रेबीज मुक्त भारत की संकल्पना 2030 तक होगी साकार : डॉ. मणि

Dr. Mani
जयपुर। विश्व स्वास्थ्य संगठन के रेबीज सहयोगी केंद्र की अध्यक्ष डॉ. रीता मणि ने कहा की रेबीज का सौ प्रतिशत इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि रेबीज मुक्त भारत की संकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से देश के सभी राज्यों के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके अंतर्गत सरकार के साथ-साथ स्वयं सेवी संस्थाओं तथा एनजीओ का भी सहयोग लिया जा रहा है। डॉ. मणि सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की शैक्षणिक खंड  में एनसीडीसी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय, पशुपालन विभाग, पाथ व एसएमएस मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित “जीरो रेबीज 2030”  कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि रेबीज एक ऐसी ज़ूनोटिक बीमारी है,  जिससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है, लेकिन इसका इलाज भी सौ प्रतिशत संभव है।
उन्होंने कहा की रेबीज 95 प्रतिशत श्वानों के काटने से होता है। यह न केवल जानवर से इंसानों में बल्कि संक्रमित जानवरों से अन्य जानवरों में भी फैलता है। उन्होंने कहा की देश में रेबीज से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण इलाज के प्रति जागरूकता का अभाव है। इसलिये इस बीमारी को खत्म करने के लिए जरूरी है कि आमजन को इसके लिए जागरूक किया जाए। कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. भारती मल्होत्रा ने कहा की स्वस्थ राज्य – स्वस्थ भारत की संकल्पना को साकार करने एवं ज़ूनोटिक बिमारियों के उपचार एवं नियंत्रण के प्रति चिकित्सकों एवं जनता को समय-समय पर जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा 10 ज़ूनोटिक बिमारियों को चिह्नित कर कार्यशाला आयोजित करवाई जा रही है, ताकि समय रहते ऐसी बिमारियों को काबू पाया जा सके।
राज्य  में रेबीज प्रबंधन एवं पशुपालन विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा डॉ. लेनिन भट्ट ने कहा की राज्य में सभी पशु चिकित्सालयों पर रेबीज का टीका मुफ्त में उपलब्ध है। वहीं विभाग द्वारा हाल ही में उदयपुर ज़िले समेत अन्य ज़िलों में रेबीज मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत स्वयं सेवी संगठनों की सहायता एवं सहयोग से प्रत्येक शनिवार एवं रविवार को आवारा श्वानों में एंटी रेबीज टीकाकरण करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही राजस्थान भी गोवा राज्य की तर्ज पर रेबीज मुक्त कहलायेगा।
कार्यशाला में हेब्बाल बेंगलोर से रेबीज लेब निदेशक डॉ. कृष्णा इसलूर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज की असोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. मधुलता अग्रवाल  पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रवि इसरानी, पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. टिकेश बाइसन,  राज्य में राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आनंद  भटनागर सहित अन्य चिकित्सा एवं पशुपालन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।