रक्षा मंत्रालय ने 10 हजार करोड़ रुपए बचाए

नई दिल्ली
स्वदेश निर्मित हलके लड़ाकू विमान तेजस की खरीद में रक्षा मंत्रालय ने 10 हजार करोड़ रुपए की बचत की है। रक्षा मंत्रालय की वित्त शाखा और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ लगातार मोलभाव करके कीमत पर आखिरी समझौता किया है। नवंबर 2016 में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 50,025 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस मार्क-1ए की खरीदी को मंजूरी दी थी। यह रक्षा उपकरणों की खरीद करने वाली सर्वोच्च संस्था है। सूत्रों ने कहा- एचएएल ने तेजस की बिक्री का मसौदा तैयार कर लिया है। यह करीब 40 हजार करोड़ रुपए का है। यह रकम 2016 में रक्षा मंत्रालय से मंजूर हुई राशि से करीब 10 हजार करोड़ रुपए कम है।

स्वदेशी उद्योग के लिए अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर
आईएएफ और एचएएल के बीच कीमतों पर सहमति के बाद, डेफॉक्सो-2019 में स्वदेशी उद्योग के लिए अब तक के सबसे बड़े अनुबंध पर दस्तखत होने की उम्मीद है। इसका आयोजन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्वाचन क्षेत्र लखनऊ में फरवरी, 2020 में किया जाना है।

एयरो इंडिया में तेजस को मिला ऑपरेशनल क्लीयरेंस
सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन ने इस साल की शुरुआत में बेंगलुरू में एयरो इंडिया शो के दौरान तेजस को अंतिम परिचालन मंजूरी दी थी। इस दौरान तेजस की विजुअल रेंज, एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड हमले की क्षमता को वायुसेना के लिहाज से उपयुक्त पाया गया था। इस दौरान, तेजस की हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता को भी परखा गया था।

एडवांस टैक्नोलॉजी से लैस है तेजस मार्क-1ए
वायुसेना को मिलने वाले विमानों में बेहतर सेवा के लिए तैयार रहने की क्षमता, हथियार-लोडिंग के समय में कमी, बेहतर जीवन चक्र, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग आरे (एईएसए) रडार लगाया जाएगा। इससे तेजस की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

अब तक वायुसेना को 18 तेजस शामिल किए गए
आईएएफ ने इससे पहले 40 तेजस खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें से अब तक 18 तेजस भारतीय वायुसेना को सौंपे जा चुके हैं। इनके लिए सुलूर में एक स्क्वॉड्रन का गठन किया गया है। तेजस ने कई अभ्यासों और प्रदर्शनों में भाग लेकर दुनिया भर में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। 

तेजस के इलेक्टॉनिक सिस्टम की कीमत पर थी असहमति
आईएएफ ने दिसंबर, 2017 में 83 तेजस खरीदने के लिए एचएएल को सिंगल-वेंडर टेंडर जारी किया था। कीमतों को लेकर बातचीत और कुछ तकनीकी मुद्दों की वजह से इस सौदे में देरी हुई। दरअसल, डिफेंस मिनिस्ट्री फाइनेंस विंग ने तेजस मार्क-1ए के इलेक्टॉनिक सिस्टम की ज्यादा कीमत पर असहमति जताई थी। इसके बाद, तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर फैसले के लिए एक कमेटी बनाई थी। तब से अब तक दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बैठकों के बाद कीमत पर अंतिम सहमति बनी है।