सीएए कानून के समर्थन में शाह ने जोधपुर में की रैली, कहा अल्पसंख्यकों को नहीं होगा नुकसान

जोधपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर जहां विपक्ष सहित कई सारे संगठन लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं इसके विपरित भाजपा लोगों को कानून के बारे में जागरुक करने के लिए रैलियां निकाल रही है। इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जोधपुर में एक रैली का अयोजन किया। जहां उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष पर हमला बोलते हुए लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में बताया।

शाह ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि यदि आपने कानून पढ़ा है तो चर्चा करने के लिए आ जाइये और अगर नहीं पढ़ा है तो मैं इतालवी भाषा में इसका अनुवाद करके भेज सकता हूं। शाह ने कहा कि भाजपा ने देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में जनजागरण अभियान का आयोजन किया है। क्यों ये आयोजन करना पड़ा? क्योंकि जिस कांग्रेस को वोटबैंक की राजनीति की आदत पड़ गई है, उसने इस कानून पर दुष्प्रचार किया। यह केवल उन लोगों को नागरिकता प्रदान करने की एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिन्हें पिछले 70 वर्षों से बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया था।

इसका वास्तविक उद्देश्य शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करना है, घुसपैठियों को नहीं। धार्मिक आधार पर अत्याचार सहने वाले शरणार्थियों के दर्द को लेकर अमित शाह ने कहा कि हमारे पड़ोसी देशों में पिछले कई दशकों से हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, इसाई और पारसी लोगों के साथ शारीरिक एवं मानसिक उत्पीडऩ हो रहा है। यहां अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं को जबरन धर्म परिवर्तन, नरसंहार, बलात्कार और संपत्तियों पर अवैध कब्जा सहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है।

शाह ने कहा कि पाकिस्तान और उस समय के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में लगभग 20- 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों की आबादी कम हो चुकी है। आखिर कहां गए वो लोग, या तो वो मार दिए गए या धर्म परिवर्तन हो गया या वो लोग शरणार्थी बनकर अपने धर्म और सम्मान को बचाने के लिए भारत आ गए।

साल 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे। आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार दोहराया कि सीएए नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का नहीं। विपक्ष एकजुट होकर सीएए के विषय में अफवाहें फैला रहा है। इस कानून से अल्पसंख्यकों को रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला, क्योंकि ये नागरिकता लेने का नहीं अपितु देने का कानून है।