
नव वर्ष 2023 के आगाज के साथ ही बाजार व निवेशकों की नजर केन्द्रीय बजट 2023-24 और उससे जुड़े संकेतों पर टिक जाएगी। अप्रैल-मई 2023 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पूरे साल का आखिरी बजट होगा।
एक फरवरी को संसद में पेश किया जा सकता है आम बजट

इक्विटी मार्केट के विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने पहले ही बजट से उम्मीदों के मुताबिक अपनी स्थिति का आकलन करना शुरू कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट 1 फरवरी, 2023 को पेश किए जाए जाने की संभावना है। बाजार को नए बजट से सुधारों और कर लाभों की उम्मीदें हैं। बाजार को उम्मीद है कि वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखते हुए विकास की रफ्तार को बनाए रखेंगी।
बजट 2023 में किसी बड़ी घोषणा से बच सकती है सरकार

एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, हमारी राय है कि सरकार राजकोषीय विवेक को दर्शाएगी और किसी बड़ी कट्टरपंथी घोषणा या सुधारों का सहारा नहीं लेगी। इस बात की उम्मीद है कि केंद्र देश के बुनियादी ढांचा के स्थायी विकास, व्यापक कैपेक्स और विनिर्माण आधारित विकास की मौजूदा रणनीति को जारी रखेगा।
निवेश आधारित विकास बना रहेगा सरकार का मूलमंत्र

ब्रोकरेज हाऊस को उम्मीद है कि सरकार पूरे साल के राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के अनुमानित लक्ष्य के भीतर रखने की कोशिश करेगी। उम्मीद है कि प्रमुख उपभोग क्षेत्रों के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता के स्थान पर निवेश आधारित विकास सरकार का मंत्र बना रहेगा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुमानों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में सकल कर संग्रह अक्टूबर 2022 तक 16.1 लाख करोड़ रहा है। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि एफवाई 23 के बजट अनुमानों का 58.4 प्रतिशत है। इस तरह से यह एक मजबूत स्थिति है।

प्त आयकर संरचना में बदलाव की उम्मीद कर रहा बाजार इस बीच, डेलॉइट इंडिया ने भी आयकर संरचना में कुछ बदलावों को अमलीजामा पहनाने का सुझाव दिया है। डेलॉइट इंडिया का मानना है कि आयकर की 30 प्रतिशत की उच्चतम कर दर को घटाकर 25त्न किया जाना चाहिए और उच्चतम कर दर की सीमा को 10 लाख रुपये की वार्षिक आय से बढ़ाकर 20 लाख रुपये सालाना कर देनी चाहिए ताकि लोगों की क्रय शक्ति बढ़े।
महंगाई को देखते हुए धारा 80 सी के तहत निवेश की सीमा बढ़ाने पर हो विचार

धारा 80 सी के तहत निवेश के लिए 1,50,000 की वर्तमान सीमा भी काफी कम है। रहने की लागत और मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए सरकार को इसकी सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। इससे दोहरा लाभ होगा। डेलोइट इंडिया के पार्टनर तापती घोष ने एक रिपोर्ट में कहा, “करदाता अधिक बचत करने के इच्छुक होंगे और कम टैक्स लगने से लाभान्वित होंगे, जिससे विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को पूरा करने के लिए जरूरी आय में वृद्धि होगी।
वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच आ रहे बजट पर टिकी रहेंगी सबकी निगाहें

बजट 2023 ऐसे समय में आएगा जब दुनिया भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं से जूझ रही है। अर्थव्यवस्थाएं धीमी वृद्धि के कारण चिंतित हैं। केंद्रीय बैंकों और सरकारों की ओर से किए गए उपायों के बावजूद मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी हुई है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और एक संभावित मंदी को ध्यान में रखते हुए, डेलॉइट इंडिया ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 6.5-7.1 प्रतिशत और 2023-24 के लिए 5.5-6.1 प्रतिशत की रेंज में जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
बजट 2023 पर परामर्श के लिए कई बैठकें कर चुकी हैं वित्त मंत्री
बजट 2023 के लिए नीतियां बनाते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राजनीतिक मजबूरियों के अलावा देश की आर्थिक व्यवस्था को भी ध्यान में रखना होगा। बता दें कि वित्त मंत्री ने अपना बजट पूर्व परामर्श के लिए पिछले महीने कई बैठकें की। इन बैठकों में बड़ी संख्या में उद्योग जगत के विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने लिया। इन बैठकों के दौरान जानकारों ने वित्त मंत्री को बजट से जुड़े जरूरी सुझाव दिए। इन्हीं बैठकों के दौरान होटल के कमरों पर अधिकतम जीएसटी 12 प्रतिशत करने का सुझाव भी वित्त मंत्री को दिया गया था। अब इन सुझावों में से कितने को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए बजट 2023 का हिस्सा बनाती हैं यह जानने के लिए बजट सत्र का इंतजार करना पड़ेगा। तब तक अटकलों का दौर जारी रहेगा।
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