नई दिल्ली
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बुधवार को सायरस मिस्त्री (51) के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि मिस्त्री फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए जाएं, उन्हें हटाना गलत था। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में केस हारने के बाद मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। उन्होंने टाटा सन्स और रतन टाटा समेत कंपनी से जुड़े 20 लोगों पर दमनकारी रवैया और प्रबंधन में खामियों के आरोप लगाए थे। इस पर फैसला देते हुए अपीलेट ट्रिब्यूनल ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को भी गलत बताया। चंद्रशेखरन जनवरी 2017 में चेयरमैन बने थे। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने रतन टाटा को निर्देश दिए हैं कि टाटा सन्स के बोर्ड से दूर रहें। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इसकी मंजूरी दे दी। टाटा सन्स टाटा ग्रुप की कंपनियों की प्रमोटर है। सायरस मिस्त्री अभी शपूरजी पलोंजी एंड कंपनी के एमडी हैं। यह उनके फैमिली ग्रुप शपूरजी पलोंजी से जुड़ी फर्म है।
गुड गवर्नेंस के सिद्धांतों की जीत: मिस्त्री
फैसले पर सायरस मिस्त्री ने कहा है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं बल्कि गुड गवर्नेंस के सिद्धांतों और अल्प शेयरधारकों के अधिकारों की जीत है। यह फैसला हमारे दावों का प्रमाण है। मिस्त्री परिवार 50 साल से टाटा सन्स का अहम शेयरधारक है। मैं सोचता हूं कि अब समय आ गया है कि टाटा ग्रुप के सतत विकास के लिए मिलकर काम किया जाए।