
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए संबोधन में भी कश्मीर राग अलापा है। इमरान ने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान पर निर्भर है। इमरान के इस प्रोपेगैंडा का भारत की एक जूनियर अफसर ने करारा जवाब दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की डिप्लोमेट स्नेहा दुबे ने जिस तीखे अंदाज में इमरान पर पलटवार किया, उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है और सोशल मीडिया पर उनके लिए नारी शक्ति हैशटैग ट्रेंड हो रहा है।
पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत के अभिन्न हिस्से हैं और रहेंगे। इनमें पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से भी शामिल हैं, पाकिस्तान को इन्हें तुरंत छोड़ देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश जानते हैं कि पाकिस्तान का इतिहास आतंकियों को पालने और उनकी मदद करने का रहा है, यह पाक की नीति में शामिल है।
ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ झूठ फैलाने और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए किया है, जबकि पाकिस्तान में आतंकी खुलेआम घूमते हैं। ओसामा बिन लादेन को भी पाकिस्तान ने शरण दी थी। यहां तक कि पाकिस्तानी हुकूमत आज भी लादेन को शहीद कहती है।

दुबे ने कहा कि पाकिस्तान के लिए बहुलवाद को समझना बहुत मुश्किल है, वह अल्पसंख्यकों की उच्च पदों की आकांक्षा को दबाता है। पाकिस्तान आतंकियों को पालता-पोषता है और उम्मीद करता है कि वे सिर्फ पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे। पाकिस्तान का रिकॉर्ड है कि उसने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों की सबसे ज्यादा मेजबानी की है। हमारा क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पाकिस्तान की नीतियों से पीडि़त है। दूसरी तरफ पाकिस्तान अपनी सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवाद की आड़ में छिपाने की कोशिश करता है।