देशभर में 21 से 28 मार्च तक होलाष्टक मनाया जाएगा

देशभर में 21 से 28 मार्च तक होलाष्टक मनाया जाएगा। होलाष्टक का प्रारंभ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से हो जाता है। होलाष्टक के समय में कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता है। आज होलाष्टक का तीसरा दिन है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको बताते हैं कि होलाष्टक का संबंध होलिका दहन से कैसे है? आइए पढ़ते हैं होलिका की कथा।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा हिरण्यकशिपु श्रीहरि विष्णु से अपने भाई की मृत्यु का बदला लेना चाहता है। वह देखता है कि उसका बेटा प्रह्लाद हर समय श्रीहरि विष्णु का ही नाम जपता है। उसे यह बात पसंद नहीं थी क्योंकि वह स्वयं को देवता मान बैठा था और सभी से पूजा करने के लिए कहता था। उसके डर से प्रजा तो उसकी पूजा करती थी लेकिन प्रह्लाद ऐसा नहीं करता था।

इस बात से क्रोधित होकर उसने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद की हत्या की बात कहता है। हिरण्यकशिपु होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर आग में जलाकर मारने की साजिश रचता है। अपने भाई की इस साजिश से होलिका बड़े असमंजस में पड़ जाती है। वह इसके लिए तैयार नहीं होती है, लेकिन हिरण्यकशिपु उसको जान से मारने की धमकी दे देता है।

वह डर जाती है। वह सोचती है कि मरना ही है, तो प्रह्लाद की रक्षा करके क्यों न मरा जाए। आठ दिनों में वह स्वयं को इसके लिए तैयार करती है। इन आठ दिनों को ही होलाष्टक कहा जाता है। होलाष्टक में विवाह, मुंडन, सगाई जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

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