
नीट के इतिहास में पहली बार पूरे अंक प्राप्त कर एलन स्टूडेंट ने रचा इतिहास
एलन के टॉप 10 में 4 स्टूडेंट्स
कोटा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा देश की सबसे बड़ी व एकमात्र मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-2020 का परिणाम शुक्रवार को जारी कर दिया। परिणामों में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट एक बार फिर से सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं। नीट के इतिहास में पहली बार एलन के क्लासरूम स्टूडेंट शोएब आफताब ने पूरे अंक 720 में से 720 प्राप्त करने का कीर्तिमान स्थापित किया है। निदेशक राजेश माहेश्वरी ने बताया कि एलन का ध्येय हर बार श्रेष्ठ परिणाम देना रहा है। इन परिणामों में नीट में पहली बार ऐसी कामयाबी हासिल की गई है जो पहले कभी नहीं की गई।
एलन के क्लासरूम स्टूडेंट शोएब आफताब ने 720 में से 720 यानी 100 पर्सेन्ट अंक प्राप्त किए हैं। कोटा रहकर पढ़ने वाला शोएब अपनी सफलता के प्रति इतना जुनूनी रहा कि ओडिशा के राउरकेला से आने के बाद ढाई साल तक घर ही नहीं गया। लॉकडाउन में भी यहीं रहकर रिवीजन किया और खुद को मजबूत किया।
माहेश्वरी ने बताया कि रिजल्ट जारी होने के बाद वेबसाइट क्रेश होने के कारण पूरे रिजल्ट नहीं देख पाए हैं। अभी तक सिर्फ यही पता चल सका है कि शोएब के अलावा एलन के क्लासरूम स्टूडेंट मानित मात्रवड़िया ने आल इंडिया रैंक 10 प्राप्त की है। मानित ने 720 में से 710 अंक प्राप्त किए। इसके अलावा दूरस्थ शिक्षा से एलन से जुड़ी तुम्मला स्निक्ता ने एआईआर-3 तथा विनीत शर्मा ने आल इंडिया रैंक-4 हासिल की।
13 सितम्बर को हुई नीट-यूजी-2020 में लगभग 15 लाख 93 हजार स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन करवाया था तथा 14 लाख 37 हजार के करीब स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल हुए थे। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कोविड-19 पॉजिटिव स्टूडेंट्स की परीक्षा 14 अक्टूबर को संपन्न हुई। 13 सितम्बर तथा 14 अक्टूबर के सम्मिलित परिणाम 16 अक्टूबर को जारी किए गए। अंक तालिका के अनुसार सामान्य, सामान्य ईडब्ल्यूएस की न्यूनतम कटऑफ 50 पर्सेन्टाइल पर 147 अंक रही, इस कैटेगिरी में 6 लाख 82 हजार 406 स्टूडेंट्स शामिल हैं। इसके साथ ही ओबीसी में न्यूनतम कटऑफ 40 पर्सेन्टाइल पर 113 अंक रही, इस कैटेगिरी में 61 हजार 265 स्टूडेंट्स शामिल हुए। इसी प्रकार एससी वर्ग में न्यूनतम कटऑफ 40 पर्सेन्टाइल पर 113 अंक रही, 19 हजार 572 स्टूडेंट्स रहे, एसटी वर्ग में भी 40 पर्सेन्टाइल पर 113 अंक की न्यूनतम कटऑफ में 7837 स्टूडेंट्स शामिल हुए।
ये रही न्यूनतम कटऑफ
परिवार में पहला डॉक्टर बनेगा शोएब
नीट के पहले ही प्रयास में हासिल किए पर्फेक्ट-720
शोएब आफताब, राउरकेला (ओडिशा)
पिता : शेख मोहम्मद अब्बास (व्यवसायी)
माता : सुल्ताना रिजया (गृहिणी)
जन्मदिनांक – 23 मई 2002
कोचिंग : एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के क्लासरूम स्टूडेंट शोएब आफताब ने 720 में से 720 अंक तथा आल इंडिया रैंक-1 प्राप्त की। इसके साथ ही शोएब अपने परिवार में पहला है जो मेडिकल की पढ़ाई करेगा और डॉक्टर बनेगा। शोएब ने बताया कि डॉक्टर बनना सपना था जो अब साकार होने जा रहा है। वर्ष 2018 में सिटी कोटा आया और एलन में एडमिशन लिया। यहां मुझे बेस्ट कॉम्पीटिशन मिला और मैंने अपना बेस्ट देने की कोशिश की। मैं कोटा में अपनी मां और छोटी बहिन के साथ पीजी में रहता था। इसी वर्ष 12वीं में 95.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। केवीपीवाई में ऑल इंडिया 37वीं रैंक एवं 10वीं में 96.8 प्रतिशत अंक थे। एलन के टीचर्स की गाइडेंस से ही मैंने यह सफलता प्राप्त की है। लॉकडाउन का फायदा यह मिला कि मैं रुका नहीं, मैंने अपनी कमजोरियां दूर की, मैं नीट के सिलेबस में कमजोर टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज करता गया। इससे डाउट्स भी सामने आते गए। जो टॉपिक्स मजबूत थे, उन पर ज्यादा फोकस नहीं किया। कोचिंग के दौरान क्लासरूम का होमवर्क डेली करता था और तीनों विषयों को बराबर समय देता था। मैं रोजाना शेड्युल बनाकर पढ़ाई करता हूं, हर सब्जेक्ट को अलग-अलग समय देता हूं। एलन के मोड्यूल्स और वीकली टेस्ट से काफी हेल्प मिली। वाट्सअप का उपयोग फैकल्टीज से डाउट्स आदि पूछने के लिए करता था।
लॉकडाउन में भी घर नहीं गया
शोएब अपने लक्ष्य के प्रति कितने गंभीर हैं यह इस बात से पता चलता है कि एक बार घर से कोटा आने के बाद ढाई साल तक शोएब घर नहीं गया। कई मामले आए जब पापा ने कहा घर आ जाओ कुछ दिन लेकिन मैं नहीं गया। दीपावली व ईद की छुट्टियां भी थी लेकिन मैं कोटा ही रहा और पढ़ाई में व्यवधान नहीं आने दिया। कोराना काल में भी कोटा में ही रहा, लॉकडाउन में भी जब सब घर गए तो मैं यही ंरूका, इससे मेरी तैयारी और अच्छी हो गई। मैंने सारा रिवीजन कर लिया। कोटा से बेहतर आईसोलेटेड फैसिलिटी आपको कहीं नहीं मिल सकती। मम्मी साथ रहती है इसलिए खाने-पीने की परेशानी नहीं आई। वैसे भी बोर्ड एग्जाम के बाद इतना समय नहीं मिल पाता कि नीट के पूरे सिलेबस को रिवाइज कर लिया जाए। इसलिए मैंने लॉकडाउन के 5 महीनों का पूरा उपयोग किया। टॉपिक्स का मल्टीपल रिवीजन किया ताकि कहीं कोई गुंजाइश नहीं रह जाए।
लाइलाज बीमारी का इलाज ढूंढना चाहता हूं
लाइलाज बीमारी का इलाज ढूंढना चाहता हूं शोएब ने बताया कि एम्स से एमबीबीएस करने के बाद कार्डियोलॉजी में स्पेशलिस्ट बनना चाहता हूं। इसके साथ ही एक और सपना है कि मैं ऐसी बीमारियों का इलाज ढूंढना चाहता हूं जो जिनका इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है, ऐसी रिसर्च के क्षेत्र में जाना चाहता हूं।
इसलिए बनना चाहता हूं डॉक्टर
शोएब ने बताया कि हमारे मम्मी और पापा दोनों के परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। पिता बिल्डिंग शेख मोहम्मद कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं और बीकॉम तक पढ़े हैं। मां सुल्ताना रिजया गृहिणी हैं और बीए पास हैं। दादा बेकरी चलाया करते थे। मेरी रूचि भी साइंस में थी और मेडिकल क्षेत्र में जाना चाहता था, पापा भी कहते थे कि मेडिकल की तैयारी करो डॉक्टर बनो तो मैंने बॉयलोजी ली।
बॉयलोजी के साथ-साथ मैथ्स की भी पढ़ाई
शोएब ने बॉयलोजी के साथ-साथ मैथ्स की भी पढ़ाई की। अपनी फिजिक्स और कैमेस्ट्री स्ट्रांग करने के लिए जेईई स्तर की तैयारी की। शोएब ने जेईई-मेंस की परीक्षा भी दी और उसमें 99.7 पर्सेन्टाइल भी हासिल किए। शोएब ने कहा कि जेईई-मेंस देने से मुझमें कान्फीडेंस आया और मैं और अच्छा परफोर्म कर सका।
कल पर कुछ नहीं छोड़ता, हर डाउट को क्लीयर करता हूं
मानित मात्रवड़िया
नीट रैंक – एआईआर-10
पिता- डॉ.चिराग मात्रवड़िया
मां- डॉ.आशा मात्रवड़िया
जन्म दिनांक – 22 अप्रेल 2002
इंस्टीट्यूट – एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट
गुजरात के राजकोट निवासी एवं एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के क्लासरूम स्टूडेंट मानित मात्रवड़िया ने नीट में ऑल इंडिया-10 रैंक तथा 720 में से 710 अंक प्राप्त किए। मानित ने बताया कि पिछले दो सालों से एलन में पढ़ाई कर रहा हूं। यहां का माहौल बहुत अच्छा है, फैकल्टीज का सपोर्ट मेरे लिए महत्वपूर्ण रहा। मैंने नीट में सक्सेस के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्ट दिए और मैं अपने टेस्ट का एनालिसिस खुद करता था, जितने घंटे का टेस्ट होता था, उससे ज्यादा समय मुझे उसके एलनालिसिस में लग जाते थे। मैंने 10वीं कक्षा में 97.6 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 98.6 प्रतिशत अंकों से पास की थी। इसके अलावा केवीपीवाय 12वीं में ऑल इंडिया 21वीं रैंक प्राप्त कर चुका हूं। मानित ने बताया कि प्लानिंग के साथ पढ़ाई करता हूं, जो भी डाउट्स सामने आते थे, उन्हें उसी समय फैकल्टीज से क्लीयर करता था। डेली होमवर्क करता था। कुछ भी टॉपिक या डाउट्स आलस्य में कल पर नहीं छोड़ता था, क्योंकि एक बार आपने ऐसा कर लिया तो आप सिलेबस में पिछड़ते चले जाते हैं। अब एम्स दिल्ली से एमबीबीएस करना चाहता हूं। एमबीबीएस के बाद स्पेशलिटी के बारे में अभी नहीं सोचा है। पिता चिराग मात्रवड़िया एवं मां आशा मात्रवड़िया, दोनों डॉक्टर हैं।