किस में- कितना है दम

पक्का तो नहीं कह सकते कि आगे क्या होगा। हां, इतना जरूर कह सकते हैं कि जो भी होगा-सामने आ जाएगा। सत्तू अंकल भी वही कह रहे हैं। वो भी थावस रखने की बात कर रहे हैं। ऐसा तो नही कि परिणाम पेटी में बंद कर साढे तीन साल बाद घोषित किया जाएगा। वहां तो हाथों-हाथ नतीजे घोषित करने की परंपरा रही है। आर या पार। एक बार तो शांति हो जाणी है। उस के बाद जो होगा-सो होगा। जो होगा उसकी आहट सुनाई देने लग गई है। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।

कई लोगों ने समझ लिया होगा कि धार किस की ओर जा रही है, धारा कहां जा रही है। हम यह दावा इसलिए कर रहे हैं कि कहने वाले से सुनने वाला ज्यादा चतुर माना गया है। अपने यहां ऐसी कहावत भी आम है। बकोड़ा बक-बक कर के राजी भले ही हो जाए। वो समझता है कि उसने अपनी बकवास से अगले को चित्त कर दिया। वो समझता है कि उसने अपनी बकबक से अगले आदमी को संतुष्ट कर दिया। वो समझता है कि उसने अपनी कथित होशियारी से अगली पार्टी को हरा दिया। असल में ऐसा होता नही है। हम-आप जैसे उनको उनके सामने ही हड़का देते हैं, वरना ज्यादातर लोग पीठ पीछे निंदा करते है। वो उसका कहा कहाया इस कान से सुनते हैं-दूसरे से निकाल देते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अगर कान में कुछ बच जाए तो छींक के नाक से बाहर निकाल देते हैं। कहने वाला कह के राजी भले ही हो जाए सुनने वाला उससे चार कदम आगे रहा है..आगे है और आगे रहेगा।

पर यहां वैसा होता दिख नही रहा। हमने कहा-लिखा और सुनने-पढने वाले फटाक से समझ गए होंगे। हां, सत्तु अंकल की सीख पर अचकच जरूर हो रही होगी। उसे भी दूर कर देते है। सत्तुजी सैन की दुकान हमारी गली के मुहाने पर हैं। जहां तक हमारा खयाल है, आगे कुछ कहने-सुनने की जरूरत नहीं। उनकी सीख का खुुलासा करने की भी जरूरत नहीं। जो करेंगे-सामने आ जाएंगा। जिसे गिनना है, गिन ले। उन्हें घोंचा करने की जरूरत नहीं कि नाई.. नाई.. बाल कितने। थावस-सब्र और सबूरी रखोगे तो जवाब खुद-ब-खुद मिल जाएगा। जिन लोगों को बड़का बड़़ रहा है कि अब क्या होगा। इनका की होंदा-उनका की होंदा। सरकार का क्या होगा। रहेगा या जाएगी। रहेगी तो आगे क्या होणा है। जाएगी तो क्या होगा। उन सब का एक ही जवाब-‘आगे-आगे देखिए होता है क्या। इतने सारे पत्ते खुलने के बाद हर बात का खुलासा हो गया कि कौन-क्या कहना-सुनना और समझना चाहता है।

राजस्थान में इन दिनों जो सियासी नाटक चल रहा है उसे देश भी देख रहा है और दुनिया भी। दुनिया के माने ये नही कि मलेशिया के मूल निवासियों या जापान के स्थायी निवासियों का इंटरेस्ट इसमें हो, वरन ये कि दुनिया के किसी भी कौने में राजस्थानी रह रहे हैं उन सबकी नजर राजस्थान की ओर। जानने वाले जानते हैं कि दुनिया का ऐसा शायद कोई भी देश नही, जहां राजस्थान वालों का राज न हो। उनके राजस्थान में राजनीतिक धमाल मचा हुआ है। सब की नजर इस बात पर कि यह धमाल कहां जाकर थमेगा। थमेगा भी या नहीं।

राज्य में गुरू-चेले में जोरदार सियासी जंग चल रही है। अपने यहां एक कहावत आम हैं-‘इश्क और जंग में सब जायज है। पिछले अरसे से इस में राजनीति भी जुड गया तो कहावत हो गई-‘इश्क-जंग और राजनीति में सब जायज है। यहां इस बात का खुलासा करना जरूरी कि सब कुछ जायज का मतलब ये नही कि कोई अपनी मर्यादाएं लांघ जाएं। कानून का उल्लंघन कर दें। नियमों को तार-तार कर दें। संस्कार-संस्कृति की चिंदिया बिखेर दें। इस कहावत में झोल। यूं कहें कि कहावत में से पूरक कहावत, तो भी गलत नहीं। कहावत में से जो धारा फू ट रही है उसका बहाव भी सब को नजर आ रहा है। हमी ने कहा-गुरू , गुरू होवे है-चेला, चेला। हमी ने कहा-‘गुरू गुड रह गए-चेला शक्कर बन गया।गुरू मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चेला पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट। दोनों के बीच तलवारें तनी हुई है।

गहलोत की अपनी कांग्रेस-सचिन का अपना खेमा। इनके विधायक इनके बाडे में-उनके विधायक उनके बाड़े में। लड़ाई घर की और बदनाम भाजपा को किया जा रहा है। अब तो वह भी मौके का फायदा उठाने की जुगत में। गुरू-शार्गिद की जंग में कथित ऑडियो टेप भी टपक पडी। आयकर छापे भी आ गए। गुरू कहें सरकार मजबूत है-चेला कहे-अल्पमत में है। गहलोत खेमे का आरोप कि भाजपा उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है। उनके खेमे ने ऑडियो टेप भी जारी कर दी जिसकी सत्यता पर सवालिया निशान। जवाब में भाजपा का तर्क कि गहलोत खेमा खामखा के नाटक कर रहा है। अपनी सरकार बचाने के लिए हम पर आरोप लग रहा है। इस बीच गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से भेंट कर समर्थक विधायकों की सूची सौंपी जिस में 102-3 एमएलए के नाम हैं।


हथाईबाज गहलोत के इस कदम की तारीफ कर रहे हैं। इससे सदन में तय हो जाएगा कि किस में कितना है दम। फ्लोर टेस्ट शक्ति परीक्षण का एक मात्र रास्ता। बाहर ताकतगिरी दिखाने से क्या फायदा। जो कुछ होणा है वह सदन मे ही होणा हैं। वहां कब और क्या होगा-सामने आ जाएगा। तब तक कांतरकूतर चलती रहणी है।