राजस्थानी के महिला लेखन की दशा और दिशा पर किया मंथन

साहित्य अकादमी नई दिल्ली और मरूदेश संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में सालासर के सावरथिया सेवा सदन में दो दिवसीय राजस्थानी महिला लेखन सम्मेलन में राजस्थानी के महिला लेखन की दशा और दिशा पर पर मंथन के बाद समापन हुआ।

इस दौरान एक नई ऊर्जा के साथ लेखन करने की प्रतिबद्धता के साथ महिला रचनाकारों ने हुंकार भरी। मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि सम्मेलन के चार सत्रों में 16 राजस्थानी रचनाकारों ने विविध विषयों पर रचनापाठ व पत्रवाचन किया।

पहले सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार किरण बादल ने की। सत्र में डॉ. गीता सामौर ने लोक साहित्य में नारी चेतना विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लोक साहित्य नारी चेतना का ही साहित्य है। डॉ. रेणुका व्यास नीलम ने आधुनिक राजस्थानी कविता और नारी विषय पर कहा कि भाव और शिल्प के स्तर पर आधुनिक राजस्थानी महिला कविता किसी भी दूसरी भाषा से जरा भी कम नहीं है।

दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुमन बिस्सा ने की। मोनिका गौड़ ने कविता पाठ करते हुए अपनी कविता हारी नीं है स्त्री री हूंस और अन्य कविताओं का वाचन किया। इसी प्रकार डॉ. कृष्णा आचार्य आपनी राजस्थानी कहानी चोथो चितराम का वाचन किया और विनिता शर्मा ने अपनी राजस्थानी काव्य रचनाओं का पाठ किया। राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने भी विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डॉ. अर्जुनदेव चारण, भंवरसिंह सामौर, डॉ. मंगत बादल ,कमल नयन तोषनीवाल, डॉ. शारदा कृष्ण, सुमनेश शर्मा, किशोर सैन, नरेंद्र शर्मा, शंकर सामरिया, रामचंद्र आर्य, राधाकृष्ण कौशिक, मदनलाल गुर्जर, मोहन चैतन्य शास्त्री, औंकार पारीक आदि उपस्थित रहे।

चौथे सत्र में डॉ. धनंजया अमरावत की अध्यक्षता में डॉ. संजू श्रीमाली ने आधुनिक राजस्थानी कविता में प्रयोग संदर्भ महिला लेखन पर बोलते हुए कहा कि राजस्थानी का महिला लेखन समृद्ध रहा है। वर्तमान में भी हमें इस तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। अमिता सेठिया ने तेरापंथ के राजस्थानी साहित्य में नारी जागरण विषय पर आचार्य तुलसी व अन्य जैन संतों की रचनाओं में नारी संवेदनाओं का चित्रण किया।

अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विवि की सह आचार्य डॉ. मीता शर्मा ने कहा कि राजस्थानी साहित्य और विशेष रूप से महिला लेखन कर्म की जांच पड़ताल आधुनिक साहित्यिक सिद्धातों पर होनी चाहिए। मनीषा आर्य सोनी व सीमा भाटी ने कविता पाठ किया। ऋतु शर्मा ने राजस्थानी कहानी पाठ किया।

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