
- अहिंसा से ही संभव है व्यष्टि और समष्टि का कल्याण
- वक्ताओं ने अहिंसा के अनुपालन का किया आह्वान
जैसलमेर/ राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की 150 वीं जयंती वर्ष एवं स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ के कार्यक्रमों के तहत शनिवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती आयोजन समारोह समिति जैसलमेर तथा जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में कलेक्ट्रेट परिसर स्थित डी.आर.डी.ए हॉल में गांधी सप्ताह समापन समारोह कार्यक्रमों का आयोजन ’’ अहिंसा संगोष्ठी ’’ के साथ सम्पन्न हुआ।
संगोष्ठी में पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती अंजना मेघवाल, उपखण्ड अधिकारी जैसलमेर दौलतराम चौधरी, महात्मा गाधी जीवन दर्शन समिति के जिला संयोजक उम्मेदसिंह तंवर व सह संयोजक रूपचन्द सोनी, वयोवृद्ध इतिहासविद् एवं साहित्यकार नंदकिशोर शर्मा, सहायक निदेशक लोकसेवाएं सांवरलाल रैगर, महिलां अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक अशोक गोयल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉं.कुणाल साहू ,जैसलमेर पंचायत समिति के विकास अधिकारी जितेन्द्रसिंह सांदू, सहायक प्राध्यापक डॉ. ममता शर्मा, नगर परिषद के पूर्व सभापति सुमार खां, खादी ग्रामोदय सर्वोदय मण्डल के कार्यकर्ता राजूराम प्रजापत, पार्षद आनन्द व्यास व दुर्गेश आचार्य, शंकरसिंह करड़ा, धर्मेन्द्र आचार्य, समाजसेवी छोटू खां कंधारी और राधेश्याम कल्ला, ब्लॉक संयोजक दिलीपसिंह सोलंकी बरमसर, जाकिर हुसैन तथा जयसिंह माली के साथ ही अन्य पदाधिकारीगण व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
जाने-माने इतिहासकार एवं साहित्यकार नंदकिशोर शर्मा ने अपने अपने उद्बोधन में महात्मा गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश के हालातों के बारे में विस्तार से अवगत कराते हुए कहा कि उस समय गांधी जी की विचारधारा अहिंसा ऎसी थी कि अंग्रेजों को भारत देश के किसी भी नागरिक को हिंसा का शिकार नहीं होने देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सत्य और अंहिसा का पथ अपनाया। बापू का महान् व्यक्तित्व पूरे विश्व में सत्य और अंहिसा के मार्ग पर चलने की सीख को लेकर आज भी प्रेरणादायक हैंं।
उपखण्ड अधिकारी दौलतराम चौधरी ने आज के परिपे्रक्ष्य में महात्मा गांधी जी के बताए अहिंसा एवं सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेने तथा नकारात्मकता सोच को सकारत्मकता सोच में बदलने की आवश्यकता जताई। उन्होंने हमें अपने जीवन में हिंसा भावना की प्रवृति को सदैव परित्याग कर बापू के बताए अंहिसा के सद्मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती अंजना मेघवाल ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी जी का योगदान अहम् है। बापू के अहिंसा एवं सत्य के सिद्धान्तों के साथ्रक विचारों को आज की पीढी को अपनाने की सीख देते हुए बताया कि हमें हिंसा की मानसिकता की विचारधारा को सदैव के लिय त्याग कर उनके बताया शांति के मांर्ग पर चलना चाहिए तभी देश तरक्की करेगा।
संगोष्ठी में पूर्व सभापति सुमार खां ने अराजकता, अशांति आदि विषयों पर चर्चा करते हुए कहा कि गांधीजी ने अंहिसा, त्याग और तपस्या के बल पर पूरी दुनिया को जीता। इसलिये उनकी सरल व सादगीमय जीवन शैली से जुड़ने एवं सच्चाई व अहिंसा के उपदेशों को हमें जीवन में सदैव के लिये आत्मसात करने का आह्वान किया।
महात्मा गांधी जीवनदर्शन समिति के संयोजक उम्मेदसिंह तंवर ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का आयोजन समिति की ओर से आभार प्रदर्शित करते हुए कहा कि आज दुनिया में हर क्षेत्र में चंहु ओर हिंसात्मक घटनाए ओर गतिविधियों अत्याधिक हो रही हैं। बापू ने राष्ट्र की उन्नति के लिए नई पीढी को गांधी जी के त्याग , बलिदान ,सत्य व अहिंसा के बताए मार्ग चलने की सीख लेते हुए उसकी बदौलत जो सत्य और अंहिसा का जो मूल संदेश दिया वह आज भी प्रासंगिक हैं।
सह संयोजक रूपचन्द सोनी ने संपूर्ण गांधी सप्ताह और अमृत महोत्सव कार्यक्रमों का विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
सर्वोदय मण्डल के कार्यकर्ता राजूराम प्रजापत और प्रो. ममता शर्मा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी अंहिसा विचारों, सिद्वान्तों और जीवन कर्मयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में व्याख्याता रतनसिंह भाटी,कमलसिंह भाटी ,नवरंग खान, तरुण कुमार दैया, कृष्ण कुमार, चैतसिंह, गांजी खान, शिवरतन माहेश्वरी, भोजराज वैष्णव ,मनोज सौंलकी, शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रभुराम राठौड़ ,नेहरु युवा केन्द्र के जिला युवा अधिकारी फतेहलाल भील, आलमाराम पंवार, देवेन्द्र परिहार, अमृृतलाल, कैलाश भाटी, महिमा भाटिया, सुमन भाटी, सुरजाराम, पवनसिंह,रूपाराम के साथ अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षाधिकारी करणदान रतनू और अच्छी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षाविद् एवं साहित्यकार बराईदीन सांवरा ने किया। अंत में आयोजन समिति की ओर से संयोजक उम्मेदसिंह तंवर व सह संयोजक रूपचंद सोनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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