
चूरू। आचार्य तुलसी के जन्मोत्सव पर कालू कल्याण केन्द्र में प्रतिभा सम्मान समारोह हुआ। सेवाकेंद्र व्यवस्थापक मुनि पृथ्वीराज के सानिध्य में अणुव्रत समिति की ओर से हुए कार्यक्रम में सूरजमल बुच्चा की स्मृति में हाल ही में हुई निबंध प्रतियोगिता में अव्वल रही प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। अध्यक्षता चंदा बुच्चा ने की। रतनगढ़ विधायक अभिनेष महर्षि मुख्य अतिथि थे। मुनि पृथ्वीराज ने णमोकार मंत्र व महिला मंडल ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी।
अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रदीप ने आयोजकीय पृष्ठभूमि की जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष माणक नाहटा, तेरापंथ सभाध्यक्ष विजयसिंह सेठिया, पूर्व अध्यक्ष भानुकुमार नाहटा, रेखाराम गोदारा, देवाराम सिद्ध, नानगराम तापडिय़ा, चैनरूप दायमा, बिमला देवी नाहटा, अमरावदेवी चोरडिया, भाजपा अध्यक्ष जयराम जांगिड़ व पालिकाध्यक्ष श्रवण माली थे। अतिथियों ने प्रथम रही छात्रा सीता कंवर, द्वितीय मानव बिहानी व तृतीय रही टीना जाट सहित अन्य को पुरस्कार दिए। कन्या मंडल संयोजिका मनीषा बैद, साक्षी बैद, विनोद नाहटा, ज्योति दूधोडिया, सूरजमल नाहटा ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन साक्षी बैद व सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराणा ने किया।

राजलदेसर. तेरापंथ भवन में आचार्य महाश्रमण की शिष्या डॉ. साध्वी परमयशा के सान्निध्य में गुरुदेव तुलसी का जन्मदिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। नमस्कार महामंत्र से शुरु हुए कार्यक्रम में डॉ. साध्वी परमयशा ने कहा कि गुरुदेव की अध्यात्म निष्ठा, आगम निष्ठा, आत्म निष्ठा का जितना गौरव गाएं उतना कम है। साध्वी कुमुद प्रभा ने मंगलाचरण किया। दूसरे चरण में अणुव्रत समिति के नव नियुक्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने शपथ दिलाई गई।
निवर्तमान अध्यक्ष लाभचंद सोनी ने अध्यक्ष शंकरलाल सोनी व अन्य पदाधिकारियों को शपथ दिलाई। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, युवक परिषद्, कन्या मंडल, किशोर मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों को तुलसी साहित्य का नजारा दिखाया गया। कन्या मंडल की मीनाक्षी बुच्चा व आरती बैद ने साहित्य सुमन का परिचय दिया। संचालन साध्वी विनम्र यशा ने किया।
सुजानगढ़. दस्सानी भवन में आचार्य तुलसी के 108वां जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। महिला मंडल ने गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। साध्वी संघप्रभा ने अपने उदबोधन में कहा कि तुलसी के जीवन मे द्वंद था। उनमें सूर्य सा तेज तो चंद्रमा सी शीतलता थी। मोहनलाल सुराणा, सरोज बैद, दिव्या सेठिया, रेखा राखेचा, हेमराज राखेचा ने विचार व्यक्त किए। साध्वी चैतन्यप्रभा के वक्तव्य से समापन हुआ। संचालन साध्वी प्रांशुप्रभा ने किया।