
नई दिल्ली। कार खरीदना किसी भी इंसान के लिए एक बड़ा निवेश होता है, और अगर सही देखभाल की जाए तो ये निवेश वर्षों तक काम आता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी कार 10 वर्ष से भी ज्यादा चले और वह भी बिना ज्यादा परेशान किए, तो कुछ जरूरी मेंटेनेंस की आदतें अपनाना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं वो 7 जरूरी टिप्स जो आपकी कार को लंबे समय तक दुरुस्त और भरोसेमंद बनाए रखेंगे।
इंजन ऑयल, अन्य फ्लूइड्स की नियमित जांच
कार के इंजन का ऑयल उसकी “जान” होता है। यह इंजन के हिस्सों को घर्षण से बचाता है और ज्यादा गर्म होने से रोकता है। लेकिन समय के साथ ऑयल खराब हो जाता है और उसमें गंदगी जमने लगती है। इसलिए करीब हर 8,000 से 12,000 किमी (या गाड़ी की कंपनी की सलाह के मुताबिक) पर इंजन ऑयल और फिल्टर बदलवाना जरूरी है। इसके अलावा ट्रांसमिशन फ्लूइड, ब्रेक फ्लूइड, कूलेंट, पावर स्टीयरिंग फ्लूइड और वाइपर वॉशर फ्लूइड को भी समय-समय पर चेक और रिफिल करते रहना चाहिए। ये सब मिलकर कार के इंजन और परफॉर्मेंस को सुरक्षित और टिकाऊ बनाते हैं।
बैटरी और इलेक्ट्रिकल सिस्टम की देखभाल
कार की बैटरी और इलेक्ट्रिक सिस्टम अगर ठीक न हो तो गाड़ी कभी भी बंद हो सकती है। बैटरी के टर्मिनल पर जमी हुई जंग साफ करें और कनेक्शन टाइट रखें। समय-समय पर बैटरी का वोल्टेज टेस्ट करवाएं, खासकर ठंड या गर्मी शुरू होने से पहले। साथ ही अल्टरनेटर और स्टार्टर की भी जांच करवाएं। क्योंकि ये बैटरी चार्ज और गाड़ी स्टार्ट करने में मदद करते हैं।
इंजन एयर फिल्टर की सफाई और बदलाव
इंजन एयर फिल्टर धूल और गंदगी को इंजन में जाने से रोकता है। अगर ये बंद हो जाए तो ना सिर्फ परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है बल्कि फ्यूल की खपत भी बढ़ जाती है। हर 20,000 से 25,000 किमी पर एयर फिल्टर की जांच करवाएं और ज़रूरत हो तो बदलवाएं। अगर आप धूल भरे इलाके में गाड़ी चलाते हैं तो इसे जल्दी-जल्दी बदलना पड़ सकता है।
ब्रेक सिस्टम की नियमित जांच
ब्रेक सिस्टम ही वो चीज है जो किसी भी मुश्किल हालात में आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। ब्रेक पैड्स और रोटर्स को समय-समय पर चेक करवाएं। अगर ब्रेक पैड घिस चुके हैं तो उन्हें बदलवाएं वरना रोटर्स भी खराब हो सकते हैं। ब्रेक फ्लूइड भी समय के साथ नमी सोख लेता है, जिससे ब्रेकिंग पर असर पड़ता है। इसके अलावा ब्रेक की पाइप और होज में लीकेज या जंग की जांच भी जरूरी है।
टायर की देखभाल और रोटेशन
टायर ही वो हिस्सा है जो सीधे सड़क से जुड़ा होता है। अगर इनकी सही देखभाल न की जाए तो ना सिर्फ कार की माइलेज कम होती है बल्कि हादसे का भी खतरा बढ़ जाता है। टायर का प्रेशर हमेशा सही रखना चाहिए और करीब हर 10,000 किमी पर टायरों की रोटेशन जरूर करानी चाहिए ताकि सबमें बराबर घिसावट हो। साथ ही व्हील अलाइनमेंट और बैलेंसिंग भी समय-समय पर करवाते रहें। टायर की ग्रिप (ट्रेड डेप्थ) पर भी नजर रखें और जरूरत पड़ने पर नए टायर लगवाएं।
कंपनी द्वारा बताई गई सर्विस शेड्यूल का पालन
हर कार निर्माता कंपनी एक सर्विस शेड्यूल देती है जिसमें बताया गया होता है कि कितने किलोमीटर पर कौन-कौन सी चीजें चेक या बदलवानी हैं। इसमें टाइमिंग बेल्ट, स्पार्क प्लग, कूलेंट, ब्रेक फ्लूइड और ट्रांसमिशन ऑयल शामिल होते हैं। इस शेड्यूल का पालन करने से छोटी-छोटी दिक्कतें समय रहते पकड़ी जा सकती हैं और बड़ी परेशानी से बचा जा
सकता है।
कार की सफाई और जंग से बचाव
कार को साफ रखना सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि उसकी सेहत के लिए भी जरूरी है। गाड़ी को नियमित धोते रहें ताकि धूल, मिट्टी और खासकर सर्दियों में सड़कों पर डाला गया नमक गाड़ी की बॉडी को नुकसान न पहुंचाए। वैक्सिंग से गाड़ी की पेंट पर एक सुरक्षा परत बन जाती है जो जंग लगने से बचाती है। गाड़ी के अंदर की सफाई भी जरूरी है ताकि सीटें और डैशबोर्ड लंबे समय तक टिकें।
मेहनत थोड़ी, फायदे बहुत सारे
अगर आप इन सात आसान मेंटेनेंस आदतों को अपनाते हैं, तो आपकी कार ना सिर्फ 10 साल बल्कि उससे भी ज्यादा वर्षों तक साथ निभा सकती है। ये आदतें आपकी कार को बेहतर परफॉर्मेंस, ज्यादा माइलेज और बेहतर रीसेल वैल्यू देने में मदद करेंगी।