आईआईएचएमआर की वेबनार में हुई चर्चा, महामारी के दौरान लोगों का विश्वास जीतने के लिए पादर्शिता का होना बहुत जरूरी

जयपुर। आईआईएचएमआर की तरफ से ट्रांसपेरेंसी, इथिक्स एण्ड इन्टीग्रिटी इन हैल्थकेयर एण्ड फार्मा सेक्टर विषय पर आज आयोजित वेबनार में बिजनेस एक्सपर्ट का कहना था कि कोविड-19 महामारी के दौर में भ्रष्टाचार के बढ़ते जोखिम को देखते हुए पारदर्शिता का होना आवश्यक है। यह वेबनार सेन्टर आफ एक्सीलेंस फार गवर्नेंस, इथिक्स एण्ड ट्रांसपेरेंसी (सीईजीईटी) ग्लोबल नेटवर्क इण्डिया (जीसीएनआई) की सहभागिता में आयोजित की गई।

वेबनार में उपस्थित वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एक प्रभावी और कुशल हैल्थकेयर सिस्टम के निर्माण के लिए पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण तत्व है, और स्वास्थ्य देखभाल में पारदर्शिता की कमी सार्वजनिक विश्वास को समाप्त कर सकती है। हेल्थकेयर संगठनों को देखभालकर्ता और समुदाय के बीच विश्वास की संस्कृति को मजबूत करने के लिए मजबूत नैतिक नींव की आवश्यकता है।

एचईसी पेरिस के एकेडेमिक प्रोग्राम डायरेक्टर प्रो. वोल्फगेंग सी. अमन का कहना था विश्व स्तर पर, 7 ट्रिलियन अमरीकी डालर भ्रष्टाचार पर खर्च किया जाता है, और इसका 7 प्रतिशत हानि हो जाती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, प्रदर्शन का दबाव बड़ा है सरकार का दबाव इसमें तेजी और बढ़ोतरी लाने के लिए बड़ा है इसके लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। एक जानकारी के अनुसार 70 प्रतिशत देशों में कोविड के दौरान भ्रष्टाचार के नए-नए तरीके सामने आए हैं। यह भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहे हैं जो कि हमारे सामने एक चुनौती बन कर खड़े हैं। इससे निपटने के लिए हमें तेजी, विशालता और अत्याधुनिक शिक्षा एवं टेक्नोलाजी अपनानी होगी।

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डा एस.डी. गुप्ता जो कि इस वेबनार सत्र के अध्यक्ष भी थे ने कहा सुशासन के लिए पारदर्शिता का होना बहुत जरूरी है, क्यों कि इससे जवाबदेही बढ़ती है। फार्मास्यूटिकल और हैल्थ सेक्टर में बहुत सारे नैतिक मुद्दे हैं, जिसमें तेज डेटा का उत्पादन, लाभ-निर्माण की खोज, और नियमों और नैतिकता का पालन नहीं करना शामिल है। खराब गुणवत्ता का एक कारण सूचनाओं को साझा करने में कमी है।

नैतिक दृष्टि से पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। यह प्रोवाइडर्स, नियामकों और प्राप्तकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी, मूल्य निर्धारण और उपचार की गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण है। आज समय की मांग है कि हैल्थकेयर प्राफेशनल्स के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का निर्माण किया जाए जो मूल्यों और नैतिकता पर केन्द्रित हों।

जर्मनी की एक स्वतंत्र वैश्विक स्वास्थ्य सलाहकार सरहा स्टेनगर्बर ने कहा कोविड-19 के लिए टीका बनाने के वास्ते भारी संख्या में दान की जा रही राशि से भी जहां भ्रष्टाचार का जोखिम बड़ा है वहीं क्लीनिकल ट्रायल्स में पारर्शिता लाने की प्रक्रिया भी अभी शुरूआती दौर में है। सार्वजनिक संस्थानों में जनता का भरोसा बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हैल्थकेयर सेक्टर में भ्रष्टाचार पर और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में, इस मुद्देे को लेकर बहुत कम शोध और एडवोकेसी की जा रही है।

यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में देखभाल करने वाले अधिक हैल्थकेयर प्रोफेशनल्स की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बदलाव इसी सेक्टर के भीतर से लाने होंगे इन्हें लाने के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। चूंकि स्वास्थ्य एक मानव अधिकार है, भ्रष्टाचार से निपटना भी हमारी दैनिक रोटी का एक हिस्सा होना चाहिए।

अनुपालन एक व्यावसायिक प्रतिष्ठा की आवश्यकता है पर जोर देते हुए आईएई बिजनेस स्कूल अर्जेन्टीना के डायरेक्टर सेन्टर फार गवर्वेंनस एण्ड ट्रांसपेरेंसी प्रो. मिथियास केनहैल्पल ने कहा प्रोत्साहन कार्यक्रम किसी भी सम्बन्ध में अल्पकालिक वित्तीय लक्ष्य हैं, जिससे इसे हासिल किया जाता है। हमें एक पर्याप्त प्रोत्साहन प्रणाली की आवश्यकता है। अल्पकालिक वित्तीय लक्ष्यों के लिए वेतन का उच्च प्रतिशत पैसे बनाने को बढ़ावा देने के साथ जुड़ा है। भ्रष्टाचार को कम करने के लिए, वेतन को दीर्घकालिक और गैर-वित्तीय लक्ष्यों से जोडऩा महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रो-पे्रसिडेन्ट डा. पी.आर. सोडानी ने कहा हैल्थकेयर सेक्टर में पारदर्शिता और आचार संहिता हैल्थेयर सेवाओं की गुणवत्ता के आधार स्तम्भ हैं। अगर हम मरीज केन्द्रित हैल्थकेयर सर्विसेज की बात करते हैं तो इसमें पारदर्शिता का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। आईआईएचएमआर ने पहले भी इस पर गहन विचार विमर्श किया है और आगे भी इस अवधारणा के अन्य पहलुओं को सामने लाना जारी रखेगा।

यूनाइटेड नेशन्स ग्लोबल काम्पेक्ट न्यूयाक की प्रोजेक्ट मैनेजर एशले डेमिंग ने वेबनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा भ्रष्टाचार को एक स्थानीय संदर्भ में माना जाना चाहिए और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। इस दिशा में पहला कदम भ्रष्टाचार के जोखिम, प्रभाव और संभावना को नापने के लिए एक भ्रष्टाचार जोखिम मूल्यांकन करना है। एक बार भ्रष्टाचार विरोधी अनुपालन कार्यक्रम का निर्माण संभव है, जब ये आकलन सबसे जरूरी और दबाव वाले मुद्दों में केंद्रीकृत हो जाते हैं।

प्रो. रोनाल्ड ई. बेरेनबीम, एडजंक्ट प्रोफेसर, एनवाईयू स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस एण्ड सीनियर फेलो, कॉन्फ्रेंस बोर्ड, यू.एस. ने कहा मैक्रो-स्तरीय भ्रष्टाचार तब होता है जब किसी कम्पनी का प्रयास अर्थव्यवस्था की दक्षता को अधिकतम नहीं करता है और इसके सभी प्रतिभागियों को लाभ मिलता है। बाजार की विफलता के चार प्रकार हैं एकाधिकार, नकारात्मक सोच, सार्वजनिक वस्तुओं का निगम उपयोग और सूचना विषमता।

इस सत्र का संचालन आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के डीन (प्रशिक्षण) प्रो. शिव के. त्रिपाठी और ग्लोबल इम्पेक्ट नेटवर्क इण्डिया की डायरेक्टर सीईजीईटी शबनम सिद्धिकी ने किया।