
वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे के मौके पर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल जयपुर ने कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में शरीर में स्नायुगत विकारों, ब्रेन ट्यूमर्स तथा स्ट्रोक्स की बढ़ती आशंकाओं के बारे में जागरूकता फैलाने की पहल की है।
डॉक्टरों ने मरीजों को लगातार बने रहने वाले सिरदर्द या अन्य किसी स्वास्थ्य समस्या के प्रति लापरवाही न बरतने की सलाह दी है क्योंकि इस तरह की परेशानियां समय के साथ न सिर्फ गंभीर हो जाती हैं बल्कि असमय मौत का कारण भी बन सकती हैं। इस साल इस दिवस का थीम ‘ब्रेन ट्यूमर से ग्रस्त लोगों को प्राथमिकता देना और उनका पक्ष सुननाÓ चुना गया है।
डॉक्टरों ने आम जनता को लगातार बने रहने वाले सिर दर्द, बिना किसी कारण मितली या उल्टी की शिकायत, बोलने में परेशानी, रोजमर्रा के कामकाज में भ्रमित होने जैसे लक्षणों को गंभीरता से लेने को कहा है। साथ ही, इन लक्षणों के दिखायी देने पर तत्काल उपचार लेना चाहिए ताकि ट्îूमर को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सके, किसी भी प्रकार की स्नायुगत समस्या का समय पर उपचार किया जा सके।
डॉ नीतू रामरखियानी, निदेशक, न्यूरोलॉजिस्ट, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, जयपुर ने कहा, महामारी के दौरान, ब्रेन ट्îूमर्स के मरीजों ने काफी परेशानियां उठायीं क्योंकि समय पर उनकी जांच नहीं हो सकी। वायरस संक्रमण का खतरा और अस्पताल आने-जाने की परेशानियां के चलते वे इलाज में देरी करते रहे।
इसके अलावा, हमने यह भी देखा है कि कोविड के हल्के-फुल्के लक्षणों से प्रभावित लोगों में ब्रेन फॉग, ओरिएंटेशन की शिकायत तथा व्यवहार में बदलाव भी हुए हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमें इन तमाम लक्षणों को गंभीरता से लेना है और अगर ये बार-बार उभरें या लगातार बने रहें तो हमें तत्काल किसी मेडिकल प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए।
ब्रेन ट्यूमर दरअसल, मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य पिंड या इन कोशिकाओं में होने वाली असामान्य बढ़त को कहते हैं। सभी प्राइमरी सैंट्रल नर्वस सिस्टम ट्यूमर्स में ब्रेन ट्यूमर्स की संख्या 85 से 90 फीसदी तक होती है। अन्य ट्यूमर्स की तरह, ब्रेन ट्यूमर्स भी मैलिंगनेंट (कैंसरग्रस्त) या बिनाइन (गैर-कैंसरग्रस्त) हो सकते हैं।
75 से अधिक प्रकार के ब्रेन ट्यूमर पाए जाते हैं, और यही वजह है कि अलग-अलग मरीजों में इनके प्रभाव भी अलग होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबद्ध द इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्रीज (आईएआरसी) द्वारा जारी ग्लोबोकॉन 2018 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल ब्रेन ट्यूमर के 28,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं। इस स्नायुगत रोग से करीब 24,000 लोगों की जान जा चुकी है।