
जानें कब मिलेगी कार की डिलीवरी
यदि आप धनतेरस पर कार खरीदने की योजना बना रहे हैं तो थोड़ा ठहर जाएं क्योंकि आप से पहले चार लाख लोग कतार में कार की डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में आपको कार की डिलीवरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। बहुत ज्यादा मांग के कारण, डीलरों ने खरीदारी के लिए बेहद खास इस शुभ दिन के लिए इंस्टेंट (तत्काल) बुकिंग लेना बंद कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उद्योग के सूत्रों का कहना है कि, 23 अक्तूबर को धनतेरस के मौके पर डिलीवरी पाने के लिए चार लाख से ज्यादा ग्राहकों ने अपनी पसंदीदा कारों की बुकिंग पहले ही कर ली है। हालांकि, बेस्ट सेलिंग कारों पर वेटिंग पीरियड भी काफी तेजी से बढ़ रहा है।
कार घर लाने के लिए भाग्यशाली

जिन लोगों ने अपनी कार बहुत पहले से बुक कर ली थी, वे धनतेरस के दिन अपने सपनों की कार घर लाने के लिए भाग्यशाली हो सकते हैं। ज्यादातर बेस्ट-सेलिंग कारों का वेटिंग पीरियड 65 हफ्ते से ज्यादा है। मिसाल के तौर पर, महिंद्रा के सबसे ज्यादा बिकने वाले मॉडल एक्सयूवी 700 एसयूवी का वेटिंग पीरियड लगभग 66-68 हफ्ते है। एक्सयूवी 500 एसयूवी के कुछ मॉडलों का वेटिंग पीरियड 7-27 हफ्ते है, जबकि थार डीजल का वेटिंग पीरियड 23-25 हफ्ते चल रहा है और बोलेरो डीजल के लिए भी भी 10 हफ्ते तक इंतजार करना होगा।

टाटा मोटर्स की कारों की बात करें तो, इसकी सबसे ज्यादा बिकने वाली एसयूवी टाटा नेक्सन का वेटिंग पीरियड 16 से 20 हफ्ते है जो मॉडल के विभिन्न वैरिएंट्स पर निर्भर करती है। जबकि टाटा पंच के लिए 24 से 26 हफ्ते तक का वेटिंग पीरियड है। वहीं, निसान मैग्नाइट का वेटिंग पीरियड 10-12 हफ्ते है, जो कि लगभग मारुति ब्रेजा, ग्रैंड विटारा और किआ सेल्टोस के जितना ही है।

ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री ने इस साल नवरात्रि के दौरान 26 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच कुल 5,39,227 वाहनों की बिक्री देखी। इस त्योहार के दौरान 1,10,521 यात्री वाहनों और 3,69,020 दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई।

उच्च मांग के बावजूद, वाहन बिक्री के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल नवरात्रि-दशहरा और धनतेरस-दिवाली के उत्सव की अवधि के दौरान देश के वाहन निर्माताओं के लिए लगभग एक दशक में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
इस बार मांग धीमी रही

नवरात्रि से दीवाली तक के मुख्य त्योहारी सीजन में पर्सनल मोबिलिटी (व्यक्तिगत गतिशीलता) सेगमेंट में सबसे ज्यादा मांग और बिक्री देखी जाती है। हालांकि, इस बार मांग धीमी रही, खासकर उत्तर भारत में।
इन 30 दिनों की अवधि के दौरान वाहनों के पंजीकरण में पिछले वर्ष के फेस्टिव सीजन की अवधि की तुलना में दोहरे अंकों में भारी गिरावट आई है। इसके लिए कच्चे माल की कमी और वैश्विक सप्लाई चेन जैसी समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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