किसान आंदोलन : हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से दिल्ली जाने वाली फल-सब्जी, दूध की सप्लाई रोकी जाएगी

दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का आज यानी 8 फरवरी को 75वां दिन है। रविवार को हरियाणा के कितलाना टोल पर खाप महापंचायत हुई थी। इसमें किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि सरकार को झुकाने के लिए असहयोग आंदोलन छेडऩा होगा।

यह भी फैसला किया कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से दिल्ली जाने वाली फल-सब्जी, दूध समेत जरूरत के हर सामान पर रोक लगानी होगी। हरियाणा में अडानी और अंबानी के कारोबार को प्रभावित करने के लिए इनके सामान का बहिष्कार करना होगा।

इस बीच, सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर से 1178 पाकिस्तानी खालिस्तानियों के अकाउंट्स हटाने को कहा है। इसका मकसद किसान आंदोलन को लेकर गलत सूचनाओं को फैलने से रोकना है।

205 मृतक किसानों के परिवारों को एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि देने का भी ऐलान किया गया। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यह भूमि क्रांतिकारियों की रही है। आज भी यहां की खापों की अपनी अहमियत है।

पहले जब कभी खापों की बैठक होती थी तो सरकार हिल जाती थी। राजा हर्षवर्धन के समय से खाप और पंचायतें सक्रिय हैं। तीनों कृषि कानूनों को लेकर आए इन काले अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए इसी धरती पर खापें एकजुट हुई हैं। किसानों की इस जीत को अब कोई नहीं रोक सकता।

वहीं, किसान नेता 80 वर्षीय बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 51 साल पहले किसान संगठनों के जत्थों को एकजुट करने का सपना देखा था। उस समय तो यह हुआ नहीं, लेकिन अब मोदी सरकार के काले कानूनों के खिलाफ आज देशभर के 500 किसान संगठन एक जत्थेबंदी में काम कर रहे हैं। विधायक बलराज कुंडू ने कहा कि अहिंसात्मक आंदोलन से सरकार मानने वाली नहीं हैं।

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