जैन आचार्य डॉ लोकेशजी ने कुम्भ में धर्म संसद को संबोधित किया

  • संत समाज जल एवं पावन नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए सदैव तत्पर – स्वामी ज्ञानानन्दजी
  • सामाजिक विषयों के उत्तरदायित्व को संत समाज ने बखूबी निभाया – श्री अभयदासजी महाराज

नई दिल्ली: आपणो कुम्भ महोत्सव, हरिद्वार के दौरान जल पर आयोजित धर्म संसद के ऐतिहासिक समागम में विश्व शांतिदूत जैनाचार्य लोकेशजी, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंदजी, स्वामी निर्भयदासजी, सांसद व साध्वी निरंजन ज्योति आदि प्रबुद्ध संतो ने संबोधित किया और जल जैसे महत्वपूर्ण विषय पर सकारात्मक चर्चा हुई। इस आयोजन को भारत के जलशक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत जी एवं योगगुरु स्वामी रामदेव जी की शुभकामनाएँ मिली। कार्यक्रम के आयोजक युवाचार्य श्री अभयदासजी महाराज ने सभी अतिथियों का भव्य स्वागत किया।

    अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक विश्व शांतिदूत जैनाचार्य डॉ लोकेशजी कुम्भ के पावन अवसर पर धर्म संसद को संबोधित करते हुए कहा कि जल है तो कल है, आज दुनिया में बहुत से ऐसे क्षेत्र है जहां जल का अभाव है, लोगो के पास पीने के लिए जल नहीं है, खेती के लिए जल नहीं है और वहीं दूसरी ओर दैनिक कार्यों में जल को आवश्यकता से अधिक नष्ट हुए देखा जा सकता है। उन्होने कहा कि ऐसे कई तरीके हैं जिनके द्वारा हम अपने दैनिक जीवन में जल बचा सकते हैं।

    गीता मनीषी ज्ञाननंदजी महाराज ने धर्म संसद के आयोजन के लिए अभयदास जी महाराज को बधाई दी एवं कहा कि जल जैसे महत्वपूर्ण विषय पर गंगा मैया की पावन धरती पर हरिद्वार में कार्यक्रम आयोजन कर यह सिद्ध कर दिया है कि संत समाज जल संरक्षण एवं पावन नदियों को प्रदूषित होने से बचाने में सदैव तत्पर है।

    सांसद व साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि यह हम सभी का नैतिक कर्तव्य है कि हम नदियों को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने में अपना सहयोग अवश्य दें, खुद नदियों को दूषित होने से रोके एवं दूसरों को भी दूषित न करने दें। उन्होने नदियों में प्लास्टिक एवं प्रदूषित पदार्थ न डालने का भी आह्वान किया ।   

युवाचार्य श्री अभयदासजी महाराज ने कहा कि सामाजिक सरोकार के सभी विषयों पर चिंतन के संत समाज के उत्तरदायित्व को संत समाज ने बखूबी निभाया है एवं हमारा संकल्प है कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होता रहे। उन्होने सभी उपस्थित संतों को साधुवाद देते हुए सभी को आभार प्रकट किया।

इस अवसर पर, स्वामी ऋषिश्वरानन्द्जी, स्वामी सम्पूर्णानंदजी, महेंद्र सिंह राणावतजी, आचार्य  जैसे संतगणों का भरपूर आशीर्वाद मिला एवं आचार्य राम गोपाल दीक्षितजी भी उपस्थित थे।