न्यायालय के आदेश के बाद पोनमुडी को राज्यपाल रवि ने मंत्री पद की शपथ दिलाई

मंत्री पद की शपथ दिलाई
मंत्री पद की शपथ दिलाई

चेन्नई। उच्चतम न्यायालय की कड़ी टिप्पणी के एक दिन बाद द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के वरिष्ठ नेता के. पोनमुडी को तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ दिलाई।

पोनमुडी ने 19 दिसंबर 2023 को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दोषी करार दिये जाने पर मंत्री पद गंवा दिया था। इसके तीन महीने बाद वह फिर से तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री बनाये गए हैं।

राजभवन में एक सामारोह में रवि ने मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन तथा उदयनिधि स्टालिन और मा सुब्रमण्यन सहित अन्य मंत्रियों की मौजूदगी में पोनमुडी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

पोनमुडी को उच्च शिक्षा विभाग दिया गया है,जो संक्षिप्त अवधि के लिए पिछड़ा वर्ग मंत्री आर एस राजाकनप्पन के पास था। राजाकनप्पन को फिर से खादी एवं ग्राम उद्योग बोर्ड का प्रभार दे दिया गया है जो पूर्व में उनके पास था। दिसंबर में, पोनमुडी को अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद विभागों के आवंटन में फेरबदल किया गया था।

पोनमुडी के मंत्री पद की शपथ लेने के साथ मुख्यमंत्री स्टालिन और राज्यपाल रवि के बीच तकरार पर विराम लग गया। स्टालिन ने 13 मार्च को रवि को पत्र लिखकर पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलाने की सिफारिश की थी।

लेकिन राज्यपाल ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा था कि पोनमुडी की दोषसिद्धि केवल निलंबित हुई है, निरस्त नहीं हुई है। इसके बाद, द्रमुक शासन ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

विषय की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राज्यपाल रवि के रुख पर गंभीर चिंता जताई थी क्योंकि उन्होंने पोनमुडी की दोषसिद्धि निलंबित होने के बाद भी उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल को 24 घंटे के भीतर इस मुद्दे पर फैसला करने का निर्देश दिया था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि पोनमुडी की दोबारा नियुक्ति संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगी।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम राज्यपाल के आचरण को लेकर काफी चिंतित हैं। हम इस अदालत में सख्त लहजे में नहीं कहना चाहते, लेकिन वह उच्चतम न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं। जिन लोगों ने उन्हें सलाह दी है, उन्होंने उन्हें ठीक से सलाह नहीं दी है। अब क्या राज्यपाल को न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक के बारे में सूचित करना होगा।