आखर में हुआ युवा लेखक मोहन पुरी की किताब अचपळी बातां का विमोचन

जयपुर। प्रभा खेतान फाउण्डेशन द्वारा ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन के सहयोग से राजस्थानी साहित्य, कला व संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर श्रृंखला में आज लेखक मोहन पुरी द्वारा रचित राजस्थानी भाषा का गजल संग्रह अचपळी बातां किताब का वर्चुअल विमोचन प्रख्यात लेखिका शारदा कृष्ण, लेखक डॉ गजादान चारण और आलोचक लेखक जितेन्द्र निर्मोही के करकमलों द्वारा किया गया।

लफ्जों की बेहतरीन जुगलबंदी, तहजीबी फिजा, गांव की संस्कृति और बहर के वजन का यह एक अद्भूत मेल हैं। सीमेंट द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम को आखर राजस्थान के फेसबुक पेज से लाईव किया गया।

आखर के मंच पर आयोजित इस पहले राजस्थानी किताब विमोचन के कार्यक्रम में बतौर समीक्षक डॉ गजादान चारण और जितेन्द्र निर्मोही उपस्थित रहें तथा अध्यक्षता की डॉ शारदा कृष्ण ने।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में लेखक मोहन पुरी ने बताया की पढऩे-लिखने के प्रति उनकी रूचि बचपन में चंपक, नंदन जैसी पुस्तकों को पढ़कर जगी और इसी दौरान उन्होनें लिखने का प्रयास भी शुरू कर दिया। आज पुस्तक विमोचन के दौरान उन्होंने बचपन में पढ़ी किताबें और दादी नानी के गाये गीतों की बरबस याद किया जिसने उनके लेखन की शुरूआत हुई।

कार्यक्रम के अंतर्गत जितेन्द्र निर्मोही ने मोहन पुरी की इन राजस्थानी रचनाओं की तुलना उर्दू लेखन के प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र और निदा फाजली से की। उन्होनें यह भी कहा कि मोहन पुरी का लेखन सादगी से भरा हैं जिसमें दर्शन, सहजता, फकीरी और गम्भीरता आदि की झलक हैं।

पुस्तक समीक्षा करते हुए डॉ गजादान चारण ने कहा कि, ये पुस्तक नयी आस, नयी उजास और नये विश्वास की तरह हैं। मोहन पुरी का लेखन अनेक विशेषताओं से भरा हैं इसलिये अति प्रशंसनीय हैं।

अंत में अध्यक्षता कर रहीं डॉ शारदा कृष्ण ने इस पुस्तक को एक अच्छी पहल बताते हुए कहा कि लोक सुंदरता पर लोक से जुडा यह लेखन आने वाली लेखक और पाठक पीढ़ी के लिये श्रेष्ठ साहित्यिक जमीन तैयार करेगा और उनके लिये लोक से जुडने का एक प्रभावकारी माध्यम बनेगा। आज का दौर संवादहीनता का दौर हैं ऐसे में यह प्रयास सराहानीय हैं। समापन के दौरान आखर की तरफ से सभी आगंतुकों को धन्यवाद श्री प्रमोद शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया।

इससे पूर्व आखर सीरीज में प्रतिष्ठित राजस्थानी साहित्यकारों डॉ. आईदान सिंह भाटी, डॉ. अरविंद सिंह आशिया, रामस्वरूप किसान, अंबिका दत्त, कमला कमलेश और भंवर सिंह सामौर, डॉ. ज्योतिपुंज, डॉ. शारदा कृष्ण, डॉ. ज़ेबा रशीद, देवकिशन राजपुरोहित, मोहन आलोक, मधु आचार्य, जितेन्द्र निर्मोही, डॉ मंगत बादल, दिनेश पंचाल, मनोहर सिंह राठौड़, पं. लोकनारायण शर्मा, बुलाकी शर्मा, कुंदन माली, बसंती पंवार, आनंद कौर व्यास, किशन लाल वर्मा, तेजसिंह जोधा, डॉ. गजादान चारण के साथ चर्चा की जा चुकी हैं।