एमयूजे वेबिनार सीरीज की तीसरी कड़ी में बोले अमीश त्रिपाठी- गौरवशाली अतीत की अनदेखी गलत

amish tripathi
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  • संस्कृति से युवाओं को जोड़ती हैं कहानियां
  • सुहेलदेव को याद कर लें आक्रांता

जयपुर। मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर की लीडरशिप वेबिनार सीरीज ‘एजुकेशन फॉर जेनरेशन जेड’ में शनिवार को पौराणिक पात्रों को युवाओं में फिर से लोकप्रिय करने वाले लेखक अमीश त्रिपाठी ने बीती मध्य रात प्रकाशित अपनी किताब “लीजेंड ऑफ सुहेलदेव- द किंग हू सेव्ड इंडिया” के बारे में बताया कि राजा सुहेलदेव ने सभी जाति, संप्रदाय और रियासतों को एकजुट कर कैसे तुर्क आक्रमणकारियों को देश से निकाल फेंका। यही वजह है कि इसके 150 वर्ष तक भारत पर आक्रमण करने की वे हिम्मत नहीं जुटा पाए। राजा सुहेलदेव ने महमूद गजनी के भांजे सैयद सालार महमूद गाजी और उसके एक-एक सौनिकों को युद्ध भूमि में मार गिराया, पर भारतीय इतिहासकारों ने अपने ही राजा की अनदेखी कर दी।

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चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि सुहेलदेव के वंशज फिर से आक्रमणकारियों को सबक सिखाने के लिए तैयार हैं।  एमयूजे प्रेसिडेंट प्रो. जी. के. प्रभु ने कहा कि यह विश्वविद्यालय विज्ञान और कला का संगम है। यहां नई तकनीक पर ज़ोर है तो मीडिया विद्यार्थी भी मिसाल बन रहे हैं।

अमीश त्रिपाठी ने बीती मध्य रात प्रकाशित अपनी किताब ‘लीजेंड ऑफ सुहेलदेव- द किंग हू सेव्ड इंडिया” के बारे में बताया

प्रो प्रेजिडेंट प्रो. एन एन शर्मा द्वारा प्रस्तुत   इस वेबिनार सीरीज़ में कुलसचिव प्रो. रविशंकर कामथ ने अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन किया डीडी नेशनल के एंकर पुनीत शर्मा और एमयूजे की डॉ. आशिमा बगाडिय़ा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मीडिया विभाग के डायरेक्टर प्रो. अमिताभ श्रीवास्तव ने दिया।

नेहरू केन्द्र, लंदन के निदेशक अमीश त्रिपाठी ने कहा कि आज समय ऐसा नहीं कि युवा केवल दिल या दिमाग की सुनें। अगर केवल दिमाग की सुनते हैं तो जीवन बोरिंग होगा और दिल की सुनते हैं तो जिंदगी में कई तरह की समस्याएं और चुनौतियां आएंगी। यह समय दिल के साथ दिमाग के संतुलन का है। उन्होंने कहा कि हारता वही है तो हार मान लेता है।

लीडरशिप वेबिनार सीरिज में मुख्य अतिथि अमीश त्रिपाठी ने कहा कि साहित्य हमें यह सिखाता है कि आप अपनी जड़ों से कैसे जुड़ें रहे। अगर संस्कृति से अलग हुए तो आपका वजूद खत्म हो जाएगा, अस्तित्व बनाये रखने के लिए संस्कृति जुड़े रहना चाहिए और यही वजह है कि भारत की सभ्यता और संस्कृति आज भी जीवंत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति जीवित और जीवंत रहने का एक मुख्य कारण हमारी कहानियां हैं, जो नई पीढ़ी को पुरानी से जोड़े रखती हैं।

अमीश ने यह भी कहा कि यह दुखद है कि महिलाओं को उतना सम्मान नहीं मिलता है जितना हमारे ग्रंथों में लिखा गया है। आज की महिलाओं को हमारे पूर्वज देखते होंगे तो दुखी होते होंगे। शायद यही वजह है कि मैंने अपने साहित्य में सीता और पार्वती को एक योद्धा के तौर पर दिखाने की कोशिश की है।

आप जो भी बोलते हैं प्रेम से बोलें। सत्य भी प्रेम से ही बोलें तो लोग सुनेंगे, अन्यथा उस सत्य को कोई महत्व नहीं मिलेगा। वेबिनार में सभी शिक्षक, अधिकारी और छात्रों के साथ उनके अभिभावक भी मौजूद थे।

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