
हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा हर वर्ष जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां गंगा कहा जाता है. इन्हें पूजा जाता है और इनके पवित्र जल का उपयोग हर शुभ कार्य में किया जाता है। गंगा जल के उपयोग के बिना कोई भी मांगलिक कार्य पूर्ण नहीं माना जाता। हिंदू धर्म में गंगा दशहरे का अत्यंत महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन गंगा नदी में स्नान कर व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरे पर ही गंगा नदी का अवतरण हुआ था। राजा भागीरथ कड़ी तपस्या के बाद अपने पूर्वजों की आत्मा के उद्धार के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लेकर आए थे। गंगा दशहरे के दिन कुछ विशेष उपाय करने से हर तरह की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
गंगा मंत्र
- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
- नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
- अर्थात- हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी, कृपया इस जल में (आप सभी) पधारिए।
- ऊँ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
- अर्थात- गंगा मैया! आप विश्वरुपिनी हैं, नर नारायण स्वरूपी हैं, आपको नमस्कार!
- गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि।
- मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति।।
अर्थात- जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगा जी का नाम स्मरण करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो कर विष्णुलोक में जाता है।
- गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्।
- त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।
अर्थात- गंगा का जल, जो मनोहारी है, विष्णुके श्रीचरणों से जिनका जन्म हुआ है, जो त्रिपुरारी की शीशपर विराजित हैं, जो पापहारिणी हैं, हे मां आप मुझे शुद्ध करें।
मां गंगा आरती

ऊँ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।।
ऊँ जय गंगे माता…
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।।
ऊँ जय गंगे माता…
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।।
ऊँ जय गंगे माता…
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।।
ऊँ जय गंगे माता…
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।।
ऊँ जय गंगे माता…
ऊँ जय गंगे माता…
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