
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और देखरेख की जिमेदारी पूरी तरह से त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को सौंप दी। त्रावणकोर के शाही परिवार के सदस्यों की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। क्या है इस केस का बैकग्राउंड? : त्रावणकोर और कोचिन के शाही परिवार और भारत सरकार के बीच अनुबंध 1949 में हुआ था। इसके तहत तय हुआ था कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन त्रावणकोर के शासक के पास रहेगा। हालांकि, त्रावणकोर कोचिन हिंदू रिलीजियस इंस्टिट्यूशंस एक्ट के सेक्शन 18(2) के तहत मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर के शासक के नेतृत्व वाले ट्रस्ट के हाथ में रहा।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन त्रावणकोर के शासक के पास रहेगा
त्रावणकोर के अंतिम शासक का निधन 20 जुलाई 1991 को हुआ। केरल सरकार ने इसके बाद भी त्रावणकोर के आखिरी शासक के भाई उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के नेतृत्व में प्रशासकीय समिति के पास मंदिर का प्रबंधन सौंपा। हालांकि, वर्मा ने जब मंदिर में छिपे खजाने पर शाही परिवार का दावा साबित करने की कोशिश की तो सिविल कोर्ट में याचिकाओं का अंबार लग गया। भक्तों ने याचिका लगाई कि त्रावणकोर शाही परिवार को मंदिर की संपत्ति का बेजां इस्तेमाल की अनुमति न दी जाए।
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उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा और कुछ अन्य इस मामले में हाईकोर्ट गए और वहां इससे जुड़ी सभी याचिकाओँ पर एक साथ सुनवाई हुई। तब हाईकोर्ट के सामने प्रश्न था कि क्या त्रावणकोर के आखिरी शासक के छोटे भाई के तौर पर वर्मा को 1950 के त्रावणकोर-कोचिन हिंदू रिलीजियस इंस्टिट्यूशंस ए ट के सेक्शन 18(2) के तहत श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर मालिकाना हक, नियंत्रण और प्रबंधन का अधिकार है या नहीं।
इस प्रश्न का जवाब देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि शासक ऐसा दर्जा नहीं है जिसे उत्तराधिकारी के तौर पर हासिल किया जा सके। इस वजह से 1991 में अंतिम शासक की मौत के बाद पूर्व स्टेट ऑफ त्रावणकोर का कोई शासक जीवित नहीं है। यह भी कहा गया कि उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा त्रावणकोर के पूर्व शासक के तौर पर मंदिर के प्रशासन पर दावा नहीं कर सकते।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि मंदिर के तहखानों में रखे खजाने को सार्वजनिक किया जाए। उसे एक म्यूजियम में प्रदर्शित किया जाए और उससे व चढ़ावे में मिलने वाले पैसे से मंदिर का रखरखाव किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि त्रावणकोर शाही परिवार का मंदिर के प्रशासन में अधिकार कायम रहेगा। मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता फिलहाल तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे।