
रक्षा मंत्री ने कहा- भारत की सरजमीं पर राफेल का उतरना सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है
अंबाला। फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके 5 राफेल बुधवार दोपहर करीब 3.15 बजे अंबाला एयरबेस पर उतरे। राफेल की अगवानी वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारियों ने की। अंबाला एयरबेस पर 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन राफेल की पहली स्क्वॉड्रन होगी।
22 साल बाद भारत को 5 नए फाइटर प्लेन मिले हैं। इससे पहले 1997 में भारत को रूस से सुखोई मिले थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल की लैंडिंग के तुरंत बाद ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- भारत की सरजमीं पर राफेल का उतरना सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है
हैप्पी लैंडिंग, हैप्पी हंटिंग- नेवी का मैसेज
जब राफेल की टुकड़ी ने भारत के एयरस्पेस में प्रवेश किया, तब उसका आईएनएस कोलकाता से संपर्क हुआ। नौसेना के इस जहाज ने राफेल की टुकड़ी से संपर्क साधा और कहा-एरो लीडर, हिंद महासागर में आपका स्वागत है। हैप्पी लैंडिंग, हैप्पी हंटिंग।
एटमी हथियार ले जाने की ताकत रखने वाला ये विमान दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो 55 हजार फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता है। सबसे अहम बात यह है कि ये काबिलियत हमारे पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन दोनों की ही सेना के पास नहीं है।
पहला विमान ग्रुप कैप्टन हरकीरत लैंड करवाया
5 विमानों की बैच में सबसे पहले विमान को वायुसेना की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता गु्रप कैप्टन हरकीरत सिंह ने लैंड करवाया। पीछे-पीछे 4 अन्य राफेल लैंड हुए।
इस मौके पर राफेल को लाने वाले पायलटों के परिवार भी मौजूद हैं। लैंडिंग के बाद राफेल को वॉटर सैल्यूट दिया गया। इसके बाद सैन्य सेरेमनी होगी। लैंडिंग के दौरान एयरफोर्स स्टेशन के आसपास धारा 144 लागू कर दी गई है। 3 किलोमीटर तक ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल पर भी रोक है।
कॉकपिट में अंधेरा छाने के बावजूद मिग को उतार लाए थे हरकीरत
गु्रप कैप्टन हरकीरत सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं। इंजन खराब इंजन के बावजूद जान जोखिम में डालकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था। घटना 23 सितंबर 2008 की है। तब वे स्क्वाड्रन लीडर थे।
राजस्थान के एक एयरबेस से मिग-21 बाइसन में रात में अभ्यास उड़ान पर थे। 4 किमी की ऊंचाई पर उन्हें इंजन से 3 धमाके सुनाई दिए। इंजन बंद होते ही कॉकपिट में अंधेरा छा गया। हरकीरत ने इमरजेंसी लाइट जलाई और किसी तरह आग पर काबू पाया। देर किए बिना इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश की।
इंजन चालू कर उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल की मदद से नेविगेशन सिस्टम के जरिये रात में लैंडिंग की, जिसके लिए उच्च कौशल की जरूरत होती है। हरकीरत चाहते तो कूद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने मिग को भी सुरक्षित लैंड करवाया। हरकीरत के पिता निर्मल सिंह ले. कर्नल रहे हैं। उनकी पत्नी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं।