चीन की तिब्बत में 535 किमी लंबा रेलवे लाइन प्रोजेक्ट से भारत की बढ़ी चिंता

तिब्बत में चीन के एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ने सामरिक स्तर पर भारत के लिए चिंता पैदा कर दी है। 41 हजार 630 करोड़ रुपए लागत की 435 किमी लंबी रेलवे लाइन के इस माह शुरू होने की संभावना है।

यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा को पूर्वी शहर निंगची से जोड़ेगी जिसे तिब्बती सूर्य का सिंहासन कहते हैं। सरकारी अधिकारी क्षेत्र की पहली विद्युतीकृत रेल लाइन को कम्युनिस्ट पार्टी की 100 वीं सालगिरह (1 जुलाई) का उपहार कह रहे हैं।

नई रेलवे लाइन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के नजदीक से गुजरती है। चीन कई बार राज्य पर अपना दावा जता चुका है। वह इसे दक्षिण तिब्बत कहता है। 1962 के युद्ध में चीनी सेना ने यहां धावा बोल दिया था।

रेल लाइन के अलावा इलाके में चल रहे चीन के अन्य बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से भारत नाराज है। नई रेलवे लाइन ब्रह्मपुत्र नदी (चीन इसे यारलंग त्सांगपो नदी कहता है।) के ऊपरी हिस्सों को 16 बार पार करती है। भारत ने चीन पर पानी की उपलब्धता को खतरे में डालने का आरोप लगाया है। उपासला यूनिवर्सिटी के अशोक स्वेन कहते हैं, चीन इसकी फिक्र नहीं करता है।

इसमें चीन के अंदरूनी इलाकों को तिब्बत से जोडऩे के लिए रेल लाइन के निर्माण की योजना शामिल है। सरकारी मीडिया बताता है, इसकी लागत ल्हासा-निंगची ट्रैक से दस गुना अधिक होगी। इस माह शुरू होने वाली रेललाइन के लगभग आधे हिस्से में सुरंगें है। कामगारों को समुद्र सतह से पांच हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ा है।

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