
जोधपुर में अपने रंगकर्मी मामा डॉ. साजिद निसार के नाटक को देखकर ही इरफान ने अभिनय का पहला कहकहा सीखा था। जोधपुर के डॉ. साजिद निसार ने कहा कि दुनिया से इरफान की रुखसती की खबर दिल को तोड़ देने वाला समाचार है।
जोधपुर। आंखों से बातें करने वाले फिल्म अदाकार इरफान खान नहीं रहे। बुधवार को मुंबई के एक हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। इरफान ने अभिनय का पहला कहकहा जोधपुर में अपने रंगकर्मी मामा डॉ. साजिद निसार के नाटक को देखकर ही सीखा था। दुनिया से इरफान की रुखसती की खबर पर डॉ. साजिद निसार ने कहा कि दिल को तोड़ देने वाला समाचार है।
चार दिन पहले हमारी बहन इस दुनिया से कूच कर गई और अब इरफान। उन्होंने कहा कि कुछ दिन से इरफान की तबीयत ठीक नहीं थी, ऐसे में मां के निधन की जानकारी तक उन्हें नहीं दी गई। चार दिन में मां-बेटे का दुनिया से विदा हो जाना हमारे परिवार के लिए बहुत बड़ी त्रासदी है। संकट के इस दौर में लॉकडाउन के कारण हमारा मुंबई जाना भी संभव नहीं हो पाएगा। कुछ दिन पूर्व इरफान से उनकी बात हुई थी।
जोधपुर में अपने रंगकर्मी मामा डॉ. साजिद निसार के नाटक को देखकर ही सीखा था।
उस दौरान इरफान ने कहा कि इलाज के बाद सुधार की प्रक्रिया बहुत धीमी है। लेकिन उ मीद है कि पूरी तरह से ठीक हो जाऊंगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इरफान ने जोधपुर में देखा था जीवन का पहला नाटक : इरफान और उनके मामा डॉ. साजिद की उम्र में दस साल का ही अंतर है। ऐसे में वे उनके काफी करीब रहे। डॉ. साजिद बताते हैं कि बचपन से इरफान जोधपुर आता रहा।
वह बहुत शर्मीले स्वभाव का था। अस्सी के दशक की शुरुआत में थियेटर में इरफान ने अपने जीवन का पहला नाटक जोधपुर के टाउन हॉल में ही देखा था। रंगकर्मी अपने मामा डॉ. साजिद निसार को थियेटर में काम करते देख इरफान हैरत में पड़ गए।
शर्मीले स्वभाव के इरफान ने पहली बार नाटक देखा तो उन्हें बड़ा ताजु ब हुआ। नाटक समाप्त होने के बाद अपने मामू से मिलते ही उन्होंने पहला सवाल दागा कैसे कर लेते हो आप ये सब? स्टेज पर लोगों के सामने नर्वस नहीं होते है क्यों? घबराहट को कैसे काबू करते है आप?
इसके बाद इरफान का झुकाव थियेटर की तरफ बढ़ा और यही कारण है कि जयपुर में अपनी पढ़ाई के साथ नाटकों से जुड़े। जयपुर के प्रसिद्ध रंगकर्मी लईक अहमद से उनकी मुलाकात डॉ. साजिद ने कराई थी। उनसे इरफान ने काफी कुछ सीखा।
बाद में इरफान ने दिल्ली से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश लिया। इसके बाद तो इरफान ने अपनी अदाकारी से अलग ही पहचान कायम की थी।
राजस्थानी खाने के मुरीद थे इरफान : मुंबई में सेटल होने के बाद इरफान को हमेशा राजस्थानी खाने के स्वाद की कमी अखरती रही। डॉ. साजिद कहते हैं- वह (इरफान) हमेशा कहता है कि सभी तरह के बेहतरीन नॉन वेज मुंबई में मिल जाते हैं, लेकिन देसी राजस्थानी खाने का स्वाद वहां नहीं मिलता।
ऐसे में यहां आने पर वह हमेशा देसी खाने की फरमाइश करता था। हमेशा दाल-बाटी, कैर-सांगरी के साथ देसी तडक़े के साथ बनी गट्टे की स जी की डिमांड करता रहता था। जोधपुर का मिर्ची बड़ा उसे बेहद पसंद था। कई बार पैक करवा कर मिर्ची बड़े साथ लेकर भी गया था। इरफान के मामा ने बताया कि जोधपुर यात्रा के दौरान वह या तो घर में रहते थे या फिर घूमने निकल जाते थे।
जोधपुर से ही इरफान ने अभिनय का पहला कहकहा लगाया
घूमने-फिरने का था बहुत शौक: बचपन में अपने ननिहाल आने के समय इरफान यहां जमकर पतंग उड़ाते थे। पतंगबाजी के अलावा उन्हें पिकनिक पर जाने का बहुत शौक रहा। मामा-भांजे की जोड़ी कभी जोधपुर में मंडोर तो कभी कायलाना की पहाडिय़ों में घूमने निकल जाया करती थी।
इरफान के रूप में देश ने एक महान अभिनेता खो दिया: उधर राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और कलाविद रमेश बोराणा ने इरफान खान के निधन पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि राजस्थान की मिट्टी का जाया जन्मा एक ऐसा महान अभिनेता जिसने कम उम्र में ही बॉलीवुड सहित विश्व फि़ल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा मनवा लिया था। इरफान नव युग के विद्रोही चरित्र के जीवंत अभिनेता थे जिन्होंने सस्ती लोकप्रियता के लिए कभी कोई समझौता नहीं किया।
उन्होंने विगत 25 वर्षों में देश विदेश के सभी बड़े निर्देशकों व अभिनेताओं के साथ अभिनय किया था। वे पर्दे पर जितने विद्रोही व परिवर्तन विषयों के नायक नजऱ आते थे निजी जीवन में उतने ही सरल और सहज थे। वे जयपुर में जन्मे और उनका जोधपुर में ननिहाल था। वे जब भी मिलते राजस्थान की कलाओं के विकास के स बंध में अवश्य चर्चा करते थे। उन्होंने अपना जीवन नाटकों से ही प्रार भ किया था।
माटी के ऐसे अप्रतिम कलाकार के निधन से देश सहित स पूर्ण राजस्थान सदमें में है। वहीं दूसरी ओर रंगकर्मी डा. एसपी रंगा, श बीर हुसैन, प्रमोद वैष्णव, लक्ष्मीकांत पुरोहित छैन्नू, सईद खान, रमेश भाटी, नामदेव, भरत वैष्णव, मदन बोराणा, रमेश बोहरा, अजयकरण जोशी ने भी इरफान के निधन पर संवेदना व्यक्त की है।
इसी प्रकार शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सईद अंसारी ने इरफान के निधन पर शोक जताते हुए भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित की है। उन्होने कहा कि इरफान का जोधपुर के साथ अपणायत का नाता था। जो उन्होने समय पर निभाया। उन्होने अपनी मेहनत से बॉलीवुड में अपना एक अलग मुकाम तय किया। जोधपुरवासी उन्हें भूूल नहीं पाएंग