
डिजाइन बॉक्स के मालिक नरेश अरोड़ा कर्नाटक जीत के बाद है सुर्खियों में, अब राजस्थान में रिपीट कराएंगे सरकार !
कर्नाटक में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के कई फैक्टर है मगर उनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण चुनाव प्रबंधन व कैम्पेन डिजाइनिंग का काम था। देश की जानी मानी कम्पनी डिजाइन बॉक्स को यह काम दिया गया था। इसके मालिक नरेश अरोड़ा कर्नाटक जीत के बाद से हर चैंनल पर छाये हुए है।
कर्नाटक जीत से उत्साहित कांग्रेस की नजरें अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश को जीतने पर टिक गई हैं। लेकिन एक सच यह भी है कि दक्षिण में हार से तिलमिलाई भाजपा तीनों राज्यों को जीतने में अपनी पूरी ताकत झौंक देगी। इसके लिए रणनीति भी बदली जाएगी। कर्नाटक में ऐसा क्या हुआ कि चुनाव के बाद शाम को आए एक्जिट पोल फेल साबित हो गए और कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज कराई। खुद कांग्रेस जीत के पीछे उनके कैंपेन मैनेजर नरेश अरोड़ा की भूमिका सबसे अहम मान रही है।
डिजिटिल मार्केटिंग व चुनाव प्रबंधन के मास्टर माने जाने वाले नरेश अरोड़ा ने ही डीके शिवकुमार के साथ मिलकर पूरे कर्नाटक चुनाव की प्लानिंग की। टेक्सटाइल इंजीनियर की डिग्री हासिल करने वाले नरेश इस वक्त डिजिटल वर्ल्ड में जाना माना नाम है। पिछले दो साल से नरेश अरोड़ा की कंपनी डिजाइन बॉक्स कर्नाटक में कांग्रेस और उसके नेताओं की पॉजिटिव छवि गढऩे के मिशन पर लगी हुई थी। भारत जोड़ो यात्रा का दक्षिण से शुरू होना भी उसी का एक हिस्सा था। इस यात्रा का रोड मैप भी नरेश अरोड़ा ने ही तैयार किया था। बकौल नरेश अरोड़ा, नवनिर्वाचित विधायक शिवकुमार जो अभी कर्नाटक में सीएम पद के लिए दावेदार माने जाते हैं उन्हीं के साथ उन्होंने कर्नाटक की जीत का खाका खींचा था। हर क्षेत्र में बारीकी से काम किया, जिसका परिणाम सबके सामने हैं।
2017 में गुरदासपुर उपचुनाव में दिखाया था जौहर
नरेश अरोड़ा ने सबसे पहले 2017 में हुए गुरदासपुर उपचुनाव में अपना जौहर दिखाया था। उसके बाद हिमाचल प्रदेश उपचुनावों में और पंजाब म्यूनिसिपल इलेक्शन 2018 और शाहकोट उपचुनाव 2018 सहित कई मौकों पर अपने कौशल का लोहा मनवा चुके हैं। इसके अलावा नरेश अरोड़ा पूरे भारत में प्रमुख नेताओं के लिए डिजिटल मीडिया अभियान प्रबंधन संभाल रहे हैं। साथ ही छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में सरकारों और राजनेताओं के लिए काम कर रहे हैं। नरेश अरोड़ा पंजाब सरकार के ड्रग फाइटिंग संगठन स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ भी हैं।
कर्नाटक में कैसे काम किया नरेश ने

डिजाइन बॉक्स के निदेशक नरेश अरोड़ा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि वह पिछले दो साल से कर्नाटक के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने अपने सर्वे से डीके शिवकुमार को आश्वस्त किया था कि कांग्रेस 130+ सीटें जीतेंगी। यह नंबर करीब-करीब बिल्कुल सटीक निकला है। अब तक के नतीजों में कांग्रेस को 136 सीटें आई हैं। नरेश बताते हैं कि जीत का मैजिक फिगर दो साल की मेहनत का नतीजा था। हमने कोई घर में बैठकर अनुमान नहीं लगाया था। जो बातें ग्राउंड से मिल रही थी उसी के आधार पर हम पहले से ही लगभग 140 सीटों की बात कर रहे थे।
अब राजस्थान की बारी
यह तय है कि अब कांग्रेस नरेश अरोड़ा को राजस्थान में फ्री हेंड देगी । अरोड़ा आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अभी से नई रणनीति पर काम शुरू कर चुके है। बताया जा रहा है कि राजस्थान में चल रहा अब तक का सबसे बड़ा कैम्पेन महँगाई राहत कैम्प भी अरोड़ा और मुख्यमंत्री की राजस्थान जीत की ओर पहला सशक्त कदम है। डिजाइन से लेकर फ़िल्म निर्माण तक मैं उन्हीं की सोच को साकार किया जा रहा। इसके परिणाम भी देखे जा रहे है , मात्र दो सप्ताह में 3.5 करोड़ से ज्यादा लाभान्वित इसका उदाहरण है।
हालांकि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का क्रम रहा है। इस मिथ को तोडऩे के लिए सीएम अशोक गहलोत खुद जी जान से प्रदेश में तूफानी दौरे कर रहे हैं। प्रदेश सरकार जगह-जगह लगाए जा रहे महंगाई राहत कैंप भी और बढ़ाने जा रही है। कांग्रेस की स्थिति राजस्थान में बेहतर स्थिति में है। इससे नरेश अरोड़ा को राजस्थान में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और जनता के बीच जाने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अशोक गहलोत की स्वच्छ छवि

भले ही राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट चल रहा है, लेकिन इससे अशोक गहलोत की छवि पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसका फायदा पार्टी को मिलेगा। कर्नाटक की तर्ज पर अरोड़ा राजस्थान में भी वही टिप्स अपनाएंगे, लेकिन कर्नाटक हार चुकी भाजपा राजस्थान जीतने के लिए पूरा दम-खम लगा देगी। ऐसे में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत का तोड़ निकालना बेहद जरूरी है। इसी के चलते माना जा रहा है कि अब आलाकमान भी राजस्थान जीत के लिये पायलट पर निष्कासन की कार्यवाही कर गहलोत का रास्ता जीत के लिये सुगम कर सकती है।
तीन राज्य और समय कम
अब तक कर्नाटक पर फोकस रखने वाली कांग्रेस के सामने तीन राज्यों के चुनाव हैं। इनमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। कर्नाटक जिताकर नरेश अरोड़ा कांग्रेस की उम्मीदों पर खरा उतरे हैं, इसलिए यह तय है कि तीनों राज्यों को जिताने और वहां की जाने वाली तैयारियां भी अरोड़ा ही करेंगे। ऐसे में मात्र छह महीने में तीन राज्यों को जीतने के लिए रणनीति पर काफी बारीकी से काम करना होगा।
सचिन पायलट बढ़ा सकते हैं समस्या

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत की खींचतान जगजाहिर है। बार-बार सरकार के खिलाफ बयान देकर उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि खराब करने की कोशिश की है। इस बार वे सीधे सरकार से टक्कर ले रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस वक्त वे जनसंघर्ष यात्रा निकाल रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सचिन ने यह पैंतरा उठाया है। यदि उनका यही रुख रहा तो वे कहीं ना कहीं पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे। यदि सचिन पार्टी से अलग हो जाते हैं कांग्रेस को इसका नुकसान केवल गुर्जर वोट का हो सकता है। सचिन और गहलोत के मामले को निपटाने के बाद ही कांग्रेस की राह आसान होगी। वरना नेताओं में खेमेबाजी ओर बढ़ेगी। उधर राजपूत और जाट वोटों को साधना भी अरोड़ा के लिये राजस्थान में आसान नहीं होगा।
भाजपा में सीएम का कौन

भाजपा ने दो महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बदलकर सीएम के रूप में एक और नया चेहरा राजस्थान की जनता के सामने रख दिया है। उसके बावजूद भीतरी बगावत भाजपा में थमी नहीं है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे तूफानी दौरे कर अपनी शक्ति को कम नहीं होने का संकेत दे रही हैं। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां भी पद से हटाए जाने से खफा हैं। इससे जाट वोट भाजपा से कटा तो इसका फायदा कांग्रेस को होगा।
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