद शुक्रवार सुबह कस्बे से विहार किया। आचार्य श्री की अहिंसा यात्रा मेवाड़ के बेगूं में संपन्न हुई। अब हाड़ौती में अहिंसा यात्रा शुरू होगी। बेगूं से आचार्य महाश्रमण और उनकी धवल सेना का बैण्ड बाजों के साथ विहार हुआ। आचार्य श्री पाछुंदा, श्रीनगर होते हुए दोपहर बाद जोगणियां माता पहुंचे।

तेरापंथ धर्मसंघ के नेमीचंद डांगी ने बताया कि ठुकराई, चंदाखेड़ी, तारापीपली, शादी, पालका, पाछुंदा आदि के ग्रामीणों ने आचार्य महाश्रमण के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। आचार्य के दर्शन के लिए जगह-जगह श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ठुकराई स्कूल में विश्राम के दौरान सवाईमाधोपुर से पांच बसों में श्रावक श्राविकाएं आचार्य श्री के दर्शन के लिए पहुंचे।

आचार्य महाश्रमण जोगणियां माताजी पहुंचे तो शक्ति पीठ विकास और प्रबंध संस्था के सत्यनारायण जोशी, रामसिंह, प्रेमचंद धाकड़, कन्हैयालाल धाकड़, शांति लाल धाकड़, ललित चौधरी, राजू, महावीर जैन, शंकरलाल धाबाई, भरत बैरवा आदि ने आचार्य का स्वागत किया। सत्यनारायण जोशी ने जोगणियां माता स्थित गौशाला, मंदिर निर्माण और यहां की व्यवस्थाओं की जानकारी दी। आचार्य ने शुक्रवार को जोगणियां माता में विश्राम किया, वे शनिवार सुबह कोटा के लिए विहार करेंगे।

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