जयपुर में पहली बार प्रस्तुत की गई टैगोर के पैन नेम वाली रचना ‘भानु सिंघेर पदावली’

  • जवाहर कला केन्द्र में छाया रवीन्द्र संगीत का सौंदर्य
  • कोलकाता के नामी कलाकारों ने जेकेके में प्रस्तुत की भानु सिंघेर पदावली नृत्य नाटिका
  • रवीन्द्र संगीत और कथक नृत्य के भी कई कार्यक्रम रहे आकर्षण का केन्द्र
  • जयपुर की पन्द्रह महिला चित्रकारों ने लाइव डेमोस्ट्रेशन में कैनवास पर बनाए टैगोर के पोर्ट्रेट

जयपुर। रवीन्द्र नाथ टैगोर की 161वीं जयंती के मौके पर सोमवार को जवाहर कला केन्द्र के ओपन एअर थिएटर में छाए रवीन्द्र संगीत के सौन्दर्य ने वहां मौजूद सैकड़ों लोगों का दिल जीत लिया। कलाकारों की बंगाली संस्कृति में रची-बसी सुरीली आवाज और मंच पर कलाकारों के भावपूर्ण नृत्य से सम्पूर्ण परिवेश टैगोर मयी हो गया। मौका था कोलकाता की मशहूर संस्था आर्ट ट्यून के बैनर पर आयोजित रवीन्द्रोत्सव-2022 के आयोजन का। समारोह का उद्घाटन ग्रेमी आवार्ड विनर पद्मभूषण पं. विश्व मोहन भट्ट और कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव पंकज ओझा ने संयुक्त रूप से किया।

भानु सिंघेर पदाबली में दिखा राधा-कृष्ण का सौन्दर्य

इस मौके पर कलाकारों द्वारा संदीपन मंडल के निर्देशन और आही नस्कर के सह निर्देशन में प्रस्तुत की गई नृत्य नाटिका भानु सिघेर पदावली समारोह के आकर्षण का केन्द्र रही। समारोह संयोजक अरिजीत सरकार और विनीता भाटीवाल ने बताया कि रवीन्द्र नाथ टैगोर भानु सिंघेर के नाम से भी जाने जाते थे और इस नाम से उन्होंने ‘भानु सिंघेर पदावली’ की रचना की थी। जयदेव की अष्टपदि पर आधारित इस नृत्य नाटिका में मुख्य रूप से राधा-कृष्ण के प्रेम के विभिन्न रूपों को जीवंत किया गया। संदीपन बंगाल के नामी प्रोफेशनल डांसर, फिल्म मेकर और कोरियोग्राफर हैं। जयपुर में ये नृत्य नाटिका पहली बार मंचित की गई।

15 महिला चित्रकारों ने बनाए टैगोर के पोर्ट्रेट

समारोह से पूर्व जकेके परिसर में ही विनीता आर्ट्स व स्काई हॉक की ओर से विनीता भाटीवाल के संयोजन में रवीन्द्र नाथ टैगोर के चित्र का लाइव डेमोस्ट्रोशन भी आयोजित किया गया इसमें शहर की पन्द्रह कलाकारों टैगोर का कैनवपस पर पोर्ट्रेट बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि पेश अर्पित की।

ये कार्यक्रम भी रहे खास

समारोह में इसके अलावा सुबर्णाप्रतिम गिरी रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविताओं का अभिनय के साथ किया जाने वाला पाठ और सायनी चावड़ा व उनकी शिष्या तुशी नस्कर के साथ किए गए कथक के लखनउ घराने का नृत्य भी खास रहा। सयानी चावड़ा और उनकी शिष्या तुशी नस्कर का नृत्य लखनउ की नजाकत से सराबोर था जिसमें उनकी आंगिक मुद्राओं का प्रभाव देखन योग्य था। समारोह में इसके अलावा वहां के लोकप्रिय कलाकार और पत्रकार सुबर्णाप्रतिम गिरी ने टैगोर की कविता ‘वेयर दा माइंड इज़ विद आउट फियर का पठ किया। जयपुर के उभरते युवा गायक राहुल भालिया की सितार वादक पवन शर्मा, तबला वादक कुंदन कुमार और पियानो वादक राहुल खंडेलवाल के साथ मिलकर दी गई प्रस्तुत ने भी खूब रंग जमाया।