सदियों तक अलख जगाए, वही कालजयी साहित्य – संतश्री हरिओमदास महाराज

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  • पतंजलि योगपीठ के सोशल मीडिया प्रभारी श्री प्रदीप शर्मा को सौंपी नव प्रकाशित पुस्तकें,
  • लालीवाव मठ में कवि हरीश आचार्य की कृतियों पर हुई समीक्षा संगोष्ठी एवं साहित्य चर्चा,

बांसवाड़ा, लालीवाव मठ के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर महन्त हरिओमदास महाराज ने कहा है कि साहित्य का असली उद्देश्य जन-मन को स्पन्दित करते हुए हृदय से लेकर परिवेश तक सुखद एवं सुकूनदायी महापरिवर्तन लाकर कल्याणकारी दिशा और दृष्टि प्रदान करना है। इस मायने में सृजनधर्मी रचनाकार लोकचेतना के वे प्रहरी और सर्जक हैं जिनकी वाणी और लेखन अक्षर ब्रह्म का महिमागान करते हुए कालजयी होकर लोक में आलोक फैलाने में समर्थ हैं।

लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर संत हरिओमदास महाराज ने यह उद्गार बांसवाड़ा के सूरजपोल स्थित धर्म-अध्यात्म के महातीर्थ, ऎतिहासिक तपोभूमि लालीवाव मठ में आयोजित साहित्य समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किए। कार्यक्रम में योग ऋषि स्वामी रामदेव प्रवर्तित पतंजलि योग पीठ हरिद्वार के सोशल मीडिया प्रभारी श्री प्रदीप शर्मा मुख्य अतिथि थे।

स्वामी रामदेवजी तक पहुंचेगी वागड़ की साहित्य सुगंध

इस अवसर पर जाने-माने साहित्यकार श्री हरीश आचार्य की कृतियों ‘रिश्तों की जाजम’ (मुक्तक संग्रह) एवं ‘गागर में सागर’ (सचित्र गीत संग्रह) की समीक्षा की गई और इनमें समाहित रचनाओं के वैविध्य पर चर्चा करते हुए इन कृतियों की सराहना की गई।

कृतिकार श्री हरीश आचार्य ने अपनी ये दोनों कृतियां योग ऋषि स्वामी रामदेव तक पहुंचाने के लिए उनके सोशल मीडिया प्रभारी श्री प्रदीप शर्मा को भेंट की। समारोह का संचालन युवा साहित्यकार श्री भंवर गर्ग ‘मधुकर‘ ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म लालीवाव मठ के कार्यक्रम समन्वयक श्री दीपक तेली ने अदा की।

अनुभवों का सार, मार्गदर्शन का आधार

लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर संत हरिओमदास महाराज ने कृतिकार की रचनाओं को सरल, सहज एवं सुबोधगम्य बताते हुए कहा कि उनकी रचनाओं की सीधी एवं सपाटबयानी अन्तर्मन के भावों से लेकर परिवेशीय परिवर्तन भरे दशकों के अनुभवों का निचोड़ हैं जिनसे नई पीढ़ी को सोचने, समझने और सीखने का मौका मिला है।

आयोजनों की श्रृंखला चलाएगा लालीवाव मठ

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के साहित्यकारों को प्रकाशन, प्रोत्साहन और संबलन देने के लिए लालीवाव मठ भक्त मण्डल द्वारा साहित्यिक आयोजनों की श्रृंखला आरंभ की जाएगी, जिसमें महंत नारायणदास महाराज की स्मृति में होने वाले परम्परागत वार्षिक समारोह सहित जगद्गुरु स्वामी रामानन्दाचार्य की जयंती आदि के आयोजनों में साहित्य की विभिन्न विधाओं पत्रवाचन, कवि सम्मेलन, काव्य गोष्ठियों, सेमीनार, साहित्यकार सम्मान और साहित्य प्रकाशन आदि से संबंधित क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की गतिविधियों का सूत्रपात किया जाएगा।

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