किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कर रही है अनेकों प्रयास

सब्सिडी से मिलेगा खाद्य उत्पाद लगाने का हौंसला

किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है केंद्र और राज्य की योजनाएं

पीएमएफएमई और कृषि प्रसंस्करण में मिलेगा लाखों का अनुदान

विशेष संवाददाता/कोपल हालन/पिंकी कड़वे/ जयपुर। भारत के कुल क्षेत्रफल का 342 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा राजस्थान में मौजूद है। इसलिए राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य कहलाता है। कृषि से भारत की बहुत बड़ी आबादी जुड़ी हुई है। कृषि में अब काफी बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं, इसमें किसानों को सरकार का भी काफी सहयोग मिल रहा है। सरकार बुआई से लेकर फसल की बिक्री तक किसान को हरसंभव सहयोग कर रही है। राजस्थान में पानी की कमी और असमान्य तापमान दो बड़ी समस्याएं है जिसकी ओर ध्यान देते हुए सरकार योजनाएं बनाती आई है जिसमें शामिल डिग्गी बनाने की सुविधा है जिससे पानी को बचाया जा सकता है साथ ही प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भी किसानों के नुक्सान की भरपाई के लिए सब्सिडी की व्यवस्था बनाई गई है जो कि किसान को समय रहते इसका लाभ दिलवा सकने में सहायक साबित हो रही है। हाल ही में आए राज्य बजट में भी सरकार द्वारा किसानों और खाघ उत्पाद लागाने वालों के लिए कई योजनाएं लाए हैं, जो कि किसानों के आत्मनिर्भर बनने में सहायक साबित होगा।

क्या है डिग्गी निर्माण योजना-
जिन किसानों के पास एक एकड़ से ज़्यादा जमीन व नगर के किनारे खेत है उनकों डिग्गी बनाने की सुविधा दी जाती है जिससे की वे पानी को स्टोर कर वक्त आने पर इसका सही उपयोग कर पाते हैं, किसान को इसके निर्माण के लिए चार लाख यूनिट कोर्स का 75 फीसदी यानि तीन लाख तक की मदद देने का प्रावधान बनाया गया है।

प्राकृतिक आपदाओं में बीमा क्लेम की सुविधा-
संयुक्त निदेशक मुकेश माथुर ने बताया कि ओलावृष्टि, भूस्खलन, जल भराव, बादल फटना जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले नुकसान के लिए 72 घंटे में मुआवजे के लिए अधिसूचित बीमा कम्पनियों को टोल फ्री नम्बर से सुचित करना होता है जिसके पश्चात बीमा कम्पनी एक निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार जाइंट सर्वे करवा कर मुआवजे की  रकम किसान के खाते में डलती है। इसके तहत खरीफ़ में 68 लाख और रबी में 40 लाख किसानों ने पॉलिसी बनवाई है जिससे योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। राजस्थान सरकार द्वारा गुड गवर्नेंस प्लेन के अंतर्गत जिन किसान के पास आधार और खाता होगा वहीं किसान पॉलिसी का लाभ उठा पाएगे और पोर्टल पर भी सिर्फ़ उन्हीं का डाटा होगा जिससे डुप्लीकेसी जैसी परेशानियों से निजात मिल सकेगी और उचित धारकों तक इसका लाभ पहुचं पाएगा।  साथ ही एक क्षेत्र की पैदावार जानने के लिए फसल कटाई एक्सपेरिमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे मैनुअल है, ज़ार्डस जैसी समस्याएं खत्मे हो पाने में कारगर रहती है।

किसान सेवा केंद्र की होगी स्थापना-
उप निदेशक मुकेश चंद्र चेजारा ने बताया कि राजस्थान में लगभग 6800 किसान सेवा केंद्र है। किसान सेवा केंद्र सह विलेज नोलेज सेन्टर के अंर्तगत परवेषण के साथ पटवारी बैठेगा। पूरे राजस्थान में लगभग 12000 पटवारी  और 6000 सुपरवाइजर ग्राम पंचायत में मौजूद है। इसी अन्तर को भरने के लिए काम किया जा रहा है जिससे की किसनों को और बेहतर सुविधाएं मिल पाने में मददगार साबित हो। बजट 2021 में राज्य सरकार ने 1000 किसान सेवा केंद्र बनाने का लक्ष्य लिया है जिसे नाबार्ड की मदद से बनाया जाएगा। इसके अंतरगत जहां पटवार मुख्यालय है और जहां कृषि पर्यवेक्षण नहीं है उन स्थानों पर इसका निर्माण किया जाएगा जिससे आस-पास के लोगों को प्रत्येक योजना का लाभ मिल पाने में सहायता मिले।

प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बनेगा फूड पार्क-
उप निदेशक अशोक गर्ग ने राजस्थान सरकार द्वारा बनाए जाने वाले फूड पार्क के बारे में जानकारी दी जिसमें 100 करोड़ रुपये की लागत से जोधपूर में मेगा फूड पार्क बनाया जाएगा वहीं दूसरी तरफ़ 200 करोड़ की लागत से प्रदेश के आठ जिलों में मिनी फूड पार्क बनाये जाएगे जिसमें राली, नागौर, बाइमेर, जैसलमेर, जालोर, सवाई माधोपुर, करौली, बीकानेर एवं दौसा शामिल है। इसका उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं तथा खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाते हुए कृषि उत्पादन को बाजार से जोडऩे के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराना है ताकि मूल्यवर्धन को अधिकतम, बर्बादी को न्यूनतम, किसानों की आय में वृद्धि और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करना सुनिश्चित किया जा सके ।

पीएमएफएमई में मिलेगा 35 प्रतिशत अनुदान-
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना(पीएमएफएमई) में एक जिला एक उत्पाद के तहत इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं का लाभ लेने तथा उत्पादों के विपणन के लाभों को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।  कृषि विभाग की कार्यकारी सहायक मेघा ने योजना को विस्तार में समझाते हुए बताया है कि हर जिले में ओडीओपी के तैहत अनाज आधारित उत्पाद या व्यापक रूप से जिले और उनके सहयोगी क्षेत्रों में उत्पादित खाघ उत्पाद लगाने पर लागत का 35 प्रतिशत (जो की क्रेडिट- लिंक्ड होगा) या अधिकतम 10 लाख रूपए का अनुदान दिया जाएगा। अनुदान राशि तीन वर्ष बाद लाभार्थी के बैकं खाते में ट्रांसपर की जाएगी और साथ ही इसपर कोई ब्याज नहीं देना होगा।राजस्थान में कुल 382 एप्लीकेशन में से 187 को लोन के लिए बैंक में जमा करवाया जा चुका है। इस योजना से छोटे उघोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अंतरगत एफपीओ/ एसएचजी/सहकारिताओं, राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों और निजी उघमियों को सामान्य प्रसंस्करण सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग और इन्क्यूबेशन केंद्र समेत इंफ्रास्ट्रक्चरर के विकास के लिए इस योजना को लाया गया है।

कृषि प्रसंस्करण के अंतर्गत मिलेगा एक करोड़ तक का अनुदान-
राजस्थान कृषि प्रसंस्कण, कृषि व्यवसाय एंव कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति, 2019 में कृषि आधारित उघोग लगाने एंव वेयर हाउज, कोल्ड स्टोरेज आदि बनाने के लिए किसान एंन उसके संगठनों को परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम 100 लाख रूपये की सीमा तक) अनुदान दिया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ़ अन्य पात्र उघमियों को 25 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख रूरये की सीमा तक) अनुदान देने की योजना बनाई गई है जिससे ज़्यादा से ज़्यादा किसान व व्यापारी इसका लाभ उठा पाने में सक्षम हो सके। साथ ही आरबीआई बैंको से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थान/अनुसुचित बैकों से सावधि ऋण लिए जाने पर 50 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक प्रसंस्करण उघोगों के लिए अधिकतम 50 लाख रूपये एवं आधारभूत संरचना इकाईयों के लिए 100 लाख रूपये ब्याज अनुदान दिया जाता है।