पुस्तक ‘रघु सिन्हा: लाइफ एंड लिगेसी’, रघु सिन्हा को सौ वर्ष पूर्ण होने पर श्रद्धांजलि, रघु सिन्हा पर आधारित पुस्तक का विमोचन

रघु सिन्हा
रघु सिन्हा

जयपुर। रघु सिन्हा, जिन्हें ‘अनक्राउंड महाराजा ऑफ जयपुर’ के रूप में जाना जाता है, वह ऐसे व्यक्ति भी थे, जिन्होंने जरूरत के समय हमेशा लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। फिर चाहे शिक्षा हो, चिकित्सा सहायता, मार्गदर्शन या फिर एक भरोसेमंद रिश्ता निभाने की। वे लोगों की मदद के लिए तत्पर रहे।

रघु सिन्हा को सौ वर्ष पूर्ण होने पर श्रद्धांजलि के रूप में – जिनका जन्म 5 मई, 1924 को हुआ था – ‘रघु सिन्हा: लाइफ एंड लिगेसी’,पुस्तक का जयपुर के अशोक क्लब में विमोचन हुआ। पुस्तक का विमोचन महाराज जय सिंह, मीरा खन्ना, माला लाल, सुरेंद्र गोलछा और सुधीर माथुर ने किया। सुधीर माथुर द्वारा संकलित, यह पुस्तक रघु सिन्हा की महानता के साथ-साथ उनकी विनम्रता को भी एक सच्ची श्रद्धांजलि है। इस समकालीन परिदृश्य में जिन्हें रोल मॉडल की तलाश है, उनके लिए यह पुस्तक एक रोशनी के रूप में काम करेगी।

इस पुस्तक में विश्वभर से उन लोगों द्वारा लिखी गई 68 ट्रिब्यूट्स हैं, जिन्हें रघु सिन्हा से मिले स्नेह और अपनेपन ने प्रभावित किया था। उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे कि समाज के लिए उनकी सेवा, कला और संस्कृति में उनका योगदान, दूसरों के लिए एक गुरु और अभिभावक के रूप में उनकी भूमिका आदि सभी को पुस्तक में शामिल किया गया है। इस अवसर पर, महाराज जय सिंह, जो सिन्हा के साथ अपना जन्मदिन भी साझा करते हैं, ने उनके साथ जन्मदिन मनाने की अपनी यादें ताजा कीं। उन्होंने आगे कहा कि सिन्हा जयपुर शहर के लिए प्रतिबद्ध थे और उन्होंने शहर की विरासत को संरक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभाई।

सभी अवसरों पर एक सज्जन व्यक्तित्व के रूप में और पोलो के खेल में उनका योगदान भी उल्लेखनीय है।सुधीर माथुर ने कहा कि यह उनके लिए एक भावनात्मक क्षण है क्योंकि यह ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा हो गया है। रघु मामा, जैसा कि वे उन्हें प्यार से बुलाते थे, उनके आदर्श हैं और बड़े होने के दौरान उन्होंने उनके आचरण को देखा और उनकी कई विशेषताओं को स्वयं में आत्मसात किया।

सुरेंद्र गोलछा ने शहर में टेनिस के खेल में रघु सिन्हा के योगदान को याद किया और बताया कि कैसे अब भी उनके संरक्षण में बने कोर्ट का उपयोग शहर के युवाओं द्वारा किया जा रहा है। मीरा खन्ना ने कहा कि सुधीर माथुर समाज-सेवा और शहर के विभिन्न संगठनों को सहयोग करने के मामले में रघु सिन्हा का सच्चा प्रतिबिंब हैं। चर्चा का संचालन करते हुए माला लाल ने कहा कि रघु सिन्हा सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि अपने आप में एक ‘इन्स्टिट्यूशन’ थे। पुस्तक विमोचन के अवसर पर परिवार के सदस्य, पुस्तक में योगदान देने वाले, मित्र और ट्रस्ट के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।