जैन समाज ने भरी हूंकार, जयपुर से मांगे दो टिकट

 राजनीतिक दलों को दी चुनाव परिणाम बिगाडने की चेतावनी

जयपुर। जैन समाज के प्रतिनिधियों को आगामी विधानसभा चुनावों में टिकट देने की मांग को लेकर सकल जैन समाज ने हूंकार भरते हुए राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि अगर जैन समाज के लोगों को जयपुर से दो—दो टिकट नहीं दिए गए तो चुनाव परिणाम बिगड सकता है। इसके लिए सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए समाज के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि अब तक राजनीतिक दलों ने जैन समाज को अपने चुनावी वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है जबकि राजधानी में ही जैन समाज के मतदाताओं की संख्या लाखों में है। ऐसे में जयपुर की दो सीटों पर दोनों राजनीतिक दल दो—दो टिकट जैन समाज के प्रतिनिधियों को दिए जाएं। इसके लिए मालवीय नगर एवं किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से विशेषतः जैन समाज की दावेदारी की गई है। इसमे भी मालवीय नगर से अजय धांधिया के लिए टिकट मांगा गया।

इस दौरान श्रमण संस्कति बोर्ड के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, सीएम मनीष मेहता, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के प्रकाश चन्द्र लोढा, माल सभा के मनोज धांधिया, श्वेताम्बर जैन संघ श्यामनगर के कमल संचेती, एसजे शिक्षा समिति के अध्यक्ष सुभाष गोलेचा, राजस्थान जैन सभा के पूर्व उपाध्यक्ष कमल बाबू जैन व विमल चंद डागा सहित समाज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। श्रमण संघ के अध्यक्ष कासलीवाल ने बताया कि जयपुर में आजादी के बाद जब पहला सांसद का चुनाव हुआ तो लगातार जयपुर के सांसद के रूप में जैन समाज से सांसद चुने गए और उसके बाद भी लगातार जैन समाज को सभी राजनीतिक पार्टिया प्रमुख रूप से साथ लेकर चलती थी। शहर की एक या दो सीट विधानसभा की भी जैन समाज को दी जाती रही लेकिन पिछले दो तीन विधानसभा चुनाव से प्रमुख रूप से भाजपा व कांग्रेस जैन समाज को अनदेखा कर रही है। इसमें कांग्रेस ने तो कभी कभी टिकट दिया परन्तु भाजपा ने एक बार भी टिकट नहीं दिया।

जैन समाज ने ही जयपुर के प्रमुख व्यवसाय जवाहरात उद्योग को भी पुरे भारत में पहचान दी है। जैन समाज सम्पूर्ण मानव जाति ही नहीं पशु पक्षियों तक के कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहता है। चिकित्सा और शिक्षा क्षेत्र में जैन समाज का अतुलनीय योगदान है। जयपुर के सभी सामाजिक कार्यों में जैन समाज अग्रणी रूप से खड़ा रहता है। वहीं जयपुर संभाग में जैन समाज के लगभग दो से ढाई लाख मतदाता होते हैं। ऐसी स्थिति में जैन समाज चुनाव परिणाओं को बदलने की ताकत रखता है। इतनी बडी संख्या के बाद भी अब तक जैन समाज की अनदेखी की जा रही है। इससे समाज के लोगों में आक्रोश है।