‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही नववर्ष संसार में सबसे उपयुक्त एवं सर्वमान्य’

कल मैं दिल्ली से रेल में जोधपुर आ रहा था। रेल के डिब्बे में मेरे साथ कुछ परिवार एवं उनके बच्चे साथ सफर कर रहे थे, सफर के दौरान बच्चों से जब बातों ही बातों में नव वर्ष को लेकर चर्चा होने लगी तो मुझे आश्चर्य हुआ कि भारत की भावी पीढ़ी एवं भविष्य को भारत की गौरवशाली अतीत एवं परंपराओं के बारे में बहुत कम जानकारी है। लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने किस प्रकार भारतीय शरीर में अंग्रेजी मानसिकता हावी है, इसका अनुभूति हुई, जब मैंने उनको भारतीय नव वर्ष के ऐतिहासिक सांस्कृतिक वैज्ञानिक एवं प्रकृति से भारतीय नव वर्ष के संबंध में बताया तो उनको जानकर आश्चर्य होने लगा की भारत विश्व गुरु था और हमको वापिस विश्व गुरु बनना है। इसके लिए हमको हमारी विरासत को ध्यान में रखना होगा।

भारतीय सांस्कृतिक गौरव की स्मृतियां समेटे हुए हमारा अपना भारतीय नव वर्ष युगाब्द 5124 विक्रम संवत 2079 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार 2 अप्रैल 2022 को सूर्योदय से प्रारंभ हो रहा है। भारतीय मनीषियों ने और प्राचीन खगोल शास्त्रियों के चिंतन एवं खोज के आधार पर की गई काल गणना के आधार पर अपना भारतीय नववर्ष पूर्ण वैज्ञानिक एवं प्रकृति संवत तो है ही साथ ही राष्ट्रीय महापुरुषों से जुड़ा हुआ भी है। भारत में बहुत सी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दिन भी हमेशा वर्ष प्रतिपदा के दिन आते हैं।

भारतीय इतिहास में इस दिन का महत्व और भी अधिक इसलिए हो जाता है कि ब्रह्म पुराण के अनुसार जलमग्न पृथ्वी में से सर्वप्रथम बाहर निकली भूभाग सुमेरु पर्वत पर एक अरब 97 करोड़ 29 लाख 49हजार 123 वर्ष पूर्व इसी दिन वर्ष प्रतिपदा चेत्र सुदी एकम के दिन सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। प्रभु श्री राम के लंका विजय के बाद अयोध्या में आज ही के दिन राज्याभिषेक हुआ था। वरुणा अवतार झूलेलाल जी आज ही के दिन अवतरित हुए थे। स्वामी दयानंद सरस्वती ने आज ही के दिन आर्य समाज की स्थापना की थी। शक्ति भक्ति के 9 दिन नवरात्रा की स्थापना का पहला दिन आज ही है। आज से 2079 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी हमलावर शकों को भारत की धरती से बाहर निकाला था इस अभूतपूर्व विजय की कीर्ति स्तंभ के रूप में कृतज्ञ राष्ट्र ने कालगणना को विक्रम संवत कर पुकारा विक्रम संवत आज से ही प्रारंभ होता है।

सम्राट युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी आज के दिन हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार का जन्म आज ही के दिन हुआ था। महर्षि गौतम का जन्म भी आज के दिन ही हुआ था। सिख पंथ के द्वितीय गुरु अंगद देवजी का प्रकाशोत्सव भी आज ही के दिन है। राजस्थान की स्थापना भी वर्ष प्रतिपदा के दिन हुई थी। विभिन्न महापुरुषों ने लगभग 27 नव संवत्सर वर्ष प्रतिपदा पर ही प्रारंभ किए थे। इस प्रकार भारतीय इतिहास में अनेक ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं वर्ष प्रतिपदा के दिन ही शुभ समझ कर प्रारंभ की गई थी। केवल ऐतिहासिक रूप से ही चेत्र सुदी एकम वर्ष प्रतिपदा महत्वपूर्ण नहीं है, जबकि भारतीय मनीषियों ने वैज्ञानिकता के आधार पर भी इस दिवस को महत्वपूर्ण माना है। भारतीय काल गणना के अनुसार सृष्टि का निर्माण लगभग1972949123 वर्ष पहले हो चुका है। आज नासा के वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं।

भारतीय कालगणना वैज्ञानिक प्रणाली है इसमें सृष्टि के प्रारंभ से लेकर आज तक सेकंड के सौ वे भाग का अंतर भी नहीं आया है। भारतीय काल गणना में समय की सबसे छोटी इकाई का महत्वपूर्ण स्थान है, त्रुटि सैकंड का 33750 वां भाग है। सबसे बड़ी इकाई कल्प 432 करोड़ वर्ष का होता है, इस कल्प का वर्तमान में सांतवा मन्वंतर है, जिसका नाम वेवस्वत है। वेवस्वत मन्वंतर की 71 चतुरयोगियो में से 27 भी चुकी है, 28 चतुरयोगी में भी सतयुग त्रेता द्वापर बीत कर कर कलयुग के 5124 वर्ष बीत चुके हैं। चंद्र ग्रहण एवं सूर्य ग्रहण जैसी घटनाएं अचूक रूप से पूर्णिमा एवं अमावस्या को ही होती है। संसार की सबसे बड़ी व्यापार प्रणाली पानी के जहाजों के द्वारा की जाती है, पानी के जहाजों को तट के निकट आने के लिए ज्वार और भाटा का ज्ञान होता है जो कि भारतीय पद्धति के अनुसार पूर्णिमा तथा अमावस्या को होता है। इसकी जानकारी भी पंचांग हमारी काल गणना के अनुसार होती है।

भारतीय नव वर्ष की ऐतिहासिक और वैज्ञानिक कारण ही नहीं बहुत से प्राकृतिक कारणों की बहुत महत्व के हैं, इस तिथि के आसपास ही प्रकृति में नवीन परिवर्तन एवं उल्लास दिखाई देता है, रातें छोटी होने लगती है एवं दिन बड़े होने लगते हैं, वृक्ष एवं लताएं पुष्पित पल्लवित होती दिखाई देती है। खेतों में फसलें कटना प्रारंभ हो जाती है। सूर्य की किरणें पृथ्वी को उर्जा में करने लगती हैं एवं हमारे समाज में उत्सव मेले तीज त्योहार शुभ मुहूर्त आदि इसी समय प्रारंभ होते हैं। जिससे समाज में उल्लास एवं आनंद का वातावरण दिखाई देने लगता है। इसके अलावा भी ऐसे बहुत से विषय है किसके कारण वर्ष प्रतिपदा महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर हम देखें तो भारत सरकार और राजस्थान सरकार के बजट का निर्धारण भी लगभग इसी समय होता है। इनकम टैक्स और सेल टैक्स के जितने भी कामकाज है, उनका महीना लगभग यही रहता है।

भारतीय नव वर्ष में के बारे में जितनी जानकारी बहुत से विषयों पर महत्वपूर्ण है लेकिन फिर भी लॉर्ड मैकाले अंग्रेजी शिक्षा के कारण हमारा नव वर्ष बहुत से कारणों के कारण हम उसे भूलते जा रहे हैं क्योंकि हम अपनी जड़ों को एवं संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। इसलिए हमें अपने जड़ों और संस्कारों की ओर लौटना पड़ेगा क्योंकि भारत विश्व गुरु आध्यात्मिक वैज्ञानिक प्राकृतिक भौगोलिक सभी विषयों में विश्व गुरु था। क्या आप विचार करते हैं कि हम दीपावली हमेशा कार्तिक अमावस्या को ही क्यों मनाते हैं इसी प्रकार होली पूर्णिमा को ही क्यों मनाते हैं हमारे जितने तीज और त्योहार है उन्हें हम तिथियों के अनुसार ही क्यों मनाते हैं।

हमारी शादी एवं 16 संस्कार भी काल गणना में तिथियों के अनुसार ही मनाते हैं इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप भारतीय काल गणना के अनुसार ही उत्सव एवं अपने जीवन के सभी दिवस भारतीय पद्धति के अनुसार ही मनावे ना कि मैकाले की शिक्षा पद्धति के अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इन सभी विषयों को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही नववर्ष संसार में सबसे उपयुक्त एवं सर्वमान्य है। यह भी एक अजीब संयोग है कि 2077 का नाम प्रमादी एवं 2078 का नाम आनंद था 2079 विक्रम संवत का नाम नल है। यह नया वर्ष विक्रम संवत 2079 आप सबके जीवन में आनंद लाएगा। आप सब को नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं। नव वर्ष आप सभी के जीवन और राष्ट्र में उल्लास और चारों तरफ खुशी लेकर आए यही ईश्वर से प्रार्थना है।

  • हेमंत घोष
    पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राजस्थान।