औद्योगिक विकास को लगेंगे पंख, युवाओं को मिलेंगे रोजगार के बेहतर अवसर

जयपुर
राज्य सरकार ने राजस्थान की नई निवेश प्रोत्साहन योजना, नई औद्योगिक विकास नीति और मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना में प्रदेश में औद्योगिक निवेशकों और युवाओं के लिए रियायतों का पिटारा खोल कर रख दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित एमएसएमई कॉन्क्लेव में राज्य की औद्योगिक विकास नीति, राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना के साथ ही उर्जा विभाग की सौर उर्जा नीति और पवन एवं हाईब्रिड उर्जा नीति जारी की। उद्योग व राजकीय उपक्रम मंत्री  परसादी लाल मीणा ने बताया कि नई नीति और योजनाओं से प्रदेश में निवेष का नया माहौल बनेगा और रोजगार के अवसर खुलेंगे। राज्य सरकार द्वारा जारी नई राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में प्रदेश में लगने वाले नए उद्यमों को सात वर्षों के लिए विद्युत कर, मण्डी शुल्क और भूमि कर में शतप्रतिशत छूट प्रदान की है वहीं स्टॉम्प ड्यूटी और भमि रुपान्तरण शुल्क में भी सौ फीसदी छूट प्रदान कर प्रदेष में औद्योगिक निवेश के नए द्वार खोल दिए है। थ्रस्ट सेक्टर में विद्युत कर में अधिकतम दस वर्षों के लिए शतप्रतिशत छूट दी गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना रिप्स में सात वर्ष के लिए राज्य जीएसटी में 75 प्रतिशत निवेश अनुदान का प्रावधान किया है वहीं थ्रस्ट सेक्टरों को अधिकतम दस सालों के लिए शतप्रतिशत निवेश अनुदान उपलब्ध कराया जएगा। इसी तरह से रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए नियोक्ता द्वारा उद्यमों के श्रमिकों की ईपीएफ/ईएसआई की 50 प्रतिशत राशि का सात सालों तक पुनर्भरण की व्यवस्था की है वहीं थ्रस्ट सेक्टरों को यह सुविधा अधिकतम दस सालों के लिए 75 फीसदी तक होगी। नई निवेश प्रोत्साहन योजना को अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक और अतिरिक्त परिलाभकारी बनाते हुए बिन निरीक्षण मात्र थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन के अतिरिक्त परिलाभ देने का प्रावधान किया गया है। इसी तरह से राज्य के संतुलित क्षेत्रीय विकास पर बल देते हुए पिछड़े, अतिपिछड़े, जानजातिया, पहाड़ी और मरुस्थलीय क्षेत्र में निवेष पर अतिरिक्त परिलाभ देने के प्रावधान है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए एमएसएमई, टैक्सटाइल और अपेरल क्षेत्रों के उद्यमों को अतिरिक्त परिलाभ दिया जाएगा। राज्य की नई निवेष प्रोत्साहन योजना में विनिर्माण क्षेत्र में 26 और सेवा क्षेत्र में 11 थ्रस्ट सेक्टर चिन्हित किए गए हैं। विनिर्माण क्षेत्र में कृषि प्रसंस्करण, ऑटो कंपोनेंट, बॉयो टेक्नोलॉजी, सेरेमिक और ग्लास, केमिकल, डेयरी, डिफेन्स, दिल्ली मुबई इण्डस्ट्रीयल कोरिडोर में लगने वाले उद्यम, इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रोनिक्स सिस्टम डिजाइन निर्माण, फूड प्रोसेसिंग, जेम्स व ज्वैलरी, हैण्डीक्राफ्ट, औद्योगिक गैस, जमड़ा, जूते एवं सह उत्पाद, एम सेण्ड, मेडिकल डिवाइस निर्माण, खनिज आधारित निर्माण, एमएसएमई, पेटाऊेलियम सहायक उद्यम, पेट्रोकेमिकल, दवा निर्माण, सौर उर्जा उपकरण, स्टार्टअप्स, टेक्सटाइल, विंड टर्बाइन निर्माा क्षेत्र को शामिल किया गया है। इसी तरह से सेवा क्षेत्र में दवा निमार्ण क्षेत्र में कोल्ड चेन, कॉमन यूटिलिटि सेंटर, औद्योगिक पार्क, सूचना प्रोद्योगिकी पार्क, सूचना प्रोद्योगिकी उद्यम, लॉजिस्अिक इन्फ्रा स्ट्रक्चर, प्लग एण्ड प्ले ऑफिस कॉम्प्लेक्स, स्टार्ट अप्स, सामाजिक आधारभूत सुविधा और टेस्टिंग व रिसर्च लेब्स को षामिल किया गया है। थ्रस्ट सेक्टरों का चयन ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों के साथ ही नवाचार, रोजगारपरक, सामााजिक क्षेत्र के साथ ही आधारभूत सुविधाओं और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया है।

नई औद्योगिक विकास नीति
राजस्थान औद्योगिक विकास नीति में प्रदेश में समावेशी, संतुलित, सतत् एवं पर्यावरण अनुकूल औद्योगिक विकास करने, आधारभूत ढांचें का सृजन, रोजगार के अवसर, संतुलित क्षेत्रीय औद्योगिक विकास के साथ ही अनुकूल औद्योगिक आधारभूत संरचना, प्रतियोगात्मक राजकोषीय प्रोत्साहन, कुषल मानव संसाधन, उद्यमशीलता एवं नवाचार, पर्यावरण संरक्षण, उद्योगों का तकनीकी उन्नयन, नियमों और निरीक्षणों को युक्तिसंगत बनाना, थ्रस्ट सेक्टर्स का विकास करना है। इस नीति में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लचीला बनाने, निजी भूमि-रीको द्वारा निवेश तथा रीको की भूमि-निजी निवेश मॉडल पर पीपीपी मोड पर औद्योगिक पार्कों का विकास, आर्थिक विकास के मुख्य क्षेत्रों पर विशेष बल, विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास कार्यक्रम पर बल, प्लग एंड प्ले सुविधाओं एवं बहुमंजिला कारखानों को बढ़ावा देना, पिछड़े क्षेत्र में उद्योग स्थापना हेतु रियायती दर पर बंजर भूमि आवंटन, पेट्रो केमिकल उद्योग के लिए तेल रिफाईनरी के पास औद्योगिक टाऊनशिप, बिजली दरों को परिवर्तनशील बनाना एवं व्हीलिंग चार्जेज कम करना, मैन्युफेक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्र के उद्यम हेेतु प्रोत्साहन पैकेज, थ्रस्ट सेक्टर एवं पिछड़े व अति पिछड़े क्षेत्रों के उद्योगों को अतिरिक्त प्रोत्साहन, एंकर इकाइयों को आकर्षक प्रोत्साहन एवं स्टार्टअप हेतु नई स्टार्टअप नीति का निर्माण, एमएसएमई को गुणवत्ता प्रमाणन, रिसर्च एण्ड डवलपमेंट आदि के लिए सहायता, अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला उद्यमियों, कुटीर उद्योगों, फुटकर व्यापारियों एवं स्वयं सहायता समूह के उद्यमियों के लिए विशेष योजना का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही बड़े उद्योगों व एमएसएमई की आपूर्ति श्रंख्ला लिंकेज को प्रोत्साहन, जिला स्तर पर व्यावसायिक सुविधा केन्द्र की स्थापना, सभी क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु वार्षिक नवाचार पुरस्कार, औद्योगिक अपशिष्ट के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन, ग्रीन बिल्डिंग एवं इको फ्रेंडली उद्योगों को सहायता तथा वर्षा जल संचयन, अनुसंधान एवं विकास केन्द्रों, परीक्षण और प्रमाणीकरण प्रयोगशालाओं को सहायता को प्राथमिकता दी गई है।

मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना
मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना में प्रदेश में उद्यमों की सरल स्थापना एवं राज्य के सभी वर्गों के व्यक्तियों को रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराने हेतु बैंकों के माध्यम से ब्याज अनुदान युक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना में राष्ट्रीयकृत्त वाणिज्यिक बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत निजी क्षेत्र के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक तथा अनुसूचित स्मॉल फाईनेंस बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राजस्थान वित्त निगम एवं सिडबी के माध्यम से विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार आधारित उद्यम हेतु ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। नये स्थापित होने वाले उद्यम के साथ-साथ पूर्व स्थापित उद्यम भी विस्तार/विविधीकरण/आधुनिकीकरण इत्यादि हेतु लाभान्वित हो सकेंगे। इस योजना में अधिकतम 10 करोड़ रू. तक का ऋण उपलब्ध करवाया जायेगा। व्यापार हेतु ऋण की अधिकतम सीमा 1 करोड़ रूपये रहेगी। ऋण का स्वरूप कम्पोजिट ऋण/सावधि एवं कार्यशील पूंजी होगा। योजना के अनुसार 25 लाख तक के ऋण पर 8 प्रतिशत, 25 लाख से अधिक पर पांच करोड़ रु. तक के ऋण पर 6 प्रतिशत और इससे अधिक 10 करोड़ रु. तक के ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा।